आपके किचेन की शोभा बढ़ाएंगे मिट्टी के कुकर और फ्रिज, 1500 कुम्हारों को इलेक्ट्रिक चाक
Jharkhand Mati Board. माटी कला बोर्ड 30 दिसंबर से प्रदेश के कुम्हारों को प्रोफेशनल ट्रेनिंग देकर उन्हें बेहतरीन उत्पाद बनाने के लिए प्रोत्साहित करेगा।
रांची, संजय कृष्ण। माटी कला बोर्ड अब सक्रिय हो गया है। अब वह बाजार में मिट्टी के कुकर और फ्रिज उतारने की तैयारी कर रहा है। इसके लिए प्रशिक्षण की व्यवस्था की जा रही है। कुम्हारों को तकनीकी रूप से दक्ष बनाने के लिए इसी 30 दिसंबर से बुंडू में ट्रेनिंग कैंप चलेगा। यहां 30 लोग एक महीने तक ट्रेनिंग लेंगे। ये मास्टर ट्रेनर होंगे। इसके बाद ये राज्य के सात जिलों रांची, जमशेदपुर, बोकारो, जामताड़ा, साहेबगंज, पलामू व दुमका में लोगों को प्रशिक्षित करेंगे।
हर प्रशिक्षणार्थी को मानदेय के रूप में हर दिन 150 रुपये दिए जाएंगे और इन्हें 80 प्रतिशत अनुदान पर आधुनिक मशीन दी जाएगी ताकि वे मिट्टी के कूकर-फ्रिज तैयार कर सकें। 1500 इलेक्ट्रिक चाक का वितरण बोर्ड के अध्यक्ष श्रीचंद्र प्रजापति ने बताया कि फरवरी तक 1500 इलेक्ट्रिक चाक का वितरण करना है। खादी मेले में पचास लोगों को वितरण किया गया।
उन्होंने बताया कि बोर्ड अब गांव-गांव में कारीगर तैयार करेगा। हर स्तर पर उन्हें प्रशिक्षित किया जाएगा ताकि यहां से पलायन रुक सके। गुजरात में हर किचन में मिट्टी के बर्तन श्रीचंद ने बताया कि गुजरात के हर घर के किचन में मिट्टी के बर्तन मिल जाएंगे। वहां अब लोग इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। कूकर और फ्रिज तो है ही। मिट्टी के कप, लैंप, झालर से लेकर हर सजावटी सामान भी उपयोग में ला रहे हैं। कान की बाली और गले का हार भी लोग पसंद कर रहे हैं।
ऋण और बाजार की सुविधा : माटी कला बोर्ड केवीआइसी के माध्यम से मुद्रा लोन की व्यवस्था भी करेगा ताकि आर्टिजन को कोई परेशानी न हो। उसे ऋण के साथ बाजार भी उपलब्ध कराएगा। अभी खादी एवं झारक्राफ्ट के शोरूम में माटी कला बोर्ड के उत्पाद मिलेंगे। इसके बाद जल्द ही बोर्ड का भी अपना आउटलेट होगा।
श्रीचंद ने बताया कि गुजरात, राजस्थान, छत्तीसगढ़ आदि राज्यों में भी झारखंडी उत्पाद के लिए बाजार बनाया जा रहा है। पकाने और बनाने की विधि का प्रशिक्षण उन्होंने बताया कि यहां काफी मात्रा में बंगाल से कुल्हड़ मंगाया जाता है। वह सस्ता भी पड़ता है। वहां के कुम्हार मिट्टी बनाने और उसे पकाने की बेहतर तकनीक का इस्तेमाल करते हैं। यह ट्रेनिंग यहां के लोगों को दिया जाएगा ताकि यहां भी टी सेट, कुल्हड़, कटोरा, थाली आदि बना सकें।