लोकायुक्त का आदेश दरकिनार कर रहा मंत्रिमंडल निगरानी विभाग, सचिव को शोकॉज Ranchi News
Jharkhand. मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग के सचिव से लोकायुक्त ने स्पष्टीकरण मांगा है। कहा जब पीई दर्ज करने का आदेश दिया तो संबंधित विभाग से मंतव्य क्यों मांगा।
रांची, राज्य ब्यूरो। लोकायुक्त के आदेश को दरकिनार कर आरोपित विभाग से ही मंतव्य मांगे जाने के मामले को लोकायुक्त जस्टिस डीएन उपाध्याय ने गंभीरता से लिया है। उन्होंने इस मामले में मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग के सचिव को शोकॉज किया है। सचिव को एक महीने के भीतर स्पष्टीकरण सौंपने का आदेश जारी हुआ है। मामला आय से अधिक संपत्ति से संबंधित है।
लोकायुक्त ने डोरंडा के जल भवन के नहर एवं नहर संरचना प्रमंडल-तीन के कार्यपालक अभियंता विजय शंकर, प्रमंडल-दो के कार्यपालक अभियंता जीतन दास व प्रमंडल संख्या-एक के सहायक अभियंता विमल कुमार झा के विरुद्ध आय से अधिक संपत्ति मामले में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) को जांच का आदेश दिया था। दो अगस्त को जारी आदेश में लोकायुक्त ने कहा था कि तीनों इंजीनियर के विरुद्ध पीई (प्रारंभिक जांच) दर्ज कर छह सप्ताह के भीतर रिपोर्ट दें।
एसीबी ने 27 अगस्त को पीई दर्ज करने से पूर्व सरकार से अनुमति लेने के लिए मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग से पत्राचार किया था। इस पत्र के आलोक में मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग ने पीई दर्ज करने की अनुमति न देकर जल संसाधन विभाग के अपर मुख्य सचिव को पत्र लिखकर तीनों इंजीनियर पर लगे आरोपों के बारे में पीई दर्ज करने के बिंदु पर मंतव्य मांगा। यह अब तक लंबित है।
लोकायुक्त गंभीर, लिखा आरोपों की गंभीरता को शिथिल करने की हो रही कोशिश
लोकायुक्त ने अपने आदेश में लिखा है कि जिन मामलों में लोकायुक्त संज्ञान लेने के बाद एसीबी को जांच के लिए निदेशित करते हैं, सामान्य प्रक्रिया के तहत एसीबी मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग के माध्यम से सरकार से जांच के लिए अनुमति प्राप्त करने के लिए पत्र प्रेषित करता है। लोकायुक्त ने आगे यह भी लिखा है कि विगत कुछ माह से ऐसा अनुभव किया जा रहा है कि शिकायतपत्र में निहित आरोपों की गंभीरता को शिथिल करने के लिए संबंधित विभाग को ही मंतव्य, जांच के लिए अनुरोध, निदेशित किया जा रहा है।
लोकसेवकों के माध्यम से आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने संबंधित शिकायत पर राज्य सरकार के स्तर पर जांच के लिए एसीबी सक्षम एजेंसी है। जिसके विरुद्ध जांच है, उसी विभाग से मंतव्य मांगा जा रहा है, जो सर्वथा अनुचित है। क्योंकि, आय से अधिक संपत्ति का मूल्यांकन जांच एवं गणना के लिए संबंधित विभाग के पास कोई संसाधन नहीं है और न ही उसे पुलिस के अधिकार प्राप्त हैं।