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Jharkhand Politics: झारखंड के मुख्‍यमंत्री हेमंत सोरेन बोले, शोषण के खिलाफ आवाज उठाना हमारी पहचान

Jharkhand CM Hemant Soren मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्यसभा सदस्य शिबू सोरेन के जन्मदिन पर उनके संघर्ष से जुड़ी तीन पुस्तकों का लोकार्पण किया। कहा कि झारखंड में हमेशा से संघर्ष की परंपरा रही है। शोषण के खिलाफ हमेशा आवाज उठाई गई है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Mon, 11 Jan 2021 08:06 PM (IST)Updated: Mon, 11 Jan 2021 09:43 PM (IST)
Jharkhand Politics: झारखंड के मुख्‍यमंत्री हेमंत सोरेन बोले, शोषण के खिलाफ आवाज उठाना हमारी पहचान
Hemant Soren झारखंड के मुख्‍यमंत्री हेमंत सोरेन। जागरण

रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड में निवास करने वाले लोगों ने लंबा संघर्ष किया है। यह राज्य लंबे संघर्ष की उपज है। संघर्ष के प्रारंभिक दिनों में शिक्षा का अभाव था। यही वजह था कि कई लोगों की गाथा सहेज कर नहीं रखी गई। समाज में कई ऐसे लोग भी रहे, जिन्होंने इस संघर्ष को करीब से देखा, समझा और उसे संजोकर रखने का प्रयास किया। कुछ लोग अपने संघर्ष की ऐसी छाप लोगों के दिलों में छोड़ते हैं कि उन्हें कागजों में उतारना गौरव की बात होती है। ये बातें मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्यसभा सदस्य शिबू सोरेन के जन्मदिन के अवसर पर उनके संघर्ष से जुड़ी तीन पुस्तकों के लोकार्पण समारोह में कही।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि वास्तव में आज का दिन गुरुजी और पुस्तक के लेखक का है। लेखक ने इस वीर भूमि के इतिहास को संजोकर युवाओं के साथ-साथ बच्चों को इतिहास को समझाने का प्रयास किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड में हमेशा से संघर्ष की परंपरा रही है। शोषण के खिलाफ हमेशा आवाज उठाई गई। जब देश आजादी के सपने नहीं देखता था, उस समय से यहां के लोगों ने संघर्ष का इतिहास लिखना प्रारंभ किया था। यहां के लोगों में संघर्ष करने की शैली अलग-अलग रही, जिसमें उन्होंने अपनी दक्षता का प्रदर्शन कर जंग जीता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार राज्य की आंतरिक और बाह्य क्षमता को करीब से देख रही है। यह प्रयास किया जा रहा है कि जिस उद्देश्य से हमारे पूर्वजों ने अलग राज्य के लिए जंग लड़ी, इतिहास बनाया, उन सपनों को कैसे पूरा किया जाए। राज्य में क्षमता की कमी नहीं, कमी चेतना की है।

अगर वह चेतना हम जगा पाए, तो निश्चित रूप से राज्य आने वाले समय में आंतरिक और बाह्य क्षमता से देश के अग्रणी राज्यों से आगे जा सकता है। पीड़ा देने वाली चीजों का सफाया खुद हो सकता है। इस अवसर पर मंत्री चंपई सोरेन, डाॅ. रामेश्वर उरांव, मिथिलेश कुमार ठाकुर, बन्ना गुप्ता, बादल, सत्यानंद भोक्ता, विधायक  मथुरा महतो, बसंत सोरेन, मंगल कालिंदी, इरफान अंसारी, पुस्तकों के लेखक अनुज कुमार सिन्हा, डाॅ. पीयूष कुमार प्रमुख तौर पर उपस्थित थे

बदलाव बोलने से नहीं, करने से होगा : शिबू सोरेन

राज्यसभा सदस्य शिबू सोरेन ने कहा कि पुस्तक में महाजनी आंदोलन के संबंध में लिखा गया है। इस प्रथा का अंत भी हुआ। झारखंड अलग राज्य के लिए आंदोलन किया। आज हम सब अलग झारखंड राज्य में हैं। लेकिन अभी तक आदिवासिसी, किसान और मजदूर कमोबेश लाभान्वित नहीं हो सके हैं। उन्होंने उपस्थित लोगों को महाजनी प्रथा के खिलाफ किए गए आंदोलन की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सैकड़ों मुकदमे लड़े गए। खेती करने वालों के हक के लिए सालों प्रयास होते रहे।

फिर एक दिन मेहनत करने वालों के खेत से धान खलिहान और फिर खलिहान से घर आया। शिक्षा को लेकर भी जागरूकता से संबंधित कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। शराब-हडिय़ा के खिलाफ भी लोगों को जागरूक किया गया। इसकी रोकथाम के लिए प्रयास बोलने से नहीं, करने से होगा। जंगल संरक्षण की दिशा में भी कार्य होना चाहिए। पर्यावरण संरक्षण बेहद जरूरी है। जंगल बचाओ आंदोलन जरूरी है।


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