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मारपीट के मामले में झारखंड के नगर विकास मंत्री सीपी सिंह बरी

झारखंड के नगर विकास मंत्री सीपी सिंह के अधिवक्ता रण विजय सिंह ने बताया कि मामले को लेकर डोरंडा थाना में काड संख्या 504/ 14 के तहत प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी।

By Edited By: Published: Wed, 23 May 2018 12:05 PM (IST)Updated: Wed, 23 May 2018 05:59 PM (IST)
मारपीट के मामले में झारखंड के नगर विकास मंत्री सीपी सिंह बरी
मारपीट के मामले में झारखंड के नगर विकास मंत्री सीपी सिंह बरी

जागरण संवाददाता, रांची। झारखंड के नगर विकास मंत्री सीपी सिंह सहित आठ नेता आज न्यायिक दंडाधिकारी परमानंद उपाध्याय की अदालत में सभी उपस्थित हुए। इसमें सीपी सिंह सहित अन्य नेताओं में संजय कुमार जायसवाल, राकेश शर्मा, राजेश सिंह, कुणाल सिंह, अजीत दास, मिंटू सरदार और सुनील शर्मा शामिल थे। अदालत सभी नेताओं को साक्ष्यों के अभाव में बरी कर दिया है।

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जानें, क्या है मामला
यह मामला भाजपा और जेएमएम कार्यकर्ताओं के बीच झड़प व मारपीट से संबंधित है। सीपी सिंह के अधिवक्ता रण विजय सिंह ने बताया कि मामले को लेकर डोरंडा थाना में काड संख्या 504/ 14 के तहत प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। इसमें आरोप था कि 23 अगस्त 2014 को केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर राची आए हुए थे। वे एयरपोर्ट से निकले थे। इसी दौरान हिनू चौक के पास जेएमएम कार्यकर्ताओं ने काला झडा दिखाकर केंद्रीय मंत्री तोमर का विरोध जता रहे थे। इसी बीच, भाजपा और जेएमएम के नेताओं के बीच झड़प हुई। भाजपा नेताओं पर आरोप है कि जेएमएम नेताओं पर लाठी डंडे से हमला किया था।

आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे पांच सजायाफ्ता बरी:
झारखंड हाई कोर्ट में मंगलवार को बंधु अहीर हत्याकांड मामले में आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे पांच अभियुक्तों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया। जस्टिस आनंद सेन व जस्टिस कैलाश प्रसाद देव की कोर्ट ने इस मामले में सोराई मुंडा, भदुरा मुंडा, बुधन मुंडा, मुकुंद मुंडा और डोम्बा मुंडा को बरी करते हुए जेल से रिहा करने का आदेश दिया। सुनवाई के दौरान वरीय अधिवक्ता एके कश्यप ने कोर्ट को बताया कि बंधु अहीर हत्याकांड में उसकी पत्नी सीता देवी ने प्राथमिकी दर्ज कराई थी। प्राथमिकी में चश्मदीद गवाह के तौर पर कहा था कि उसके पति की चार अज्ञात लोगों ने गोली मारकर हत्या कर दी है। प्राथमिकी में इन पांचों पर षड़यंत्र रचने का आरोप लगाया गया। लेकिन सीता देवी ने कोर्ट में गवाही दर्ज कराने के दौरान कहा कि इन पांचों अभियुक्तों ने ही उसके पति की गोली मारकर हत्या की है।

वादी की ओर से कहा गया कि ऐसे में बंधु की पत्नी की गवाही विश्वसनीय नहीं है। जबकि गांव के दो अन्य गवाह भी अपने बयान से मुकर गए। कोर्ट ने इसी आधार पर पांचों अभियुक्तों को बरी करने का निर्देश दिया। वहीं, जिस जमीन विवाद को लेकर बंधु की हत्या हुई थी। उसका कागजात भी निचली कोर्ट में जमा नहीं किया गया। इस मामले में कुल सात गवाही हुई थी। अधिवक्ता अनुराग कश्यप ने हाई कोर्ट में पक्ष रखने में सहयोग किया।

यह है मामला
नामकुम थाना क्षेत्र के राजा उलातू गांव के रहने वाले बंधु अहीर की 26 नवंबर 2010 को दिन के एक बजे गोली मारकर हत्या कर दी गई। उस समय बंधु अपनी पत्नी सीता देवी को ईलाज के लिए रामपुर ले जा रहा था। सीता देवी इस मामले की चश्मदीद गवाह थी और उन्होंने इस मामले में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। इस मामले में निचली अदालत ने 26 अगस्त 2016 को पांचों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।


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