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झारखंड की हसीन वादियों का मुरीद हुआ बॉलीवुड-टॉलीवुड

झारखंड की खूबसूरती निर्देशकों को पहले से भाती रही है। यहां अब शूटिंग का दौर शुरू हो गया है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 31 Jul 2018 06:14 PM (IST)Updated: Tue, 31 Jul 2018 06:14 PM (IST)
झारखंड की हसीन वादियों का मुरीद हुआ बॉलीवुड-टॉलीवुड
झारखंड की हसीन वादियों का मुरीद हुआ बॉलीवुड-टॉलीवुड

संजय कृष्ण, राची

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झारखंड की खूबसूरती निर्देशकों को भाती रही है। बहुत पहले से। ऋत्विक घटक से लेकर महेश भट्ट तक। अभी गौतम घोष भी आए थे और उन्होंने भी यहां शूटिंग करने की इच्छा व्यक्त की। यहां अब शूटिंग का दौर शुरू हो गया है। झारखंड की फिल्म नीति के कारण भी लोग अब आ रहे हैं।

मुंबई से लेकर दक्षिण और पंजाब तक के निर्माता-निर्देशक यहां आ रहे हैं। अभी रांची की पुरानी जेल में पंजाबी फिल्म की शूटिंग हुई। पतरातू घाटी सबको आकर्षित करती है। लोहरदगा में लोहरदगा फिल्म की शूटिंग हुई। इसमें संजय मिश्रा, अखिलेंद्र मिश्र और विजय राज जैसे मजे हुए कलाकारों ने काम किया और लोहरदगा जैसी जगह में रहे।

यहां के पठार, यहां के झरने, जंगल और नैसर्गिक प्राकृतिक छटाएं सबको सम्मोहित कर रही है। यही कारण है कि यहां सबसे पहले बंगाली लेखकों-निर्देशकों ने झारखंड के सौंदर्य को रूपहले पर्दे पर रचा। ऋत्विक घटक, सत्यजीत राय, हृषिकेश मुखर्जी और न जाने कितने लोग।

ऋत्विक घटक का नाता लंबे समय तक झारखंड से बना रहा। आदिवासी जीवन पर पहली बार डाक्यूमेंट्री बनाई। यहीं से शुरुआत हुई। 1952 में फिल्म यूनिट को लेकर घाटशिला आए और स्वर्णरेखा नदी के किनारे 20 दिनों तक शूटिंग की।

इसके बाद उन्होंने 'आदिवासी जीवन के स्त्रोत' एवं 'उराव' बनाई तो आदिवासी समाज को, उनकी संस्कृति को निकट से देखने की कोशिश की। दोनों डाक्यूमेंट्री की शूटिंग राची के आस-पास और नेतरहाट क्षेत्र में की थी। इसके बाद घटक ने 'अजात्रिक' फिल्म की शूटिंग राची, रामगढ़ रोड आदि क्षेत्रों में की। यह फिल्म बाग्ला में है, लेकिन पहली बार उराव यानी कुड़ुख भाषा में संवाद और नृत्य को इस फीचर फिल्म में दिखाया गया है।

ऋत्विक घटक को झारखंड काफी पसंद था। इसे वे कभी भूले नहीं। जब 1962 में सुबर्णरेखा बनाई तब भी नहीं।

भारतीय सिनेमा के शीर्ष पुरुष फिल्मकार सत्यजित राय ने पलामू में अपनी फिल्म 'अरण्येर दिनरात्रि' (जंगल में दिन-रात) की शूटिंग की थी। 1969 में इसकी शूटिंग पलामू प्रमंडल के नेतरहाट, छिपादोहर, केचकी आदि जंगलों में हुई थी।

फिल्म में शर्मिला टैगोर व सिमी ग्रेवाल ने मुख्य भूमिका निभाई थी। सिमी ने आदिवासी लड़की का रोल किया था। फिल्म चार ऐसे नवयुवकों की कहानी है जो छुट्टी मनाने जंगल में जाते हैं। इसमें सिमी ग्रेवाल ने एक आदिवासी जंगली जाति की औरत की भूमिका निभाई है।

आलोचक इसे भारतीय मध्यम वर्ग की मानसिकता की छवि मानते हैं। हृषिकेश मुखर्जी ने धमर्ेंद्र को लेकर सत्यकाम बनाई, जिसकी शूटिंग भी झारखंड के कई अंचलों में हुई। वहीं, काला पत्थर फिल्म की शूटिंग भी धनबाद के कोलियरी में हुई थी। इसमें अमिताभ बच्चन, शशि कपूर, शत्रुघ्न सिन्हा लीड रोल में था। यह फिल्म चासनाला दुर्घटना पर बनी थी।

प्रकाश झा ने अपनी पहली फिल्म 'हिप हिप हुर्रे' की शूटिंग राची में ही की। विकास विद्यालय एवं बिशप बेस्टकॉट (लड़के) में शूटिंग हुई थी। मोरहाबादी मैदान फुटबाल मैच की शूटिंग हुई। यह जमाना 1983 का था। फिल्म 1984 में पर्दे पर आई। फिल्म में दीप्ति नवल और राजकिरण ने मुख्य भूमिका निभाई थी।

फिल्म में दीप्ति की जोड़ी राजकिरण के साथ थी। फिल्म बनने के बाद मेन रोड स्थित सुजाता सिनेमा हॉल में इसका प्रीमियर हुआ था।

रांची के रंगकर्मी विनोद कुमार ने 1986 में आक्रात नाम से निर्माण शुरू की। राची से 165 किमी दूर, गुमला के राजाडेरा जंगल में 24 दिन शूटिंग की गई। चार दिन राची में और चार दिन मुंबई में।

1988 में सेंसर से सर्टिफिकेट मिला, लेकिन दूरदर्शन पर इसका प्रीमियर हुआ 1990 के दिसंबर में। सदाशिव अमरापुरकर, शीला मजूमदार, सीएस दुबे के अलावा दर्जनों आदिवासी युवक-युवतियों ने अभिनय किया था। फिल्म का बैकग्राउड म्यूजिक डा. रामदयाल मुंडा ने दिया था।

इस फिल्म में पहली आदिवासी वाद्य और संगीत का प्रयोग किया गया था। प्रकृति ने अपना प्यारा दोनों हाथ से लुटाया है। इसका कैसे दोहन हो, इसकी चिंता सरकार को करनी चाहिए। सिर्फ खनिजों के दोहन से ही यहा का विकास नहीं होगा।

इस साल तो कई फिल्मों की शूटिंग रांची और आस-पास क्षेत्रों में हुई। इस माने में झारखंड तेजी से बदल रहा है। सरकार भी फिल्मसिटी बनाने को कृतसंकल्पित है। इससे रोजगार का एक नया क्षेत्र भी विकसित होगा।


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