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सीएनआइ-छोटानागपुर डायोसिस के बीच चल रहा शह-मात का खेल

सीएनआइ (चर्च ऑफ नॉर्थ इंडिया) और ऑटोनोमस छोटानागपुर डायोसिस का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 22 Oct 2020 01:53 AM (IST)Updated: Thu, 22 Oct 2020 05:09 AM (IST)
सीएनआइ-छोटानागपुर डायोसिस के बीच चल रहा शह-मात का खेल
सीएनआइ-छोटानागपुर डायोसिस के बीच चल रहा शह-मात का खेल

जागरण संवाददाता, रांची : सीएनआइ (चर्च ऑफ नॉर्थ इंडिया) और ऑटोनोमस छोटानागपुर डायोसिस के बीच शह-मत का खेल जारी है। दोनों ही पक्ष के शीर्ष नेतृत्व पुन: एकीकरण का समर्थन तो कर रहे हैं लेकिन निचले स्तर पर एक-दूसरे को निपटाने में लगे हुए हैं। सीएनआइ और छोटानागपुर डायोसिस के बीच आपसी रिश्तों की दरार चौड़ी हो गई है जिसे पाटना मुश्किल लग रहा है। इस बीच सीएनआइ की ओर से जहां तल्ख टिप्पणी की जा रही है वहीं अब तक मुखर रहे ऑटोनोमस डायोसिस ने चुप्पी साध रखी है। इसकी एक वजह सीएनआइ द्वारा की गई आर्थिक नाकेबंदी है। 17 जुलाई को सीएनआइ से स्वतंत्र होने के बाद छोटानागपुर डायोसिस के तहत संचालित तमाम संस्थान एवं पुरोहितों को वेतन के लाले हैं।

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अनेक बुराइयों से घिरा है छोटानागपुर डायोसिस :बिशप ओके तिर्की

बुधवार को पटना डायोसिस के बिशप पीपी मरांडी ने दुर्गापुर डायोसिस के सेवानिवृत्त बिशप का पत्र सीएनआइ सदस्यों के नाम जारी किया गया। आम विश्वासियों के नाम जारी पत्र में कहा गया कि छोटानागपुर डायोसिस असंवैधानिक रूप से सीएनआइ से अलग हुआ। वर्तमान में डायोसिस शत्रुता, घृणा जैसी बुराइयों से घिरा हुआ है। डायोसिस का मुख्य चरवाहा (बिशप बीबी बास्के) ने एक भेड़ (प्रो. जयंत अग्रवाल) के भटक जाने के कारण अपने अधीनस्थ सितारों को समेट कर एक नई कलीसिया बना ली। अच्छा होता कि भटके हुए भेड़ को वापस लाने के लिए तन-मन-धन लगा दिया होता। चरवाहे के इस निर्णय से कलीसिया गैर मसीहियों के बीच में अपमानित हो गई। इनलोगों ने प्रभु यीशु का नाम बदनाम किया है। चरवाहे के साथ पुरोहितों का एक बड़ा समूह भी गुमराह हो गया है।

यह भी कहा कि अपनी बुरी आत्मा के लिए अपना वेतन, प्रोविडेंट फंड, एलआइसी आदि की परवाह न कर प्रभु की कलीसिया के प्रति घृणा, तिरस्कार और क्रूर शब्दों का व्यवहार कर रहे हैं। झूठ, धोखाधड़ी और लोभ जीवन का अंग बन गया है। प्रभु से प्रार्थना करें कि दुष्ट की गुलामी से मुक्ति मिले और वापस प्रभु की ओर बढ़ें।

जिसने पालन-पोषण किया उसी को लात मारकर बाहर चले गए

जारी पत्र में बिशप बीबी बास्के के खिलाफ कठोर टिप्पणी की गई है। कहा है कि जिस कलीसिया ने उसे प्रभु की सेवा के लिए चुना। आदर के साथ अभिषेक दे कर डायोसिस में रखा। प्रति माह भरपूर वेतन देकर लालन-पालन किया, उसी को लात मार कर स्वतंत्र हो गए।


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