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मुश्किल हालात में नहीं टूटी, चैंपियन बन गई ब्यूटी

रांची सिमडेगा के केरसई में ब्यूटी सिर्फ नाम में ही नहीं है। खेल में भी है। जूनियर नेश

By JagranEdited By: Published: Sat, 23 Feb 2019 01:39 AM (IST)Updated: Sat, 23 Feb 2019 01:39 AM (IST)
मुश्किल हालात में नहीं टूटी, चैंपियन बन गई ब्यूटी
मुश्किल हालात में नहीं टूटी, चैंपियन बन गई ब्यूटी

रांची : सिमडेगा के केरसई में ब्यूटी सिर्फ नाम में ही नहीं है। खेल में भी है। जूनियर नेशनल हॉकी प्रतियोगिता में चैंपियन का खिताब ब्यूटी डुंगडुंग को यूं ही नहीं मिला। गरीबी में चुनौतियों से मुकाबला करते हुए वह यहां तक पहुंची है। चलना सीखा तो खिलौने के रूप में हॉकी पसंद किया। जब खेल की बारी आई तो साधन नहीं थे, छड़ी को ही हॉकी स्टिक बनाकर आजमाना शुरू किया।

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सिमडेगा जिले के केरसई प्रखंड के बासने पंचायत के बैजूटोली की रहने वाली ब्यूटी को वैसे तो हॉकी की प्रतिभा विरासत में ही मिली है, लेकिन गरीब व आर्थिक तंगहाली के बीच उसने हॉकी में मुकाम हासिल करने के लिए कड़ा संघर्ष किया है। इसके पीछे उसके जज्बे व जुनून का अहम स्थान रहा। ब्यूटी के दादा जुएल डुंगडुंग भी एक अच्छे हॉकी खिलाड़ी रहे हैं। आंख खुलते ही दादा आदर्श और प्रेरणा के स्रोत बन गए। घर में ही हॉकी की पाठशाला मिल गई। माहौल मिल गया। ब्यूटी ने तीन वर्ष की उम्र से ही हॉकी स्टिक एवं बॉल से खेलना शुरू कर दिया। हालांकि उस वक्त ब्यूटी का परिवार आर्थिक तंगहाली के दौर से गुजर रहा था।

परिवार में खेती के अलावा आय का कोई और साधन नहीं था। खेल के लिए संसाधन जुटाना कठिन था। मां ने साथ दिया। ब्यूटी की मां नीलिमा डुंगडुंग धान बेचकर अपनी बच्ची की आर्थिक जरूरतें पूरी करतीं और सदा आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करतीं। ब्यूटी की मां नीलिमा ने बताया कि ब्यूटी का शुरू से ही हॉकी के प्रति लगाव था। पहले बांस से बनी हॉकी स्टिक से ही हॉकी खेलती थी। बाद में ब्यूटी के पिता कमाने के लिए परदेश चले गए। जिससे परिवार को थोड़ी राहत मिली। इधर 2014 में ब्यूटी डुंगडुंग का चयन आवासीय हॉकी प्रशिक्षण केंद्र में हो गया। जहां कोच प्रतिमा बरवा, मनोज कोनबेगी आदि के मार्गदर्शन में ब्यूटी का खेल दिन-प्रतिदिन निखरता गया।

सुधार आता गया। 2017 नेशनल जूनियर हॉकी में गोल्ड मेडल हासिल करने वाली झारखंड टीम में ब्यूटी मजबूत सदस्य रहीं। इसके साथ ही 2018 में जूनियर नेशनल में गोल्ड, 2018-19 में खेलो इंडिया सिल्वर तथा 2019 में जूनियर नेशनल में पुन:गोल्ड मेडल प्राप्त करने वाली झारखंड टीम के लिए दमदार प्रदर्शन किया। सीनियर टीम में खेलने का है सपना :

इधर ब्यूटी डुंगडुंग ने बताया कि उसका सपना है कि वह सीनियर टीम के लिए खेले। इसके लिए वह प्रतिदिन 4 से 5 घंटा अभ्यास करती हैं। आज बेटी की सफलता से उसके माता-पिता हर्षित हैं।

देश सेवा में डटा है ब्यूटी का भाई शशि :

ब्यूटी डुंगडुंग एक भाई शशि डुंगडुंग आर्मी का जवान है, जो फिलहाल बेंगलुरू में है। ब्यूटी कहती है कि उसका भाई देश की सेवा कर रहा है तो वह भी खेल के माध्यम से देश-राज्य का नाम रोशन करना चाहती है। कहा कि नई पीढ़ी के खिलाड़ियों को भी अपनी प्रतिभा के प्रदर्शन के लिए पूरी लगन के साथ मेहनत करना चाहिए। लक्ष्य स्पष्ट हो तो गोल कठिन नहीं होता।


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