Corona in Jharkhand: झारखंड में मंत्री बन्ना गुप्ता और सचिव नितिन कुलकर्णी में खिंची तलवारें
अपने विभाग के प्रधान सचिव डॉ नितिन मदन कुलकर्णी को पद से हटाने के लिए मुख्यमंत्री तक शिकायत पहुंचाने वाले स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता अब खुलकर आमने-सामने आ गए हैं।
रांची, राज्य ब्यूरो। Jharkhand Corona News Update अपने विभाग के प्रधान सचिव डॉ नितिन मदन कुलकर्णी को पद से हटाने के लिए मुख्यमंत्री तक शिकायत पहुंचाने वाले स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने उनपर कई मामलों में अपनी उपेक्षा का आरोप लगाया है। उन्होंने अपनी शिकायत में यहां तक कहा है कि राज्य में लॉक डाउन लागू करने पर भी उनकी स्वीकृति नहीं ली गई। कोरोना पर नियंत्रण को लेकर विभाग द्वारा जारी कई आदेशों एवं पत्रों पर भी उनका अनुमोदन नहीं है। उन्होंने इसे कार्यपालिका नियमावली के विरुद्ध बताया है। हालांकि स्वास्थ्य सचिव ने भी मंत्री के सारे आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि नीतिगत मामले के अलावा सभी अन्य जरूरी मामले में उनसे स्वीकृति ली गई है। कुछ निर्णय मुख्यमंत्री की बैठक में लिए गए। सिर्फ रूटीन कार्यों में ही मंत्री की अनुमति नहीं ली गई।
उन्होंने अपने जवाब में यह भी कहा कि कार्यपालिका नियमावली के तहत मंत्री विभाग के मामलों के निष्पादन के लिए स्थाई आदेश जारी कर सकते हैं, लेकिन स्वास्थ्य विभाग में ऐसा कोई आदेश जारी नहीं हुआ जिन पर मंत्री की स्वीकृति नहीं ली गई। सूत्र बताते हैं कि स्वास्थ्य मंत्री सचिव को पद से हटाना चाहते हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री से मिलकर अपनी बात कही है। सूत्रों ने बताया कि स्वास्थ्य सचिव भी अपना पक्ष मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के समझ रख चुके हैं। इस मामले पर नौकरशाही भी सक्रिय है।
कहा जा रहा है कि कोरोना काल में यदि स्वास्थ्य सचिव को हटाया जाता है तो इससे दिक्कतें खड़ी हो सकती हैं। इसका संदेश भी ठीक नहीं जाएगा। गठबंधन सरकार में कांग्रेस कोटे से मंत्री बन्ना गुप्ता इस मामले में संगठन में भी अकेल पड़ गए हैं। सूत्रों ने बताया इस मामले में कांग्रेस कोटे के ही कोई भी अन्य मंत्री उनके रुख से सहमत नहीं है। इससे मुख्यमंत्री भी वाकिफ हैं इसीलिए वह फिलहाल चुप हैं।
इस बीच रिम्स के निदेशक डा. डीके सिंह को अभी कार्यमुक्त न करने का भी निर्देश जारी हो गया है। गौरतलब है स्वास्थ्य मंत्री ने उन्हेंं भी कार्यमुक्त करने की संस्तुति की थी। रिम्स निदेशक का एम्स भटिंडा के लिए कार्यकारी निदेशक के रूप में चयन हो चुका है। अब वह जब तक चाहें यहां सेवा दे सकते हैं। वैसे भी वह कोरोना के बीच में भटिंडा नहीं जाना चाह रहे थे।
क्या हैं मंत्री के आरोप, सचिव ने क्या दिए जवाब
आरोप : झारखंड में लागू लॉक डाउन के निर्णय पर मंत्री से अनुमति नहीं ली गई।
प्रधान सचिव का जवाब : 22 मार्च को प्रधानमंत्री के आह्वान पर स्वैच्छिक लॉक डाउन का पालन किया जा रहा था। इसी दिन मुख्यमंत्री ने शाम में अपने आवास पर बैठक की जिसमें विकास आयुक्त सहित कई पदाधिकारी उपस्थित थे। इसी बैठक में 22 मार्च को मध्य रात्रि से राज्य में लॉक डाउन लागू करने का निर्णय लिया गया। यह लॉक डाउन का आदेश झारखंड राज्य महामारी रोग विनियमन, 2020 में निहित शक्तियों के तहत जारी किया गया। इस विनियमन पर विभागीय मंत्री और कैबिनेट की स्वीकृति प्राप्त है।
आरोप : राज्य से लेकर पंचायत स्तर पर समन्वय समितियों और राज्य स्तरीय नियंत्रण कक्ष के गठन पर भी मंत्री की अनुमति नहीं ली गई।
प्रधान सचिव का जवाब : मुख्यमंत्री की उक्त बैठक में ही इसपर निर्णय लिया गया। इसी आलोक में पत्र जारी हुआ।
आरोप : रिम्स के माइक्रोबायोलॉजी विभाग में कोरोना की जांच को लेकर विभिन्न जिलों को जारी आदेश में भी उनकी स्वीकृति नहीं ली गई।
प्रधान सचिव का जवाब : रिम्स के माइक्रोलॉजी विभाग में कोरोना की जांच की स्वीकृति आइसीएमआर ने दी है। इसकी जानकारी ही सभी जिलों को दी गई। यह रूटीन पत्राचार है कोई नीतिगत फैसला नहीं।
आरोप : राज्य स्तरीय नियंत्रण कक्ष के कर्तव्य तथा दायित्व के निर्धारण में भी अनुमति नहीं ली गई।
प्रधान सचिव का जवाब : यह रूटीन प्रकृति का निर्णय है, कोई नीतिगत निर्णय नहीं। नीतिगत निर्णय में अनिवार्य रूप से मंत्री की स्वीकृति ली जाती है।
आरोप : टास्क फोर्स के आदेशों को लागू करने को लेकर भेजे गए पत्रों पर भी अनुमति नहीं ली गई।
प्रधान सचिव का जवाब : मेडिकल रिस्पांस मैनेजमेंट टास्क फोर्स तथा पब्लिक हेल्थ सॢवलांस टास्क फोर्स का गठन गृह, कारा एवं आपदा विभाग द्वारा लिया गया, जिसमें मुझे अध्यक्ष बनाया गया। सर्वविदित है कि बैठक की कार्यवाही के प्रारूप पर हस्ताक्षर अध्यक्ष का ही होता है।
इस संबंध में मुझे अब कुछ नहीं कहना है। मैंने अपनी बात मुख्यमंत्री के समक्ष रख दी है। बन्ना गुप्ता, स्वास्थ्य मंत्री।