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NHRC: अवैध खनन हादसे में मौत भी मुआवजा का आदेश, मानवाधिकार आयोग में दिनभर चली सुनवाई

Jharkhand Latest News राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष व सदस्य मंगलवार को रांची में थे। आयोग ने 53 केस की सुनवाई की। एनएचआरसी से संबंधित 22 केस निष्पादित किए गए। मृतक के स्वजन को आयोग ने 48 लाख आठ हजार रुपये मुआवजे का आदेश दिया।

By M EkhlaqueEdited By: Published: Tue, 16 Aug 2022 09:32 PM (IST)Updated: Tue, 16 Aug 2022 09:33 PM (IST)
NHRC: अवैध खनन हादसे में मौत भी मुआवजा का आदेश, मानवाधिकार आयोग में दिनभर चली सुनवाई
Jharkhand News: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मुआवजा देने का आदेश दिया है।

रांची, राज्य ब्यूरो। National Human Rights Commission अवैध खनन के दौरान हादसे में मृतक के आश्रित को भी मुआवजा देने का आदेश दिया गया है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष अरुण कुमार मिश्रा ने मंगलवार को धुर्वा के झारखंड ज्यूडिशियल एकेडमी में प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि मंगलवार को अवैध खनन, इलाज के दौरान मौत व पुलिस हिरासत में मौत से संबंधित कुल 53 केस में उन्होंने सुनवाई की, जिसमें 22 केस मुआवजा निर्धारित करने के साथ ही निष्पादित हुआ। इस दरम्यान 22 कांडों में कुल 48 लाख आठ हजार रुपये का मुआवजा का आदेश राज्य सरकार को दिया गया है। आयोग अध्यक्ष के अनुसार राज्य सरकार, उनकी जांच व सरकार की अधिकृत क्रियान्वयन एजेंसी भी आयोग के आदेश-निर्देश के प्रति सकारात्मक है। मंगलवार को सुनवाई व बैठकों के दौरान आयोग अध्यक्ष के साथ-साथ आयोग के सदस्य भी मौजूद थे।

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अब समय से मिल रही रिपोर्ट, मुआवजा के प्रति भी सरकार गंभीर

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि आयोग की ओर से जो भी रिपोर्ट सरकार की जांच व क्रियान्वयन एजेंसी से मांगी जाती है, वह ससमय मिल रही है। अनुसंधान में थोड़ा विलंब होता है, लेकिन काम तेजी से हो रहा है। जहां तक मुआवजा निर्धारण के बाद भुगतान की बात है तो उसकी रफ्तार भी ठीक है। किसकी गलती से कोई घटना घटी, किसी के मानवाधिकार का हनन हुआ, इसके सही या गलत का पता अनुसंधान के बाद ही चल पाता है।

अरवा राजकमल के मामले में केंद्र ने मांगी रिपोर्ट

उधर, भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी अरवा राजकमल को लेकर केंद्रीय कार्मिक विभाग ने रिपोर्ट मांगी है। इनके खिलाफ की गई कार्रवाई पर भी विस्तृत रिपोर्ट तलब की गई है। ज्ञात हो कि अरवा राजकमल बगैर अनुमति के तीन वर्ष तक विदेश में रहे और वहां उन्होंने इसी दौरान पढ़ाई भी की। बाद में उनके खिलाफ निंदन की कार्रवाई की गई। केंद्रीय कार्मिक विभाग ने इस मामले में राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी है।


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