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मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा-बंद करा कर दम लेंगे कोयले में माफियागिरी

मुख्यमंत्री रघुवर दास ने जोर देकर कहा है कि कोयले में माफियागिरी पूरी तरह बंद कराना होगा।

By JagranEdited By: Published: Sat, 25 Aug 2018 11:28 AM (IST)Updated: Sat, 25 Aug 2018 11:28 AM (IST)
मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा-बंद करा कर दम लेंगे कोयले में माफियागिरी
मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा-बंद करा कर दम लेंगे कोयले में माफियागिरी

रांची, राज्य ब्यूरो। मुख्यमंत्री रघुवर दास ने जोर देकर कहा है कि कोयले में माफियागिरी पूरी तरह बंद करानी है। इसके लिए उन्होंने सुझाव भी दिए हैं। कोयला सचिव समेत विभिन्न कोल कंपनियों के अधिकारियों संग प्रोजेक्ट भवन सचिवालय में बैठक के दौरान उन्होंने कहा कि कोयला कंपनियां विभिन्न योजनाओं से विस्थापित हुए लोगों का सहकारी संगठन बनाएं।

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सहकारी संगठनों के माध्यम से ही कोयले की ढुलाई की जाए। इससे कोयला क्षेत्र में माफियागिरी पर लगाम लगाई जा सकेगी। कोल माइंस से विस्थापित परिवारों की को-ऑपरेटिव बनाकर उन्हें कोयला ट्रासपोर्टेशन की पूरी जिम्मेदारी सौंपनी चाहिए।

सीएम ने कहा कि सहकारी समिति के माध्यम से काम होने से विस्थापित परिवारों को आय भी होगी और अपराध पर नियंत्रण भी लगेगा। साथ ही कोयले के ट्रासपोर्टेशन के लिए आधुनिक तकनीक का सहारा लेकर गड़बड़ी को रोका जा सकता है।

आइटी के माध्यम से भ्रष्टाचार पर लगाम लगाई जा सकती है। कोयला सचिव डॉ. इंद्रजीत सिंह ने भरोसा दिलाया कि मुख्यमंत्री के सुझाव पर तत्काल अमल किया जाएगा।

बैठक में विभिन्न कोल कंपनियों सीसीएल, बीसीसीएल व इसीएल के सीएमडी ने अपने-अपने क्षेत्र में हो रहे कायरें की जानकारी दी। इस दौरान मुख्य सचिव सुधीर त्रिपाठी, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव सुनील कुमार वर्णवाल समेत अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

झरिया पुनर्वास फास्ट ट्रैक पर

धनबाद में अग्नि प्रभावित झरिया में पुनर्वास काम तेज होगा। इसके लिए गठित हाई पॉवर कमेटी में भी यह निर्णय हुआ है। बैठक में बताया गया कि पारंपरिक तरीके से चल रहे पुनर्वास के काम से इतर नई तकनीक से भी काम होगा। सर्वे का काम दो साल में पूरा हो जाएगा।

चंद्रपुरा रेल लाइन पर फैसला रिपोर्ट के बाद

बंद किए गए चंद्रपुरा रेल लाइन पर फैसला खान सुरक्षा महानिदेशालय (डीजीएमएस) की रिपोर्ट आने के बाद होगा। बैठक में बीसीसीएल, सीसीएल एवं ईसीएल के अधिकारियों ने खनन में हो रही परेशानियों का भी मसला उठाया। इसमें जमीन अधिग्रहण, जमीन की उपलब्धता, रास्ता आदि के मसले शामिल थे।


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