बाबूलाल मरांडी बोले, साहिबगंज मुठभेड़ की हो सीबीआइ जांच; बरहेट थाना प्रभारी की भूमिका को बताया संदिग्ध
Jharkhand Political Update. बता दें कि दैनिक जागरण ने भी पुलिस के तर्कों का बिंदुवार विश्लेषण करते हुए पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाए थे।
रांची, राज्य ब्यूरो। Sahibganj Encounter भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने साहिबगंज के बरहेट में अपहर्ताओं के चंगुल से अपहृत व्यवसायी को छुड़ाने के क्रम में एक एएसआइ के शहीद हो जाने और थाना प्रभारी के घायल हो जाने के मामले की सीबीआइ जांच कराने की मांग की है। मुख्यमंत्री को इस संदर्भ में लिखे पत्र में उन्होंने बरहेट के थाना प्रभारी हरीश पाठक की भूमिका को संदिग्ध बताया है।
उन्होंने कहा कि मामले की पेचीदगियों को देखते हुए इसकी गुंजाइश नहीं दिखती कि राज्य की पुलिस मामले का सच सामने ला पाएगी। लिहाजा इस मामले की सीबीआइ जांच की जरूरत है। मरांडी ने कहा कि कई ऐसे बिंदु हैं, जिससे इस प्रक्ररण में बरहेट थाना प्रभारी की भूमिका पर सवाल उठता है। उन्होंने कहा कि जब एसडीपीओ ने पूर्व में ही अपराधियों के डुगुबथान में होने की सूचना दे दी थी, तब सारे पुलिस वाले एक साथ क्यों नहीं गए।
इतना ही नहीं, अपराधियों द्वारा एएसआइ चंद्राय सोरेन पर गोली चलाने के बाद भी थाना प्रभारी का मूकदर्शक बनकर केवल हाथापाई करना सवाल खड़े करता है। चंद्राय सोरेन की जान बरहेट पुलिस की लापरवाही से गई या किसी साजिश के कारण, इस सवाल का जवाब सामने आना आवश्यक है। उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया है कि बकोरिया मुठभेड़ कांड में भी हरीश पाठक की भूमिका विवादास्पद रही है। उनपर गैर इरादतन हत्या का मामला चलाने का भी आदेश वरिष्ठ पुलिस अधिकारी दे चुके हैं।
इस मामले में सर्वप्रथम उन्हें निलंबित करने की कार्रवाई की जानी चाहिए। ज्ञात हो कि साहिबगंज के बरहेट थानान्तर्गत डुगुबथान मोड़ पर 27 जून को एक अपहृत व्यवसायी को छुड़ाने के ऑपरेशन के क्रम में अपराधियों से पुलिस की कथित मुठभेड़ में अपराधियों की गोली से एएसआइ चंद्राय सोरेन गंभीर रूप से घायल हो गए थे। वहीं थाना प्रभारी हरीश पाठक को भी अपराधियों ने पीट-पीट कर घायल कर दिया था। बाद में रविवार 19 जुलाई को इस मुठभेड़ में घायल एएसआई चंद्राय सोरेन की मौत हो गई।
जागरण ने भी मुठभेड़ पर उठाए थे सवाल
बरहेट में हुई मुठभेड़ पहले दिन से ही सवालों के घेरे में रही है। दैनिक जागरण ने भी इसे प्रमुखता से प्रकाशित किया था। 20 जुलाई को भी दैनिक जागरण ने - ऐसी मुठभेड़ जिसमें अपराधी गोली चलाते हैं, पुलिस नहीं - शीर्षक से प्रकाशित खबर में विस्तार से मुठभेड़ और इससे संबंधित पुलिस की प्राथमिकी के विवादास्पद बिंदुओं को सामने लाते हुए पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाए थे।