Move to Jagran APP

बड़े अधिकारियों को भा रही केंद्रीय प्रतिनियुक्ति

सरकार का चेहरा माने जाने मुख्य सचिव राजीव गौबा महज 14 महीने में ही राज्य की सेवा करने के बाद केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर चले गए तो लगभग आधा दर्जन अधिकारी भी वही रास्ता अख्तियार करने की लाइन में हैं।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Mon, 06 Jun 2016 06:27 AM (IST)Updated: Mon, 06 Jun 2016 06:30 AM (IST)

राज्य ब्यूरो, रांची। सरकार का चेहरा माने जाने मुख्य सचिव राजीव गौबा महज 14 महीने में ही राज्य की सेवा करने के बाद केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर चले गए तो लगभग आधा दर्जन अधिकारी भी वही रास्ता अख्तियार करने की लाइन में हैं। झारखंड बनने के बाद केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से गौबा पहली बार 2015 में राज्य की सेवा में आए थे।

loksabha election banner

प्राय: उसी समय केंद्रीय प्रतिनियुक्तिसे लौटे खान विभाग के अपर मुख्य सचिव उदय प्रताप सिंह इसी सप्ताह दिल्ली लौट जाने वाले हैं। नहीं चाहते हुए भी सरकार को उन्हें विरमित करना पड़ रहा है। विकास आयुक्त अमित खरे भी केंद्रीय सेवा में वापस जाने का मन बना चुके हैं। उन्होंने राज्य सरकार से अनापत्ति प्रमाण पत्र मांगा है। एडीजी एसएन प्रधान भी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने वाले हैं। ये सभी अधिकारी मुख्यमंत्री रघुवर दास की कोर टीम का हिस्सा माने जाते थे। इसी प्रकार भारतीय वन सेवा के अधिकारी खान निदेशक एसपी नेगी समेत करीब आधा दर्जन अधिकारी दिल्ली जाने के लिए एड़ी-चोटी एक किए हुए हैं।

नियमानुसार अखिल भारतीय सेवा के अधिकारी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जा सकते हैं, बशर्ते उनको वहां एडजस्ट किया जाय और केंद्र और राज्य की सरकारें सहमति दें।

कई के चेहरे याद भी नहीं

फिलहाल झारखंड कैडर के 11 आइएएस अधिकारी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति में हैं। मुख्य सचिव रैंक की स्मिता चुघ, राजीव गौबा, राजीव कुमार, बीके त्रिपाठी और सुधीर त्रिपाठी के अलावा प्रधान सचिव स्तर के डीके तिवारी, अलका तिवारी, शैलेश सिंह आदि ऐसे ही अधिकारियों में शुमार हैं। कई अधिकारी ऐसे भी हैं जिनका कैडर झारखंड है लेकिन राज्य में उनकी तैनाती अंतिम बार यहां कब हुई थी, यह किसी को याद नहीं है। इन अधिकारियों के चेहरे में भी लोग भूल चुके हैं। ज्योत्सना वर्मा रे, विनोद अग्रवाल आदि ऐसे ही अधिकारी हैं। केंद्रीय प्रतिनियुक्तिसे वापस लौटने पर कुलिंग ऑफ पीरियड खत्म होने के बाद खासकर आइएएस अधिकारी वापस केंद्रीय सेवा में लौटने को बेताब हो जाते हैं।

क्या है नियम

भारत सरकार जरूरत के मुताबिक राज्यों से अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों की तैनाती अपने यहां करती है। इसके लिए अधिकारियों का इम्पैनलमेंट किया जाता है। इसके आधार पर जरूरत के हिसाब से तैनाती की जाती है। अगर किसी अधिकारी को संयुक्त सचिव पद पर तैनात किया जाता है तो उन्हें पांच साल तक काम करने का मौका दिया जाता है। इसके बाद दो साल के लिए कूलिंग ऑफ पीरियड होता है।

क्या है कारण

अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों को पूरे सेवाकाल में सामान्यत: कम से कम एक बार केंद्रीय सेवा में काम करना होता है। कुछ लोगों को दिल्ली कुछ ज्यादा ही रास आती है। इसकी वजह काम करने की ज्यादा आजादी और अखिल भारतीय स्तर पर काम करने का मौका है। कई अधिकारियों को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के दौरान विदेश में भी काम करने का मौका मिलता है, जबकि ज्यादातर लोग अपने बच्चों की पढ़ाई के लिए दिल्ली को स्थायी ठिकाना बना लेते हैं।

कोट

हर कैडर के अधिकारी सेवाकाल में बेहतर मौका चाहते हैं। केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के दौरान आपके पास काम करने के मौका ज्यादा होता है। काम की सराहना भी राष्ट्रीय स्तर पर मिलती है।

-लक्ष्मी सिंह , पूर्व मुख्य सचिव, झारखंड।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.