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ताल्लुक बेहतर करने को लगाए गए 'अर्जुन'

राजनीति में दलीय बाध्यताओं के बीच पुराने रिश्तों की भी भारी अहमियत है। तभी तो केंद्र सरकार के खिलाफ लगातार मुखर चल रहे झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से सौहार्दपूर्ण रिश्ता कायम करने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री और जनजातीय मामलों के केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा खास तौर पर लगाए गए हैं।

By Edited By: Published: Sat, 01 Aug 2020 01:19 AM (IST)Updated: Sat, 01 Aug 2020 04:46 PM (IST)
ताल्लुक बेहतर करने को लगाए गए 'अर्जुन'

राज्य ब्यूरो, रांची : राजनीति में दलीय बाध्यताओं के बीच पुराने रिश्तों की भी भारी अहमियत है। तभी तो केंद्र सरकार के खिलाफ लगातार मुखर चल रहे झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से सौहार्दपूर्ण रिश्ता कायम करने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री और जनजातीय मामलों के केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा खास तौर पर लगाए गए हैं। दरअसल, कुछ नीतिगत मामलों का विरोध कर हेमंत सोरेन ने हाल के दिनों में केंद्र सरकार की मुश्किलें बढ़ाई हैं। वे कोयला खदानों की नीलामी के सख्त खिलाफ हैं और इसके विरुद्ध उन्होंने सुप्रीमकोर्ट की शरण ली है। इसके अलावा वे कोल रायल्टी को लेकर झारखंड के हक की मांग लगातार करते रहे हैं। इन मुद्दों को सुलझाने के लिए गुरुवार को जब केंद्रीय कोयला एवं खनन मंत्री प्रह्लाद जोशी के साथ जनजातीय मामलों के केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा आए तो राजनीतिक हलके में इस बात को लेकर चर्चाएं आरंभ हो गई। इस मुलाकात के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का रुख भी सकारात्मक है और उन्होंने यहां तक कहा है कि समन्वय व बातचीत का सिलसिला अगर पहले हुआ होता तो इन मुद्दों पर झारखंड का स्टैंड कुछ अलग होता। जाहिर है केंद्रीय मंत्री के साथ अर्जुन मुंडा का आना रिश्तों की तल्खी को कम कर गया। दरअसल, इसे नई रणनीति के तौर पर भी देखा जा रहा है। भाजपा के केंद्रीय नेताओं को झारखंड में अर्जुन मुंडा की उपयोगिता का आभास है और सही वक्त पर उन्हें इस मिशन में लगाया गया। कोयला नीलामी की प्रक्रिया पर इस मुलाकात का क्या असर पड़ेगा, यह भी देखना होगा। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से केंद्रीयमंत्री गुहार लगा चुके हैं कि वे सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर पुनर्विचार करें। ---------- हेमंत सोरेन और अर्जुन मुंडा में बेहतर तालमेल : मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अर्जुन मुंडा की कैबिनेट में उप मुख्यमंत्री रह चुके हैं। पहली दफा धुर राजनीतिक विरोधी झामुमो को भाजपा के करीब लाने का श्रेय भी अर्जुन मुंडा को ही जाता है। 2009 के विधानसभा चुनाव के बाद जब किसी दल को स्पष्ट जनादेश नहीं मिला तो भाजपा और झामुमो ने मिलकर सरकार बनाई थी। शिबू सोरेन मु्ख्यमंत्री बने, लेकिन जल्द ही सरकार गिरी तो अर्जुन मुंडा मुख्यमंत्री बनाए गए। उस वक्त अन्य नेताओं खासकर किसी गैर आदिवासी नेता के नाम पर झामुमो का शीर्ष नेतृत्व तैयार नहीं था। शिबू सोरेन के मंत्रिमंडल में रघुवर दास उप मुख्यमंत्री थे, जबकि अर्जुन मुंडा की कैबिनेट में हेमंत सोरेन को यह पद मिला। हालांकि आंतरिक विरोध की वजह से बाद में झामुमो ने समर्थन वापस ले लिया। छोटे अंतराल के बाद कांग्रेस व राजद के साथ मिलकर हेमंत सोरेन सरकार बनाने में सफल रहे।

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