कांग्रेस विधायक दीपिका पांडेय से पनाह मांगने लगे पुलिसवाले, महगामा से रांची तक हंगामा
दीपिका पांडेय सिंह सत्तारूढ़ कांग्रेस की विधायक हैं। विधायक बनने के चार माह के बाद महगामा विधानसभा क्षेत्र के पांच थाना प्रभारी और पुलिस वालों ने गोड्डा एसपी से ट्रांसफर मांगा है।
गोड्डा/रांची, जेएनएन। Deepika Pandey Singh MLA गोड्डा जिले के महगामा विधानसभा क्षेत्र से दीपिका पांडेय सिंह सत्तारूढ़ दल कांग्रेस की विधायक हैं। उनके विधायक बनने के चार माह के बाद महगामा विधानसभा क्षेत्र के पांच थाना प्रभारी समेत और पुलिस वालों ने गोड्डा के पुलिस अधीक्षक शैलेंद्र बर्णवाल को पत्र भेजा है। अनुरोध किया है, 'साहब...विधायक बेइज्जत करती हैं, हमें महगामा विधानसभा क्षेत्र से हटा दीजिए।'
अमूमन सत्तारूढ़ दल के विधायकों के खिलाफ पुलिस अफसर मुंह नहीं खोलते। निलंबित किये जा चुके महगामा थानेदार बलिराम रावत, मेहरमा थाना प्रभारी ललित पांडेय, हनवारा थानेदार सूरज कुमार, बलबड्डा थाना प्रभारी अरुण कुमार और ठाकुरगंगटी थानेदार तपन पाणिग्रही ने झारखंड पुलिस एसोसिएशन के बैनर तले खुद को दूसरी जगह भेजने का आग्रह किया है।
मामला अर्णब गोस्वामी के विरुद्ध थाने में विधायक के आवेदन देने से शुरू हुआ। वहीं, महगामा की विधायक दीपिका पांडेय सिंह के खिलाफ झारखंड पुलिस एसोसिएशन ने विधानसभा अध्यक्ष, गृह सचिव व डीजीपी को पत्र लिखकर विधायक के खिलाफ विधि-सम्मत कानूनी कार्रवाई की मांग की गई है।
एसोसिएशन ने कहा, उचित कार्रवाई नहीं हुई तो लॉकडाउन के बाद तय होगी रणनीति
विधानसभा अध्यक्ष, गृह सचिव व डीजीपी को भेजे शिकायती पत्र में एसोसिएशन ने यह कहा है कि अगर विधायक दीपिका पांडेय सिंह पर कार्रवाई नहीं हुई तो वे लॉकडाउन की समाप्ति के बाद राज्यस्तरीय बैठक कर आगे की रणनीति तय करेंगे। विधायक पर 50-60 समर्थकों के साथ महगामा थाने में हंगामा करने, जबरन महगामा थाना प्रभारी को निलंबित कराने व अपने क्षेत्र के थानेदारों को धमकाने का आरोप है। झारखंड पुलिस एसोसिएशन ने लॉकडाउन का उल्लंघन कर अपने समर्थकों के महगामा थाना पहुंचने, धरना पर बैठने आदि के मामले में विधायक दीपिका पांडेय सिंह पर प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की है। इस पूरे प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच कराने को भी कहा है ताकि न्याय हो सके।
कांग्रेस कार्यकर्ता पुलिस के कार्यों में हस्तक्षेप नहीं करते
अगर लिखित शिकायत मिलती है तो तुरंत केस होना चाहिए था। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर अभद्र टिप्पणी करने पर महगामा थाना में लिखित आवेदन दिया तो थानाप्रभारी ने कई घंटे तक टाल मटोल किया था। कांग्रेस कार्यकर्ता पुलिस के कार्यों में कभी हस्तक्षेप नहीं करते। पुलिस मेंस एसोसिएशन के आरोप निराधार हैं। दीपिका पांडेय सिंह, विधायक, कांग्रेस।
कांग्र्रेस विधायक के कारण महगामा का नाम खराब हुआ
दीपिका पांडेय सिंह निजी स्वार्थ के लिए पुलिस एवं प्रशासन पर अनावश्यक दबाव बना रही हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है। सभी थानेदारों द्वारा सामूहिक स्थानांतरण का आवेदन देना अच्छा संकेत नहीं है। विधायक के कारण महगामा का नाम खराब हुआ है। विधानसभा क्षेत्र कलंकित हुआ है। कानून तोडऩे के कारण विधायक पर तुरंत कार्रवाई होनी चाहिए। अशोक भगत, पूर्व विधायक, भाजपा।
विधानसभा अध्यक्ष, गृह सचिव व डीजीपी से महगामा विधायक की शिकायत, कार्रवाई की मांग
महगामा की विधायक दीपिका पांडेय सिंह के खिलाफ झारखंड पुलिस एसोसिएशन ने विधानसभा अध्यक्ष, गृह सचिव व डीजीपी को पत्र लिखकर विधायक के खिलाफ विधि-सम्मत कानूनी कार्रवाई की मांग की गई है। एसोसिएशन ने यह भी कहा है कि अगर विधायक दीपिका पांडेय सिंह पर कार्रवाई नहीं हुई तो वे लॉकडाउन की समाप्ति के बाद राज्यस्तरीय बैठक कर आगे की रणनीति तय करेंगे।
दीपिका पर 50-60 समर्थकों के साथ महगामा थाने में हंगामा व थानेदार को निलंबित कराने का आरोप
विधायक पर 50-60 समर्थकों के साथ महगामा थाने में हंगामा करने, जबरन महगामा थाना प्रभारी को निलंबित कराने व अपने क्षेत्र के थानेदारों को धमकाने का आरोप है। झारखंड पुलिस एसोसिएशन ने लॉकडाउन का उल्लंघन कर अपने 40-50 समर्थकों के महगामा थाना पहुंचने, धरना पर बैठने आदि के मामले में विधायक दीपिका पांडेय सिंह पर प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की है। इस पूरे प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच कराने को भी कहा है ताकि न्याय हो सके।
महगामा विधायक दीपिका पांडेय सिंह पर दर्ज हो एफआइआर : समीर उरांव
भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष सह राज्यसभा सदस्य समीर उरांव ने कहा कि कोरोना संकट के बीच राज्य में सरकार के घटक दल कानून का उल्लंघन करते हुए भय और आतंक का माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं। समीर उरांव ने महगामा विधायक दीपिका पांडेय सिंह के कारनामों पर अपनी तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इस राज्य में जनता का क्या होगा, जहां पुलिस प्रशासन के लोग ही भयभीत और आक्रांत हों।
उन्होंने कहा कि कोरोना संकट के दौरान पुलिस ने जिस प्रकार से गरीबों की सेवा की है, भोजन की व्यवस्था संभाली है, कानून व्यवस्था को बनाए रखने में दिन-रात परिश्रम किया है। ऐसी परिस्थिति में एक जन प्रतिनिधि के द्वारा अनावश्यक दबाव डालना लोकतंत्र को कलंकित करना है। उरांव ने कहा कि गठबंधन की सरकार जनता की सेवा के लिए नहीं बनी है, बल्कि यह सरकार धौंस दिखाकर अपने निहित स्वार्थों की पूर्ति के लिए बनी है। कहा, हेमंत सरकार ट्रांसफर और निलंबन का भय दिखाकर अधिकारियों से नियम विरुद्ध कार्य करा रही है।