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Jharkhand में 3 प्रतिशत गिरा बैंकों का सीडी रेशियो, किसान क्रेडिट कार्ड में भी लक्ष्य से पीछे

Jharkhand. शिक्षा ऋण में भी लक्ष्य से पीछे हैं झारखंड के बैंक। कमजोर वर्ग और महिलाओं को ऋण के मामले में बेहतर प्रदर्शन रहा।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Tue, 20 Aug 2019 08:19 PM (IST)Updated: Tue, 20 Aug 2019 10:19 PM (IST)
Jharkhand में 3 प्रतिशत गिरा बैंकों का सीडी रेशियो, किसान क्रेडिट कार्ड में भी लक्ष्य से पीछे
Jharkhand में 3 प्रतिशत गिरा बैंकों का सीडी रेशियो, किसान क्रेडिट कार्ड में भी लक्ष्य से पीछे

रांची, राज्य ब्यूरो। 30 जून 2018 (59.35) की तुलना में 30 जून 2019 को बैंकों के सीडी रेशियो में (56.40) तीन फीसद की गिरावट दर्ज की गई है। गिरावट का यह सिलसिला पिछली कई तिमाही से जारी है। यह गिरावट राष्ट्रीय बेंचमार्क 60 फीसद की तुलना में काफी कम है। मार्च 2019 की तुलना में कुल क्रेडिट में 609.37 करोड़ तथा आरआइडीएफ में 362.67 करोड़ की गिरावट दर्ज हुई है, जबकि कुल जमा में 1366.31 रुपये की वृद्धि हुई है।

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इस तरह जून 2018 की तुलना जून 2019 के आंकड़े से करें तो कुल जमा में 21252.67 करोड़ के सापेक्ष कुल ऋण में मात्र 7316.42 करोड़ रुपये की वृद्धि हुई है। इसी तरह किसान क्रेडिट कार्ड और शिक्षा ऋण के मामले में भी बैंकों का प्रदर्शन निर्धारित लक्ष्य की तुलना में निराशाजनक रहा। राज्यस्तरीय बैंकर्स समिति (एसएलबीसी) की मंगलवार को हुई बैठक में ये आंकड़े पेश किए गए। सरकार और एसएलबीसी ने इस पर चिंता जताई है और इसके सुधार की दिशा में सार्थक कदम बढ़ाने की अपील बैंकों से की है।
एसएलबीसी की बैठक में पेश किए गए आंकड़ों पर गौर करें तो 31 मार्च 2019 को कृषि अग्रिम 14864 करोड़ था, जो कुल अग्रिम का 15.56 फीसद था। वर्तमान में यह प्रतिशत 15.61 है, जो राष्ट्रीय बेंचमार्क 18 फीसद से कम है। अलबत्ता बैंकों ने 30 जून 2019 तक कमजोर वर्गों को 16365.23 करोड़ (17.24 फीसद) रुपये का कर्ज दिया, जो राष्ट्रीय बेंचमार्क 10 फीसद से बेहतर है। इसी तरह महिलाओं के बीच 13334.22 करोड़ रुपये ऋण के मद में बांटे गए, जो राष्ट्रीय बेंचमार्क पांच फीसद से कहीं अधिक हैं।
वित्तीय सेवाएं विभाग वित्त मंत्रालय के संयुक्त सचिव मदनेश मिश्रा ने एसएलबीसी को संबोधित करते हुए सभी जिलों के एलडीएम को बैंकों से समन्वयन स्थापित कर बैंकों का प्रदर्शन सुधारने को कहा। उन्होंने कहा कि पीएसबी के तहत एक करोड़ तक के ऋण 59 मिनट में पास करने के प्रावधान है। इससे इतर झारखंड से इसके लिए एक भी आवेदन नहीं आए। उन्होंने बैंकों के महाप्रबंधकों को बैंक की शाखाओं का भ्रमण कर वहां की स्थिति का मूल्यांकन करने की नसीहत दी।
अपर मुख्य सचिव योजना एवं वित्त केके खंडेलवाल ने कहा कि लक्ष्य का 20 फीसद किसानों को ही अबतक केसीसी का लाभ मिला है। शिक्षा ऋण के लिए आए 12 हजार आवेदनों में से  2700 रद कर दिए गए। सीडी रेशियो में गिरावट दर्ज की गई है। आठ  जिलों में 30 फीसद तथा सात जिलों में 40 फीसद तक का गिरावट आना चिंतनीय है। बैंकों को इस पर मंथन करना चाहिए।
महाप्रबंधक एसएलबीसी चंद्रशेखर सहाय ने अटल पेंशन योजना के तहत 31 अगस्त तक कैंप लगाने की बात कही। इसी तरह रूपे कार्ड के वितरण की तुलना में उसे सक्रिय करने पर जोर दिया। उन्होंने राज्य में एक लाख 35 हजार 703 सर्टिफिकेट लंबित रहने की बात कही तथा राशि की वसूली के लिए सरकार से सहयोग की अपील की। इस पर राज्य सरकार की ओर से शीघ्र ही सर्टिफिकेट अफसर बहाल किए जाने की जानकारी दी गई। आरबीआई के संजीव दयाल ने भी अपनी बातें रखीं।
कहीं झारखंड में भी तो तैयार नहीं हो रहा सृजन घोटाले सा प्लॉट : खंडेलवाल
वित्त विभाग के अपर मुख्य सचिव केके खंडेलवाल ने कहा कि पेंशन से संबंधित मामले में झारखंड गठन से पूर्व और उसके बाद के आंकड़े में कोई तालमेल नहीं है। सरकार के आंकड़े कुछ और बैंकों द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों में भिन्नता है। बिहार और झारखंड के बीच विवाद की बड़ी वजह यह भी है। डीएमएफटी का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि सरकार के आंकड़े बताते हैं कि इस मद में तीन हजार करोड़ जमा है, जबकि बैंक 1577 करोड़ रुपये की बात कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि ऐसे में अब बैंकों से इस बात का प्रमाणपत्र लिया जाए कि उसके आंकड़े सही हैं। इस पर मदनेश कुमार ने टिप्पणी की, उन्होंने कहा कि बिहार का सृजन घोटाला ऐसे ही स्थिति की देन है। उन्होंने यहां तक कह डाला कि कई शाखा प्रबंधकों ने अपने नाम से एकाउंट खोल रखा है।
हल होगी सिक्के की समस्या, आरबीआई देगा करेंसी चेस्ट
वित्तीय सेवाएं विभाग वित्त मंत्रालय के संयुक्त सचिव मदनेश मिश्रा ने बैंकों द्वारा सिक्का नहीं लिए जाने का हवाला देते हुए कहा कि संसद में अबतक चार बार यह मामला उठा चुका है। कई व्यापारिक प्रतिष्ठानों और अन्य माध्यमों से भी इस तरह की शिकायतें पहुंची हैं। जगह की कमी के कारण ये परेशानी आ रही है। इस मामले में आरबीआई से बात हो गई है, वह जल्द ही बैंकों को करेंसी चेस्ट मुहैया कराएगा।
कागजों में उलझे हैं राष्ट्रीयकृत बैंक, निजी बैंक घर पहुंचा रहे लोन
ग्रामीण विकास विभाग के प्रधान सचिव अविनाश कुमार ने कहा कि राष्ट्रीय बैंक अपनी नीतियों के अनुरूप अपने कार्यों का निष्पादन करते हैं, जबकि निजी बैंक कार्यों के अनुरूप नीतियां बदलते हैं। यही वजह है कि राष्ट्रीयकृत बैंकों से जुड़ी कई परियोजनाएं कागज में उलझ कर रह जाती है और निजी बैंक कर्ज की राशि घर पहुंचा जाते हैं।
एक नजर

  • ओवरऑल  परफार्मेंस में एसबीआई चैंपियन। इंक्रीमेंटल परफार्मेंस का प्रशस्ति पत्र सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के नाम।
  • बैंक अपनी सुविधा के अनुसार नौ से तीन, 10 से चार और 11 से पांच बजे तक खोल सकेंगे शाखा। उपायुक्तों के साथ बैठक कर एलडीएम तैयार करेंगे खाका।
  • 130 गांवों में 30 अगस्त तक खुलेंगे बैंकों के आउटलेट।
  • अटल पेंशन योजना में बेहतर प्रदर्शन करने पर एलडीएम होंगे पुरस्कृत।

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