Move to Jagran APP

झारखंड के विश्वविद्यालयों में वित्तीय गड़बड़ियों की भरमार, सुधार के लिए कमेटी गठित

Jharkhand. राज्यपाल के आदेश पर सुधार के लिए कमेटी गठित की गई है। उच्च शिक्षा निदेशक की अध्यक्षता में गठित हुई कमेटी। कमेटी 15 बिंदुओं पर राज्य सरकार को सौंपेगी अपनी रिपोर्ट।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Wed, 18 Mar 2020 07:38 PM (IST)Updated: Wed, 18 Mar 2020 07:38 PM (IST)
झारखंड के विश्वविद्यालयों में वित्तीय गड़बड़ियों की भरमार, सुधार के लिए कमेटी गठित

रांची, राज्य ब्यूरो। राज्य के विश्वविद्यालयों में वित्तीय गड़बडिय़ों की भरमार है। राज्यपाल सह कुलाधिपति द्रौपदी मुर्मू ने समीक्षा बैठक में यह बात सामने आने के बाद विश्वविद्यालयों के वित्तीय प्रबंधन में सुधार लाने का निर्देश उच्च, तकनीकी शिक्षा एवं कौशल विकास विभाग को दिया है। इसके लिए उन्होंने कमेटी गठित करने का आदेश दिया, जिसकी रिपोर्ट पर विश्वविद्यालयों के वित्तीय प्रबंधन में सुधार किया जाएगा। इधर विभाग ने राज्यपाल के आदेश पर  कमेटी गठित भी कर दी है।

loksabha election banner

उच्च शिक्षा निदेशक की अध्यक्षता में गठित इस कमेटी में योजना सह वित्त विभाग के संयुक्त सचिव मनोज कुमार, कार्मिक विभाग के संयुक्त सचिव सुधीर कुमार रंजन बतौर सदस्य शामिल किए गए हैं। आमंत्रित सदस्यों में रांची विश्वविद्यालय के वित्तीय सलाहकार सुविमल मुखोपाध्याय तथा विनोबा भावे विश्वविद्यालय के कुलसचिव शामिल किए गए हैं। विभाग के उपनिदेशक डा. नितेश राज को सदस्य सचिव बनाया गया है। यह कमेटी राज्यपाल के समक्ष वित्तीय कुप्रबंधन को लेकर आए 15 बिंदुओं पर सुधार के लिए अपनी रिपोर्ट देगी। कमेटी विश्वविद्यालयों में नई पेंशन योजना लागू करने के लिए गाइडलाइन भी तैयार करेगी।

विश्वविद्यालयों में इंटरनल ऑडिट विंग की होगी स्थापना

राज्य के सभी विश्वविद्यालयों के स्नातकोत्तर विभागों तथा वैसे सभी कॉलेजों में इंटरनल ऑडिट विंग की स्थापना होगी जो राज्य सरकार से अनुदान प्राप्त करती हैं। राज्यपाल ने इसे लेकर भी विभाग को निर्देश दिया है। शिक्षक व शिक्षकेत्तर कर्मियों के वेतन, पेंशन, ग्रेच्यूटी, लीव इनकैशमेंट आदि की ऑडिट इस विंग द्वारा की जाएगी। इसके अलावा वित्त विभाग तथा महालेखाकार की ऑडिट की आपत्तियों के निपटारे की जिम्मेदारी भी इसपर होगी। इसके अलावा कुलपति इसे वित्तीय प्रबंधन तथा निगरानी के अन्य काम भी सौंप सकते हैं।

ऐसी-ऐसी गड़बडियां

  • शिक्षकों व कर्मियों द्वारा लिए गए एडवांस का समायोजन लंबित है। कई बार ऐसे एडवांस 10-15 वर्ष पर भी समायोजित किए गए। समायोजन को लेकर कोई गाइडलाइन भी नहीं है।
  • वेतन निर्धारण समय पर नहीं होता। अधिक वेतन निर्धारण का भी मामला सामने आया है।
  • यूनिवर्सिटी एकाउंट के लिए कोई स्टैंडर्ड फार्म नहीं है।
  •  शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर कर्मियों की सर्विस बुक के सत्यापन के लिए कोई सिस्टम विकसित नहीं है। कुछ मामलों में पाया गया कि सेवानिवृत्ति के समय सर्विस बुक तैयार की गई।

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.