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जरूर पढ़ें, चौंकाने वाली यह रिपोर्ट - CAG ने पकड़ा झारखंड में एक और चारा घोटाला

Chara Ghotala. कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2012-16 के बीच नियमों की अनदेखी कर डोरंडा कोषागार से लाखों रुपये निकाल लिए गए।

By Alok ShahiEdited By: Published: Fri, 28 Dec 2018 03:18 PM (IST)Updated: Fri, 28 Dec 2018 03:18 PM (IST)
जरूर पढ़ें, चौंकाने वाली यह रिपोर्ट - CAG ने पकड़ा झारखंड में एक और चारा घोटाला

रांची, राज्य ब्यूरो। बहुचर्चित चारा घोटाले में राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव समेत दर्जनों अधिकारियों को सजा हो गई है, लेकिन लगता है कि झारखंड के अधिकारियों ने इससे कोई सबक नहीं लिया है। महालेखाकार की रिपोर्ट में राज्य में एक बार फिर चारा घोटाले की संभावना जताई गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि क्रय व वितरण से संबंधित दस्तावेजों से लेखा परीक्षा को वंचित रखना किसी धोखाधड़ी की ओर से इशारा कर रहा है।

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इसकी पुष्टि तब हुई जब जांच के दौरान पता चला कि गव्य विकास के सहायक निदेशक ने नियमों को ताक पर रखते हुए डोरंडा कोषागार से 7.82 लाख रुपये निकाल लिया और मिनरल मिक्सर की आपूर्ति करने वाले फर्म को 7.82 लाख का अधिक भुगतान कर दिया है। इसकी जानकारी मिलते ही महालेखाकार ने इस मामले की जांच निगरानी से कराए जाने की अनुशंसा की है।

दरअसल मवेशियों के समग्र स्वास्थ्य एवं दूध की उत्पादकता बढाने के लिए विभाग ने तकनीकी इनपुट कार्यक्रम चलाया। जिसके जरिए किसानों को पोषक तत्व जैसे, मिनरल, मिक्सर, दवाएं व अन्य पोषाहार का वितरण निश्शुल्क या रियायती दर पर दिया जाना था। इसकी खरीदारी निदेशालय स्तर से और वितरण बायफ के माध्यम से किया जाना था। लेखा परीक्षक ने पाया कि वर्ष 2012-17 के दौरान विभाग ने इस कार्यक्रम के लिए 63 करोड़ रुपये प्रदान किया।

इसमें से गव्य विकास निदेशक ने सिर्फ 2016-17 के दौरान हुए मिनरल मिक्सर की खरीदारी एवं वितरण के दस्तावेज दिखाए। लेकिन 2012-16 के दौरान 43 करोड़ रुपये पोषाहार की खरीदारी एवं वितरण से संबंधित कोई दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराया गया। इसको लेकर महालेखाकार ने एक साल में सात बार पत्र लिखकर जानकारी मांगी। इसके लिए जनवरी 2018 में विभागीय सचिव ने आश्वासन भी दिया, लेकिन अभी तक दस्तावेज नहीं दिए गए।

18 जिलों में खरीदे गए मवेशियों का आंकड़ा नहीं : कृषि पशुपालन और सहकारिता विभाग ने 2012 से 2017 के दौरान दुधारू मवेशी वितरण योजना सहित छह गव्य विकास योजनाओं में 312 करोड़ खर्च किया। जांच के दौरान पता चला कि विभाग के पास 18 जिलों में खरीदे गए मवेशियों की संख्या के बारे में न तो कोई आंकड़ा उपलब्ध था और न ही राज्य के बैंकों में पड़ी हुई सब्सिडी की राशि के बारे में ही विभाग को कोई जानकारी है।

जांच टीम ने शेष बचे छह जिलों का दौरा कर स्थिति की जानकारी ली। जिसमें 18,452 मवेशियों के वितरण के लिए बैंकों को 82.85 करोड़ की सब्सिडी जारी की गई। जिसमें से सब्सिडी के 37.78 करोड़ की राशि को खर्च कर 9,548 मवेशियों को खरीदा गया। विभाग ने न तो बाकी बची 45.07 करोड़ की सब्सिडी की राशि को वापस पाने का प्रयास किया और न ही बैंक से उक्त राशि पर ब्याज लिया।


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