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विधायकों की खरीद-फरोख्त मामले में सत्यता प्रमाणित करें, नहीं तो माफी मांगें बाबूलाल: भाजपा

झाविमो प्रमुख बाबूलाल मरांडी द्वारा छह विधायकों की खरीद-फरोख्त से जुड़े पत्र को राज्यपाल को सौंपने के बाद राजनीतिक गहमागहमी दिखी।

By Sachin MishraEdited By: Published: Sun, 08 Jul 2018 09:59 AM (IST)Updated: Sun, 08 Jul 2018 10:12 AM (IST)
विधायकों की खरीद-फरोख्त मामले में सत्यता प्रमाणित करें, नहीं तो माफी मांगें बाबूलाल: भाजपा
विधायकों की खरीद-फरोख्त मामले में सत्यता प्रमाणित करें, नहीं तो माफी मांगें बाबूलाल: भाजपा

राज्य ब्यूरो, रांची। झाविमो (झारखंड विकास मोर्चा) प्रमुख बाबूलाल मरांडी द्वारा छह विधायकों की खरीद-फरोख्त से जुड़े पत्र को राज्यपाल को सौंपने से आई राजनीतिक गहमागहमी शनिवार को भी देखी गई। भाजपा ने पत्र को फर्जी करार देते हुए बाबूलाल पर पलटवार किया। पत्र की सत्यता प्रमाणित करने की चुनौती दी और ऐसा नहीं करने पर सात दिनों के भीतर सार्वजनिक रूप से माफी मांगने को कहा। भाजपा ने चेताया कि यदि वह माफी नहीं मांगेंगे तो उन पर मानहानि का दावा किया जाएगा।

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झाविमो प्रमुख बाबूलाल मरांडी के छह विधायकों को खरीदने के आरोपों और उनके द्वारा सार्वजनिक किए गए पत्र को भाजपा ने पूरी तरह से खारिज करते हुए उन्हें चुनौती दी है। भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रवींद्र राय और झाविमो से भाजपा में शामिल हुए सभी छह विधायकों ने शनिवार को प्रदेश कार्यालय में संवाददाता सम्मेलन में बाबूलाल को पत्र की सत्यता प्रमाणित करने के लिए सात दिनों का अल्टीमेटम दिया। उन्होंने स्पष्ट कहा कि इस अवधि तक यदि वह सत्यता प्रमाणित नहीं कर पाते हैं तो उन्हें सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी होगी। अन्यथा उन पर मानहानि का मुकदमा किया जाएगा।

भाजपा ने इस पत्र की जांच भी किसी सक्षम एजेंसी से कराने की मांग की ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रवींद्र राय ने कहा कि सस्ती लोकप्रियता और सहानुभूति हासिल करने के लिए जालसाजों द्वारा झूठ पर आधारित पत्र तैयार कराया गया है। बाबूलाल यह बताएं कि यह पत्र उन्हें कब, कहां और किससे मिला है। उन्होंने कहा कि पत्र निराधार है व राजनीतिक स्तरहीनता का परिचायक है।

चिट्ठी सच हुई तो राजनीति से ले लूंगा संन्यास: रवींद्र राय

रवींद्र राय ने कहा कि बाबूलाल मरांडी ने जिस पत्र को राज्यपाल को सौंपा है, वह पैड भी नकली है और उसके हस्ताक्षर भी नकली। उन्होंने कहा कि यदि चिट्ठी सच हुई तो राजनीति से संन्यास ले लेंगे। गौरतलब है कि झाविमो के छह विधायकों के दलबदल कर सत्तारूढ़ दल भाजपा में शामिल होने का मामला एकबार फिर गरमा गया है। बाबूलाल मरांडी ने विधायकों की खरीद-फरोख्त के संबंध में भाजपा के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष डॉ. रवींद्र राय के कथित पत्र को आधार बनाया है।

मैंने बाबूलाल से की थी बात

रवींद्र राय ने कहा कि झाविमो के दल विभाजन के पूर्व मैंने बाबूलाल मरांडी से दूरभाष पर बात की थी। कहा था कि जब झाविमो के विलय की बात हो गई है तो आप पीछे क्यों हट रहे हैं। तब बाबूलाल ने कहा था कि यह मेरे लिए संभव नहीं है, मैं विधायकों को भी रोकूंगा। बाबूलाल यह नहीं कह सकते कि मैंने उन्हें सूचना नहीं दी थी। वे जनता को बरगलाने की कोशिश न करें, बाबूलाल को सारी जानकारी थी।

जानें, किसने क्या कहा

इतना घटिया आरोप कोई नकारा ही लगा सकता है। बाबूलाल मरांडी इतने नीचे गिर जाएंगे हमने कल्पना भी नहीं की थी। हमने राज्यहित में भाजपा में विलय किया था।

-रणधीर सिंह, कृषि मंत्री।

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भाजपा में विलय का प्रस्ताव बाबूलाल मरांडी ने ही दिया था। उनकी 20-22 दिसंबर 2014 को अमित शाह से मुलाकात हुई थी। वे सहमति देकर पीछे हटे। अब स्टंटबाजी कर हमारा चीरहरण-चरित्र हनन कर रहे हैं।

-अमर कुमार बाउरी, राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री।

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पत्र जाली है, विषय बेबुनियाद और सत्य से परे है। ये विषय ऐसे समय उठाया गया है जबकि विधानसभा में मामले की सुनवाई चल रही है। यह न्यायालय की अवमानना है। एक जाली पत्र से पूरे निर्णय को प्रभावित करने की कोशिश की गई है। पार्टी के विलय का निर्णय राज्यहित में हुआ था। हम न्यायालय जाएंगे।

-जानकी यादव, बरकट्ठा विधायक।

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छह विधायकों पर इतने गंभीर आरोप लगाकर हमारी छवि को खराब करने की कोशिश की गई है। फर्जी दस्तावेज से विधायकों का चरित्र हनन किया जा रहा है। हम सभी राज्यहित में भाजपा में शामिल हुए थे।

-आलोक चौरसिया, डालटनगंज विधायक।

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नकल के लिए भी अकल चाहिए। जिस चिट्ठी को पेश किया गया वो पुराने लेटर हेड पर है। इस बारे में ज्यादा बोलना उचित नहीं। हमने एक सप्ताह का समय दिया है। स्थिति स्पष्ट करें। राज्य को राजनीतिक अस्थिरता से निकालने के लिए छह विधायकों ने विलय का निर्णय लिया था।

-नवीन जायसवाल, हटिया विधायक।

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आरोप निराधार हैं। बाबूलाल जहां से जांच कराना चाहते हैं करा लें, हम सब तैयार हैं। एक अफसोस और है उन्होंने हमारे इतने कम रेट लगाए।

-गणेश गंझू, सिमरिया विधायक। 


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