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Cold Related Illness: अस्‍पतालों में दिख रहा ठंड का असर, बढ़ने लगे वायरल बुखार-डेंगू, जोंडिस-न्‍यूमोनिया और सांस फूलने के मरीज

Jharkhand News Health News मेडिसिन ओपीडी में भी 60 प्रतिशत मरीज मौसमी बीमारी को लेकर पहुंच रहे हैं। रिम्स मेडिसिन विभाग के डा. संजय कुमार सिंह बताते हैं कि अभी डेंगू जोंडिस न्यूमोनिया और सांस फूलने के लक्षण के साथ मरीज अधिक पहुंच रहे हैं।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Mon, 08 Nov 2021 10:31 AM (IST)Updated: Mon, 08 Nov 2021 10:39 AM (IST)
Cold Related Illness: अस्‍पतालों में दिख रहा ठंड का असर, बढ़ने लगे वायरल बुखार-डेंगू, जोंडिस-न्‍यूमोनिया और सांस फूलने के मरीज
Jharkhand News, Health News मेडिसिन ओपीडी में भी 60 प्रतिशत मरीज मौसमी बीमारी को लेकर पहुंच रहे हैं।

रांची, जासं। मौसम में लगातार बदलाव के बाद ठंड बढ़ने लगी है। रांची का तापमान 13 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है। इसके बाद अस्पतालों में मौसमी बीमारी के मरीजों की संख्या भी बढ़ने लगी है। रिम्स में वायरल बुखार के मरीज बड़ी संख्या में दिख रहे हैं। पोस्ट कोविड मरीजों के बाद अधिकतर मरीज वायरल बुखार के ही भर्ती हैं। मेडिसिन ओपीडी में भी 60 प्रतिशत मरीज मौसमी बीमारी को लेकर पहुंच रहे हैं। रविवार को रिम्स का ओपीडी बंद रहने के कारण इमरजेंसी में ही गंभीर मरीजों से अधिक लोग वायरल की समस्या लेकर पहुंचे थे।

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रिम्स मेडिसिन विभाग के डा. संजय कुमार सिंह बताते हैं कि अभी डेंगू, जोंडिस, न्यूमोनिया और सांस फूलने के लक्षण के साथ अधिक मरीज पहुंच रहे हैं। डेंगू के मरीजों को भर्ती वैसी ही हालत में किया जाता है, जब प्लेटलेट्स काउंट 40 हजार से कम हो जाता है। दो मरीज को भर्ती किया गया था, पर प्रतिदिन दो से तीन मरीज डेंगू के लक्षण के साथ आ रहे हैं, पर ओपीडी से ही वापस हो जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि मौसम में बदलाव के कारण वायरल मरीजों की संख्या भी ओपीडी में बढ़ी है। ओपीडी में आने वाले 50 फीसदी से अधिक मरीजों में वायरल संक्रमण के लक्षण हैं।

ठंड में बढ़ रहे ब्रेन स्ट्रोक के मामले

न्यूरोलॉजी विभाग के चिकित्सक डा. सुरेंद्र ने बताया कि ठंड में ब्रेन हेमरेज के मामले तीन गुणा बढ़ जाते हैं। ऐसा बीपी लगातार बढ़ने से होता है। इसका मुख्य कारण धमनियों के सिकुड़न के कारण होता है। बीपी के मरीजों को नियमित जांच कराते रहना चाहिए। मफलर, टोपी सहित अन्य गर्म कपड़ों का उपयोग करते रहना है, ताकि ठंड नहीं लगे। डा. सुरेंद्र ने बताया कि ब्रेन हेमरेज के शिकार अधिकतर लोगों को स्ट्रोक सुबह-सुबह आता है। उन्होंने सलाह दी है कि बीपी, शुगर जैसे मरीजों को ठंड में बाहर निकलने से बचना चाहिए। ऐसे लोगों को मार्निंग वॉक पर मौसम साफ होने पर ही जाना चाहिए। क्योंकि ठंड कभी भी नुकसान पहुंचा सकती है।

इस ठंड में अस्थमा के मरीज हो जाएं सतर्क

कोरोना से ठीक हुए मरीजों में अस्थमा के लक्षण देखे जा रहे हैं। खासकर ठंड में ऐसे पोस्ट कोविड मरीजों की परेशानी बढ़ सकती है। छाती रोग विशेषज्ञ डा. ब्रजेश मिश्रा ने बताया कि ठंड का पारा जैसे ही नीचे जाएगा, अस्थमा की शिकायत के साथ मरीजों की संख्या दोगुनी तक हो जाएगी। उन्होंने बताया कि ठंड के दिनों में बहने वाली ठंडी हवा से लोगों को बचना चाहिए। मौसम जब भी बदलता है, मरीजों को खुद सतर्क हो जाना चाहिए।


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