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हेमंत सोरेन को मानना ही होगा चुनाव आयोग का फैसला, संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप ने कह दी बड़ी बात...

Hemant Soren News खदान लीज मामले में खतरे में घिरे हेमंत सोरेन के बारे में संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप ने कहा कि चूंकि यह मामला चुनाव आयोग के क्षेत्राधिकार में आता है तो अंतिम निर्णय उसे ही करना है जो बाध्यकारी भी होगा। सबकुछ सोरेन के जवाब पर निर्भर करेगा।

By Alok ShahiEdited By: Published: Tue, 03 May 2022 09:24 PM (IST)Updated: Tue, 03 May 2022 11:19 PM (IST)
Hemant Soren News: खदान लीज मामले में घिरे हेमंत सोरेन के बारे में संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप ने कहा...

नई दिल्ली, जेएनएन। Hemant Soren News चुनाव आयोग के नोटिस के बाद खदान लीज मामले में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। सोमवार को केंद्रीय चुनाव आयोग ने जनप्रतिनिधि अधिनियम की धारा 9ए को आधार बनाकर सोरेन से जवाब तलब किया है। इस मामले में सोरेन की विधानसभा सदस्यता भी रद हो सकती है। इसे लेकर राजनीतिक नैतिकता और संवैधानिक व्यवस्था पर जारी बहस के बीच राज्य में राजनीतिक अनिश्चितता गहराती दिख रही है।

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संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप के अनुसार, चूंकि यह मामला चुनाव आयोग के क्षेत्राधिकार में आता है तो अंतिम निर्णय उसे ही करना है, जो बाध्यकारी भी होगा। वह कहते हैं, 'आयोग ने नोटिस जारी कर दिया है तो अब सब कुछ सोरेन के जवाब पर निर्भर करेगा।' उनका कहना है कि सोरेन का दावा है कि उन्होंने लीज वापस कर दी है और उन्होंने खदान से कोई मुनाफा नहीं कमाया, लेकिन देखना होगा कि वह आयोग के समक्ष किस प्रकार से साक्ष्य रख पाते हैं।

ऐसी स्थिति में संवैधानिक व्यवस्था पर कश्यप कहते हैं कि इसके निर्धारण में तीन बिंदु निर्णायक होंगे। पहला यही कि संबंधित उपक्रम का कोई आफिस तो नहीं है, उससे कोई मुनाफा तो अर्जित नहीं हुआ और क्या वह किसी सरकार के अंतर्गत आता है? यदि आयोग का निर्णय सोरेन के खिलाफ आता है तो वह उसे अदालत में चुनौती दे सकते हैं।

सोमवार को जारी नोटिस में चुनाव आयोग ने सोरेन से जवाब मांगा है कि उनके नाम पर खदान लीज का होना प्रथमदृष्टया जनप्रतिनिधि कानून की धारा 9ए का उल्लंघन करता है और उन्हें स्पष्ट करना चाहिए कि उनके खिलाफ आखिर कार्रवाई क्यों नहीं होनी चाहिए। यह धारा सरकारी अनुबंधों के मामले में जनप्रतिनिधि की सदस्यता रद करने से जुड़ी है।


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