Jharkhand Foundation Day: सीएम हेमंत सोरेन ने कहा, सरकार सभी को रोजगार से जोड़ने को नियमावली में करवा रही सुधार
Jharkhand Foundation Day झारखंड के स्थापना दिवस पर आयोजित मुख्य कार्यक्रम में राज्यपाल रमेश बैस और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की मौजूदगी में आयोजित कार्यक्रम में सहाय खेल योजना सार्वभौमिक पेंशन योजना के साथ-साथ फूलो-झानो आशीर्वाद योजना और सोना सोबरन धोती साड़ी योजना की अगली कड़ी की शुरुआत हुई।
रांची, जासं। झारखंड के स्थापना दिवस के मौके पर सोमवार को आयोजित मुख्य कार्यक्रम में 680 शिक्षकों को नियुक्ति पत्र देने की घोषणा के साथ आठ लोगों को सांकेतिक तौर पर नियुक्ति पत्र दिया भी गया। राज्यपाल रमेश बैस और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की मौजूदगी में आयोजित कार्यक्रम में सहाय खेल योजना, सार्वभौमिक पेंशन योजना के साथ-साथ फूलो-झानो आशीर्वाद योजना और सोना सोबरन धोती साड़ी योजना की अगली कड़ी की शुरुआत हुई। इसके अलावा कई और योजनाओं की शुरुआत इस कार्यक्रम के दौरान हुई।
जनजातीय भाषा की 45 बाल पुस्तकों के विमोचन के साथ ही इन भाषाओं के अनुवादकों को सम्मानित किया गया। मुख्यमंत्री ने सभी को एक-एक लाख रुपये के पुरस्कार की घोषणा भी की।कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि झारखंड के निर्माण और विकास में किसान, मजदूर, खिलाड़ियों आदि का भी महत्वपूर्ण योगदान है। इनके बारे में कई बार बदहाली की खबरें पढ़ने को मिलती हैं। राष्ट्रीय खिलाड़ी के बारे में रेजा-मजदूरी किए जाने की सूचनाएं सामने आती हैं। सरकार ने सुनिश्चित किया है कि यहां खिलाड़ियों को भी सीधी नियुक्ति दी जाएगी। इसकी शुरुआत भी कर दी गई है।
स्थानीय लोगों को रोजगार मुहैया कराने के लिए राज्य सरकार ने सभी विभागों में नियमावली को संशोधित करवाने का काम शुरू कराया है। उन्होंने याद दिलाया कि कई विभागों में तो अभी तक नियमावली बनी नहीं थी। रोजागार के नाम पर पूर्व की सरकार ने ठेके पर कर्मियों को बहाल कर लिया था। धीरे-धीरे स्थिति अराजक हो गई है। सीएम ने कहा कि समाज के विकास में भाषाओं का सबसे अधिक योगदान है और अब राज्य में भाषाओं के आधार पर रोजगार देने का प्रबंध किया जा रहा है। राज्य से दसवीं और बारहवीं पास करनेवाले लोगों को रोजगार देने का निर्णय लिया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हड़िया बेचनेवाली महिलाओं के जीवन स्तर में सुधार का प्रयास राज्य सरकार कर रही है। 15 हजार से अधिक महिलाओं ने यह काम छोड़कर स्वरोजगार को अपनाया है।
ऐसी महिलाओं के जीवन स्तर में सुधार के लिए और भी प्रयास किए जा रहे हैं।झारखंड राज्य संघर्ष की उपज है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने धरती आबा बिरसा मुंडा की जयंती और राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर कहा कि आज का दिन हम सभी के लिए ऐतिहासिक और गौरवान्वित करने वाला है। लेकिन, हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि झारखंड राज्य एक आंदोलन की उपज है। यहां के आदिवासियों, मूलवासियों ने इसके लिए लंबे समय तक संघर्ष किया। कई ने अपनी शहादत दी। आज हम झारखंड के इन वीर सपूतों और शहादत देने वालों को याद करने के साथ उनके सपनों का झारखंड बनाने का संकल्प लें।
वीरों की धरती है झारखंड मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड वीरों की धरती रही है। राज्य के हर कोने से वीर निकले हैं, जो समाज और देश के लिए शहीद हो गए। इतना ही नहीं झारखंड की धरती पर समय-समय पर ऐसी विभूतियों ने जन्म लिया है, जिन्होंने अपनी दूरदर्शिता से समाज और देश को एक नई दिशा दी। उन्होंने यह भी कहा कि अगर साल के 365 दिनों की बात करें तो इनमें से आधा वर्ष हम इन वीर सपूतों की जयंती और शहादत दिवस मनाते हैं ।धरती आबा संघर्ष और संकल्प का प्रतीक भगवान बिरसा मुंडा एक ऐसे वीर सपूत हैं, जिन्हें पूरी दुनिया धरती आबा के नाम से जानती है। धरती आबा का निहितार्थ हम सभी को समझने की जरूरत है।
धरतीआबा एक ऐसा संघर्ष और संकल्प है, जिन्होंने जल, जंगल, जमीन, संस्कृति परंपरा तथा सभ्यता और देश की खातिर सहज ही अपनी शहादत दे दी। जनजातीय समुदाय को सशक्त बनाने का हो रहा काम मुख्यमंत्री ने कहा कि जनजातीय समाज विकास के मामले में थोड़ा पीछे हैं लेकिन, समय के साथ उनका संघर्ष जारी है। सरकार उन्हें सशक्त बनाने की दिशा में प्रयास कर रही है। इसी का नतीजा है कि अब यह समुदाय सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक रूप से मजबूत हो रहा है। उन्होंने कहा कि जनजातीय समाज में किसी तरह का कोई भेदभाव नहीं है, लेकिन कुछ कतिपय कारण या व्यवस्थाएं हैं जो इसे विभाजित करने की कोशिश करती हैं। इनसे हमें हर हाल में सतर्क रहने की जरूरत है। दो दशकों में आशा अनुरूप नहीं हो सका विकास मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड के अलग राज्य बने 21 साल हो गए हैं। लेकिन राज्य का जो अपेक्षित विकास होना चाहिए था, वह नहीं हो सका।
खनिज और प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर इस राज्य की भावनाओं को समझने की कोशिश नहीं की गई। अगर शुरू से इस दिशा में गंभीरता से पहल होती तो झारखंड निश्चित तौर पर देश के अव्वल और विकसित राज्यों में होता। लेकिन, अब सरकार में लोगों को हिस्सेदार बना कर विकास को नया आयाम दिया जा रहा है। राज्य में ज्यादा से ज्यादा नौजवानों को रोजगार मिले, इसके लिए सारी प्रक्रियाएं पूरी कर ली गई हैं।
सबके सहयोग से ही विकास संभव ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि नई सरकार के लगभग दो वर्ष पूरे हो गए हैं और इन दो वर्षों में अधिक वक्त परेशानियों के बीच बीता है। कोविड के कारण आर्थिक गतिविधियां बंद ही रही हैं। इस दौरान डाक्टरों, नर्स और पुलिस ने समाज के लिए बहुत कुछ किया। मुख्यमंत्री की सोच के अनुसार राज्य में महिलाओं को हड़िया दारू बेचने से मुक्ति दिलाने को अनोखा प्रयास चल रहा है। बीते दिनों की समीक्षा कर कमियों और खामियों को दूर करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
राज्य में सबके सहयोग से ही विकास संभव है। इसके पूर्व स्वागत भाषण मंत्री सत्यानंद भोक्ता ने किया। कोरोना से पहली जीत हेमंत सरकार की, प्रत्यक्ष उदाहरण मैंशिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन में कहा कि कोरोना के खिलाफ लड़ाई में पहली जीत हेमंत सरकार ने जीती है। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण वे (जगरनाथ महतो) स्वयं हैं। उन्हें मुर्दा के रूप में चेन्नई भेजा गया था, लेकिन हेमंत सोरेन ने जिन्दा लाने का काम किया।
राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर फूलो-झानो आशीर्वाद अभियान के तहत हड़िया, दारू बेचना छोड़कर दूसरे रोजगार करनेवाली नवजीवन सखियों को भी सम्मानित किया गया। इनमें रनिया, खूंटी की कमला देवी, बुढ़मू की सुषमा देवी, कलावती देवती, बसंती देवी, खूंटी की अनोखी देवी शामिल हैं। इनमें से कमला देवी राशन दुकान चलाती हैं। बसंती देवी हड़िया बेचना छोड़कर अब बकरी पालन कर रही है तथा छोटा सा होटल भी चला रही है। इस अवसर पर इस योजना के दूसरे चरण की शुरुआत हुई तथा वेबपोर्टल व डैशबोर्ड की लांचिंग हुई। 500 पैक्स-लैम्प्स को दो-दो लाख राज्य सरकार ने 500 पैक्स-लैम्पस और व्यापार मंडल को दो-दो लाख रुपये क्रियाशील पूंजी के रूप में प्रदान किए। कार्यक्रम में सांकेतिक रूप से कुछ पैक्स-लैम्पस को इसका चेक प्राप्त हुआ।