झारखंड में बोले माकन, राफेल डील की जांच कराने से क्यों भाग रही मोदी सरकार
झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व प्रदेश प्रभारी और पार्टी के वरीय नेता अजय माकन ने प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित किया।
रांची। झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व प्रदेश प्रभारी और पार्टी के वरीय नेता अजय माकन ने बुधवार को राफेल विवाद पर केंद्र सरकार को कठघरे में खड़ा किया। उन्होंने दावा किया कि राफेल सौदे में सात बिंदुओं और सुप्रीम कोर्ट के फैसले में 11 बिंदुओं पर सवाल उठ रहे हैं और ऐसा सरकार की गलत सूचनाओं के कारण हुआ है।
जिसे केंद्र सरकार टाइपो एरर बता रही है वास्तव में ऐसा है ही नहीं। सुप्रीम कोर्ट को भी गलत सूचनाएं दी गई। एक बार फिर सत्य को छिपाने की कोशिश की जा रही है। माकन ने आरोप लगाया कि इतने बड़े सौदे में देश की सुरक्षा को भी ताक पर रख दिया गया है।
126 की जगह महज 36 विमान खरीदे जा रहे हैं और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर जैसे अहम मुद्दों की अनदेखी हो रही है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने क्लीन चिट नहीं दी है बल्कि यह कहा है कि कई पहलू उनके क्षेत्राधिकार के बाहर हैं।
कांग्रेस शुरू से ऐसा मान रही है और यही कारण है कि इस मामले की जांच ज्वाइंट पार्लियामेंटरी कमेटी (जेपीसी) से कराने की मांग की जा रही है। भाजपा शुरू से ही विभिन्न मामलों में जेपीसी जांच की हिमायती रही है और टूजी स्पेक्ट्रम समेत तमाम मामलों की जेपीसी जांच विपक्ष की मांग पर हुई है तो फिर मोदी सरकार पीछे क्यों भाग रही है।
माकन ने राफेल विमान की कीमत 526 करोड़ से बढ़ाकर 1671 करोड़ करने के फैसले के पीछे का कारण पूछा। कहा, इस एक निर्णय से 41 हजार करोड़ से अधिक का भुगतान किया गया है जो आम लोगों की गाढ़ी कमाई है।
इस दौरान माकन के साथ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ. अजय कुमार, पूर्व केंद्रीय मंत्री रामेश्वर उरांव, मीडिया प्रभारी राजेश ठाकुर, प्रवक्ता आलोक दुबे आदि मौजूद थे।
भाजपा की प्रतिक्रिया :
सुप्रीम कोर्ट की अवमानना और तौहीन कर रहे काग्रेसी :
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने प्रदेश काग्रेस के नेताओं पर सुप्रीम कोर्ट की साख को गिराने का आरोप लगाया। प्रतुल ने कहा कि जब सर्वोच्च न्यायालय ने राफेल डील को राष्ट्रहित में बताया है तो उसके बाद काग्रेसी नेताओं का इस डील के खिलाफ कोई बयान अदालत की अवमानना के दायरे में आता है। शाहदेव ने कहा कि प्रदेश काग्रेस के नेताओं ने 30 फीसद कमीशन खोरी की बात कही है। यह काग्रेसी नेता शायद आदतन कह रहे हैं क्योंकि बड़े-बड़े डील में भारी कमीशन खोरी का उनका पुराना रिकॉर्ड रहा है।