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Bird Flu Alert: झारखंड में बर्ड फ्लू की आहट, विधानसभा परिसर में मिले दो मरे हुए कौए

झारखंड की राजधानी रांची के पुराने विधानसभा भवन परिसर में सोमवार को दो कौए मरे देखे गए। मामले की जानकारी मिलने के बाद राज्य सरकार के पशुपालन विभाग की तरफ से भेजी गई टीम ने दावा किया कि मौके पर उसे एक मरा कौआ मिला।

By Vikram GiriEdited By: Published: Mon, 11 Jan 2021 04:03 PM (IST)Updated: Mon, 11 Jan 2021 04:23 PM (IST)
Bird Flu Alert: झारखंड में बर्ड फ्लू की आहट, विधानसभा परिसर में मिले दो मरे हुए कौए
झारखंड में बर्ड फ्लू की आहट, विधानसभा परिसर में मिले दो मरे हुए कौए। जागरण

रांची, जासं । झारखंड की राजधानी रांची के धुर्वा इलाके में स्थित पुराने विधानसभा भवन परिसर में सोमवार को दो मरे कौए देखे गए। मामले की जानकारी मिलने के बाद राज्य सरकार के पशुपालन विभाग की तरफ से भेजी गई टीम ने दावा किया कि मौके पर उसे एक मरा कौआ मिला। सैंपल एकत्र कर इसे जांच के लिए इंस्टिट्यूट ऑफ एनिमल हेल्थ एंड वेटनरी बायोलॉजिकल के कोलकाता स्थित रीजनल डिजीज डायग्नोस्टिक लैब में भेजा गया है। अगर पहली जांच में बीमारी स्पष्ट नहीं होती है तो दोबारा जांच के लिए कोलकाता से इसे डायरेक्टर, नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हाई सिक्योरिटी एनिमल डिजीज भोपाल को भेजा जाएगा।

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इससे पहले जमशेदपुर में भी चार कौओं मरने की सूचना के बाद उनका सैंपल जांच के लिए भेजा गया था। दरअसल, बर्ड फ्लू की आशंका के बीच पशुपालन विभाग अलर्ट पर है। प्रदेश में अब तक बर्ड फ्लू का कोई मामला संज्ञान में नहीं आया है, लेकिन जहां-तहां से मरे हुए कौओं के मिलने से लोगों में डर बना हुआ है। विभाग ने फिलहाल एडवाइजरी जारी कर सभी जिलों को सतर्कता बरतने के निर्देश दिए हैं। वर्ष 2011 में सबसे पहले जमशेदपुर से सामने आई थी कौवों की मौत की जानकारी, अलग-अलग टीमों ने की जांच, नहीं निकल सका था कोई निष्कर्ष कौओं के मरने के मामले वर्ष 2011 में सबसे पहले झारखंड के जमशेदपुर से सामने आए थे। इस मामले में जांच के लिए राज्य से लेकर राष्ट्रीय स्तर की टीमें जमशेदपुर पहुंची थी।

जांच रिपोर्ट के अलग-अलग दावे किए गए थे। तब भी यह साफ नहीं हो सका था कि कौओं की मौत की असली वजह क्या है। बाद में मामला ठंडे बस्ते में चला गया। इसके बाद से लगातार हर साल देश के अलग-अलग इलाकों से कौओं की मौत की खबरें आती रहीं। एक विशेष पक्षी के इतने बड़े पैमाने पर मरने की सूचना के बावजूद इसको कभी गंभीरता से नहीं लिया गया। एक दशक का समय गुजरने के बाद भी कौओं की मौत के बाद सैंपल एकत्र कर भेजने और रिपोर्ट आने की प्रक्रिया जारी है।

मौत से पहले शिथिल हो जाते हैं कौए, संख्या में आई भारी गिरावट

वर्ष 2011 के बाद से कौओं की मौत का सिलसिला जारी है। जहां तहां मरे मिले कौए बीमारी की चपेट में आने के बाद शिथिल हो जाते हैं। उनमें उड़ने की क्षमता नहीं रहती। जमीन पर गिरने के बाद उनकी मौत हो जाती है। पिछले 10 सालों में कौवों की संख्या में भारी गिरावट हुई है। पहले सर्वाधिक दिखने वाले इस पक्षी को अब यदा-कदा ही कहीं देखा जाता है।


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