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Jharkhand Election 2019: बाबूलाल मरांडी से गठबंधन के लिए रामेश्वर उरांव कर रहे प्रयास, जानिए क्‍या कहा कांग्रेस अध्‍यक्ष ने

Jharkhand Election. अब तक की परिस्थितियों के अनुसार झाविमो गठबंधन से अलग होकर ही चुनाव लडऩे जा रहा है। रामेश्‍वर उरांव चाहते हैं कि महागठबंधन में बाबूलाल के लिए भी जगह हो।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Mon, 04 Nov 2019 09:56 AM (IST)Updated: Mon, 04 Nov 2019 09:56 AM (IST)
Jharkhand Election 2019: बाबूलाल मरांडी से गठबंधन के लिए रामेश्वर उरांव कर रहे प्रयास, जानिए क्‍या कहा कांग्रेस अध्‍यक्ष ने

रांची, राज्‍य ब्‍यूरो। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रामेश्वर उरांव ने महागठबंधन में अंतिम समय तक बाबूलाल मरांडी के लिए जगह बनवाने का दावा किया है। अब तक की परिस्थितियों के अनुसार झाविमो गठबंधन से अलग होकर ही चुनाव लडऩे जा रहा है। उरांव चाहते हैं कि महागठबंधन में बाबूलाल के लिए भी जगह हो और इसके लिए वे स्वयं प्रयास कर रहे हैं। उरांव से चुनावी तैयारियों को लेकर बातचीत की विशेष संवाददाता आशीष झा ने।

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महागठबंधन से बाबूलाल मरांडी बाहर होते दिख रहे हैं। आपका क्या प्रयास है?

-महागठबंधन में वे सभी दल होंगे जो लोकसभा चुनाव के दौरान साथ थे। बाबूलाल मरांडी को मनाने की भी कोशिश की जा रही है। मैं स्वयं उनके घर जाऊंगा। एक आदमी को लगा रखा है, उससे सूचना मिलेगी कि बाबूलाल घर पहुंचे हैं तो मैं भी पहुंच जाऊंगा। भाजपा को हराने के लिए हम कमर कसकर लड़ेंगे।

चुनाव प्रचार के लिए पार्टी के किन बड़े नेताओं से आग्रह किया गया है?

-जहां-जहां हमारी पार्टी के मुख्यमंत्री हैं, वे सभी आएंगे। सभी सीनियर नेताओं से आने का आग्रह किया जा चुका है। हमने केंद्र से यह भी आग्रह किया है कि हमें सड़कों से घूमने वाले नेता दें, हेलीकॉप्टर वाले नहीं। हमारे मतदाता भरपूर हैं, सड़क से नेता घूम लेंगे तो हम किसी भी स्तर पर बदलाव में सक्षम हैं।

पार्टी में परिवार वाद हमेशा से चलता रहा है। इस चुनाव में भी नेताओं के परिजनों को टिकट मिलेगा क्या?

-किसे टिकट मिलेगा और किसे नहीं, हम अभी नहीं कह सकते। हम अपनी बात पार्टी आलाकमान से साफ-साफ कह देंगे, उसके बाद केंद्रीय दल का निर्णय लेना है। वे उम्मीदवार तय करेंगे और हम उन उम्मीदवारों को जिताने में जुट जाएंगे।

महागठबंधन में सीटों पर तालमेल का क्या हुआ?

-लगातार बातें हुई हैं। एक सम्मानजनक समझौता होने की ओर सभी दल बढ़े हैं। दलों का अपना-अपना दावा है, लेकिन उचित सहभागिता सभी को मिलेगी। सहयोगी दलों को उनकी क्षमता के अनुसार से सीटें मिलेंगी।


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