बिरसा मुंडा ने जनजातियों की अस्मिता के लिए संघर्ष किया : बाबू लाल मरांडी
धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की जयंती पर भाजपा की महानगर इकाई की ओर से कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
जागरण संवाददाता, रांची : धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की जयंती पर भाजपा की महानगर इकाई ने बिरसा चौक पर भगवान बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। इस अवसर उनके संघर्ष, बलिदान और योगदान पर चर्चा की गई। कार्यक्रम में बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर माल्यार्पण के बाद भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने कहा कि धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा ने जनजाति अस्मिता के लिए निर्णायक संघर्ष कर ब्रिटिश हुकूमत के दांत खट्टे करने वाले महान स्वतंत्रता सेनानी थे। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार जनकल्याण कारी योजनाओं के माध्यम से गरीबों और जनजातीय समाज के लोगों के जीवन स्तर में बड़ा बदलाव लाया है।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने कहा कि धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को यादगार बनाते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अलग झारखंड राज्य की सौगात दी थी। उन्होंने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा की जयंती पर झारखंड अपना स्थापना दिवस भी मना रहा है और अब इस राज्य को प्रगति के पथ पर ले जाने की जिम्मेदारी हम सबकी है। कार्यक्रम का नेतृत्व महानगर भाजपा अध्यक्ष केके गुप्ता ने किया।कार्यक्रम में अशोक बड़ाईक, राजू सिंह, पंकज वर्मा, अरुण पांडेय, मुकेश सिंह, संतोष मिश्रा, भोला सिंह, अजय गिरी, अनिता वर्मा, सूर्यप्रभात, रोमित नारायण, पप्पू जयसवाल, मनोज झा, कामेश्वर सिंह, मोनिका कौर, कुमुद झा, नीलम चौधरी, मनोज मिश्रा आदि सहित सैकड़ों कार्यकर्ता उपस्थित थे।
नकली आदिवासियों की पहचान करने की जरूरत : बबलू मुंडा
जागरण संवाददाता, रांची : कोकर स्थित भगवान बिरसा मुंडा के समाधि स्थल पर केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष बबलू मुंडा की अगुवाई में उनकी 145 वीं जयंती मनायी गई। बबलू मुंडा ने कहा कि जिस प्रकार भगवान बिरसा मुंडा ने विदेशी अंग्रेजों के खिलाफ जंग छेड़ा था, उसी प्रकार हमलोगों को धर्मांतरण कराने वाले नकली आदिवासियों के विरुद्ध जंग छेड़नी होगी। मुंडा ने कहा कि सरना आदिवासी युवाओं को अपनी रूढि़वादी परंपरा के प्रति कट्टर होना होगा ताकि हम आदिवासियो के अधिकार को अल्पसंख्यक ईसाई मिशनरी ना मार पाये।
मुख्य पाहन जगलाल पाहन ने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा ने अनुभव किया कि आचरण के धरातल पर जनजाति समाज अंधविश्वासों की आंधियो में तिनके सा उड़ रहा है तथा आस्था के मामले में भटका हुआ है। भगवान बिरसा मुंडा ने यह भी अनुभव किया की सामाजिक कुरीतियों के कोहरे ने जनजाति समाज को ज्ञान के प्रकाश से वंचित कर दिया है। धर्म के बिदु पर जनजाति समाज कभी मिशनरियों के प्रलोभन में आ जाते हैं तो कभी ढकोसलों को ही ईश्वर मान लेते हैं। मौके पर महासचिव कृष्णकांत टोप्पो, संरक्षक राम सहाय सिंह मुंडा, सचिव डब्लू मुंडा, अमर मुंडा, सक्रिय सदस्य अनिल उरांव, मुन्ना मुंडा आदि शामिल थे।