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झारखंड में कांग्रेस की 'OBC' पालिटिक्स, Reservation बढ़ाने और जनगणना का नया शिगूफा

Jharkhand Political Update कहते हैं -जात न पूछो साधु की पूछ लीजिए ज्ञान। लेकिन राजनीति में तो बगैर जाति के कुछ आगे ही नहीं बढ़ता। प्रत्याशियों को टिकट देने में भी संबंधित क्षेत्र का जातीय गणित नजरंदाज करना मुश्किल है।

By Vikram GiriEdited By: Published: Tue, 03 Aug 2021 01:54 PM (IST)Updated: Wed, 04 Aug 2021 06:35 AM (IST)
झारखंड में कांग्रेस की 'OBC' पालिटिक्स, Reservation बढ़ाने और जनगणना का नया शिगूफा
झारखंड में कांग्रेस की 'OBC' पालिटिक्स, Reservation बढ़ाने और जनगणना का नया शिगूफा। जागरण

रांची [प्रदीप सिंह] । कहते हैं -जात न पूछो साधु की, पूछ लीजिए ज्ञान। लेकिन राजनीति में तो बगैर जाति के कुछ आगे ही नहीं बढ़ता। प्रत्याशियों को टिकट देने में भी संबंधित क्षेत्र का जातीय गणित नजरंदाज करना मुश्किल है। अलग-अलग इलाकों में इसी के आधार पर कद्दावर नेताओं के राजनीतिक दौरे भी तय किए जाते हैं। जाहिर है एक बड़ा वोट बैंक राजनीतिक दलों को लुभाता है और पार्टियां इस वर्ग को रिझाने की कोशिश में लग जाती हैं। यही वजह है कि झारखंड में सत्ताधारी गठबंधन की सहयोगी कांग्रेस को ओबीसी राजनीति में नया भविष्य नजर आ रहा है।

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राज्य में ओबीसी को 14 प्रतिशत आरक्षण मिलता है, जिसे बढ़ाकर 27 प्रतिशत करने की मांग के पीछे का भी यह एक बड़ा कारण है। हालांकि तमाम राजनीतिक दलों का यह चुनावी एजेंडा था, लेकिन कांग्रेस ने इसे लेकर सरकार पर दबाव बनाना आरंभ किया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डा. रामेश्वर उरांव इसे लेकर मुखर हैं और इस मांग को लेकर व्यापक पैमाने पर आवाज उठाने की तैयारी चल रही है। उधर जातिगत जनगणना को लेकर कांग्रेस ने नए सिरे से मांग उठाई है। कांग्रेस का तर्क है कि पिछड़े वर्ग की जातिगत जनगणना आवश्यक है। 2021 की जनगणना में इस मांग को केंद्र सरकार ने नकार दिया है, लिहाजा राज्य सरकार अपने स्तर से जातिगत जनगणना कराए। इससे ओबीसी समुदाय की आबादी का पता लग सकेगा और इसी आधार पर उनके उत्थान के लिए योजनाएं तैयार की जा सकेगी।

हालांकि कांग्रेस ओबीसी आरक्षण और जातिगत जनगणना का शिगूफा छोड़कर एक ठोस वोट बैंक तैयार करना चाहती है। फिलहाल इस वर्ग को रिझाने की राजनीतिक कवायद देशभर में चरम पर है। ओबीसी समुदाय को मेडिकर एडमिशन में आरक्षण देने की प्रक्रिया को भी इसी रूप में देखा जा रहा है। उधर, ओबीसी संगठनों का दावा है कि झारखंड में सर्वाधिक आबादी इस वर्ग की है, लेकिन उन्हें इसके अनुपात में राजनीतिक प्रतिनिधित्व के साथ-साथ आरक्षण नहीं मिल रहा है। सभी राजनीतिक दल चुनाव के वक्त महज रिझाने के लिए आश्वासन देते हैं, लेकिन सत्ता मिलने के बाद उसपर अमल नहीं करते।

झारखंड में सर्वाधिक आरक्षण अनुसूचित जनजाति को

झारखंड में सर्वाधिक 26 प्रतिशत आरक्षण अनुसूचित जनजाति को मिलता है। इसके अलावा अनुसूचित जाति को 10 प्रतिशत और ओबीसी को 14 प्रतिशत आरक्षण मिलता है।

आयोग कर चुका है सिफारिश

झारखंड पिछड़ा वर्ग आयोग ने राज्य सरकार को आरक्षण का दायरा बढ़ाने की सिफारिश की है। आयोग ने आरक्षण 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत बढ़ाने की सिफारिश की है। फिलहाल यह प्रस्ताव सरकार के समक्ष लंबित है


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