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BJP विधायकों ने चेताया, बाबूलाल नेता प्रतिपक्ष नहीं तो विधानसभा नहीं चलने देंगे Jharkhand Budget Session

बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष का दर्जा दिलाए जाने को लेकर भाजपा आर-पार की लड़ाई के मूड में दिख रही है। सोमवार तक नेता प्रतिपक्ष को यदि आसन नहीं दिया गया तो सदन नहीं चलने देंगे।

By Alok ShahiEdited By: Published: Fri, 28 Feb 2020 08:09 PM (IST)Updated: Sat, 29 Feb 2020 06:57 AM (IST)
BJP विधायकों ने चेताया, बाबूलाल नेता प्रतिपक्ष नहीं तो विधानसभा नहीं चलने देंगे Jharkhand Budget Session
BJP विधायकों ने चेताया, बाबूलाल नेता प्रतिपक्ष नहीं तो विधानसभा नहीं चलने देंगे Jharkhand Budget Session

रांची, राज्य ब्यूरो। बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष का दर्जा दिलाए जाने को लेकर भाजपा आर-पार की लड़ाई के मूड में दिख रही है। शुक्रवार को बजट सत्र के पहले दिन सदन में इस मामले को उठाने के साथ-साथ विधानसभा परिसर में भी भाजपा विधायकों ने अपनी मंशा को स्पष्ट किया। दो टूक कहा कि सोमवार तक नेता प्रतिपक्ष को यदि आसन नहीं दिया गया तो सदन नहीं चलने देंगे।

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भाजपा विधायक बिरंची नारायण ने कहा कि सरकार बाबूलाल से डर गई है। आदिवासी-आदिवासी की रट लगाने वाली सरकार एक आदिवासी को नेता प्रतिपक्ष नहीं बनाना चाहती। स्पीकर इस मामले में निर्णय लें। यदि सदस्यता रद करनी है तो तीनों विधायकों की सदस्यता रद करें। फिर से चुनाव लड़ेंगे। न्याय में विलंब नहीं होना चाहिए। सोमवार तक नेता प्रतिपक्ष को आसन नहीं दिया गया तो हम सदन नहीं चलने देंगे।

वहीं, अनंत ओझा ने कहा कि भाजपा ने बाबूलाल मरांडी को विधायक दल का नेता चुना है। उन्हें नेता प्रतिपक्ष बनाया जाना चाहिए। उम्मीद है स्पीकर दलगत भावना से ऊपर उठकर बाबूलाल को नेता प्रतिपक्ष का दर्जा देंगे। हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि हम लोग हेराफेरी नहीं चलने देंगे।

बाबूलाल बोले, निर्णय विधानसभा अध्यक्ष को लेना है

भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष पर निर्णय विधानसभा अध्यक्ष को लेना है। हमें पार्टी की ओर से जो जिम्मेदारी दी गई है वह निभाएंगे। विधानसभा अध्यक्ष कहां बैठाते हैं, इस पर कोई कुछ नहीं कहेंगे। नीचे बैठने को कहेंगे तो नीचे बैठेंगे। सत्ता पक्ष को लगता है कि कहीं संवैधानिक समस्या है तो सदस्यता समाप्त कर दें।

नेता प्रतिपक्ष के लिए हम जिम्मेदार नहीं : बन्ना गुप्ता

स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा कि सिद्धांत व संस्कार की बात करने वाली भाजपा आज सबकुछ ताक पर रखकर हंगामा कर रही है। आज पहला दिन था, शोक प्रकाश आना था। फिर भी हंगामा किया गया। उन्होंने कहा कि सरकार सदन को चलाना चाहती है। विपक्ष को जनता के मुद्दे लाने चाहिए, जिसका समाधान सरकार निकालेगी। सदन को मिलकर चलाना चाहिए। जहां तक नेता प्रतिपक्ष की बात है तो उसके लिए हम जिम्मेदार नहीं हैं। विधानसभा अध्यक्ष देखेंगे कि नियम के तहत क्या हो सकता है। लेकिन हंगामा करना पूरी तरह से अलोकतांत्रिक है।

खाली रही नेता प्रतिपक्ष की सीट, हंगामे के साथ बजट सत्र का आगाज

झारखंड विधानसभा के नए भवन में शुरू हुए बजट सत्र का अपेक्षा के अनुरूप हंगामेदार आगाज हुआ। सत्र के पहले ही दिन बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने के मुद्दे को लेकर भाजपा विधायकों ने वेल में आकर प्रदर्शन और नारेबाजी की। हो-हंगामे के बीच ही विधायी कार्यों की औपचारिकता पूरी की गई। इस दौरान सदन में वर्ष 2019-20 का 1216.91 करोड़ का अनुपूरक बजट पेश किया गया।

सदन में पेश किया गया 1216 करोड़ का अनुपूरक बजट

शुक्रवार को सदन की कार्यवाही शुरू होते ही भाजपा विधायकों ने नेता प्रतिपक्ष की सीट रिक्त रहने का मामला उठाया। भाजपा विधायक बिरंची नारायण ने व्यवस्था के तहत मामला उठाते हुए कहा कि हमारे विधायक दल के नेता को नेता प्रतिपक्ष के रूप में मान्यता नहीं दी गई है। उन्हें नेता प्रतिपक्ष की मान्यता देकर ससम्मान उनकी जगह पर बैठाया जाए। स्पीकर ने उनकी बात सुनने के बाद अपना अध्यक्षीय संबोधन शुरू किया लेकिन भाजपा विधायक खड़े होकर इस मसले पर अपना विरोध दर्ज कराने लगे और वेल में आ गए। स्पीकर ने कहा कि आपकी बात संज्ञान में ले ली गई है, यह वेल में आने का विषय नहीं है। यह अच्छी परिपाटी नहीं है। बावजूद इसके भाजपा विधायकों ने वेल में आकर नारेबाजी शुरू कर दी। 'बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष की मान्यता देनी होगी' जैसे नारे लगाए।

बार-बार वेल में आए भाजपा के विधायक 

इस बीच माले विधायक विनोद सिंह, झामुमो के लोबिन हेम्ब्रम और कांग्रेस की दीपिका पांडेय सिंह व इरफान अंसारी भी वेल में आ गए और विपक्ष के रवैये पर एतराज जताया। हो-हंगामा और बढ़ गया। स्पीकर के मनाने पर विपक्ष के साथ सत्ता पक्ष के विधायक अपनी सीट पर कुछ देर के लिए चले गए। लेकिन जैसे ही उन्होंने अपना संबोधन दोबारा पढऩा शुरू किया भाजपा विधायक दोबारा वेल में आकर बैठ गए। जय श्री राम, भारत माता की जय और वंदे मातरम के नारे भी लगाए। हालांकि पूरे प्रकरण के दौरान बाबूलाल मरांडी अपनी सीट पर शांत बैठे रहे।

बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष की मान्यता का मुद्दा गरमाया

स्पीकर ने हो-हंगामे के बीच ही अपना संबोधन खत्म किया और सभापति तालिका और कार्यमंत्रणा समिति की घोषणा की। भाजपा विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा ने यह कहते हुए अपना विरोध दर्ज कराया कि कार्यमंत्रणा समिति में नेता प्रतिपक्ष का नाम भी होता तो अच्छा होता। शोक प्रकाश के दौरान सदन का गरमाया माहौल शांत दिखा लेकिन अपने संबोधन के दौरान भाजपा विधायक सीपी सिंह ने एक बार फिर बाबूलाल का मामला उठाया। उन्होंने अपेक्षाकृत शांत लहजे में अपनी बात रखी। शोक प्रकाश के साथ ही सदन की कार्यवाही सोमवार तक के लिए स्थगित कर दी गई।

1216.91 करोड़ का अनुपूरक बजट पेश

बजट सत्र के पहले दिन सदन में 1216.91 करोड़ का तीसरा और अंतिम अनुपूरक बजट पेश किया गया। वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव की अनुपस्थिति में संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने बजट को सदन के पटल पर रखा। सोमवार को चर्चा के बाद इसे पारित किया जाएगा।

भाजपा के पास कोई मुद्दा नहीं, इसलिए किया हंगामा : मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सदन में हुए हंगामे पर कहा कि भाजपा के पास कोई मुद्दा नहीं है इसलिए वह प्रतिपक्ष के नेता के मामले को लेकर हंगामा कर रहे हैं। सदन की कार्यवाही स्थगित होने के बाद पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि भाजपा ने पांच साल तक लोगों के लिए कुछ नहीं किया। इसलिए उनके पास बोलने के लिए कुछ भी नहीं है। इनका सदन में नेता कौन है, यह भी बोलना बहुत मुश्किल है। यह इनके राजनीतिक दिवालियेपन का नतीजा है।


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