एनएसजी को लेकर देश में बड़ी पहल... केंद्रीय गृह मंत्रालय ने उठाया कदम... शीघ्र बैकअप सुरक्षा बनाने का निर्देश
National Security Guard केंद्रीय गृह मंत्रालय ने झारखंड समेत देश के सभी राज्यों को पत्र भेजकर एनएसजी के लिए तत्काल बैकअप सुरक्षा बनाने का निर्देश दिया है। राज्यों में एनएसजी को प्रतिनियुक्ति के दौरान अब समन्वय समिति ही उपलब्ध कराएगी सभी सुविधाएं।
रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड में विशेष परिस्थिति में प्रतिनियुक्ति के दौरान National Security Guard राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) को बैकअप राज्य की समन्वय समिति देगी। इसका नाम इमिडिएट बैकअप सिक्यूरिटी (आइबीयूएस) या तत्काल बैकअप सुरक्षा दिया गया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इसके लिए सभी राज्यों को पत्र लिखकर समिति को स्थाई व सशक्त बनाने के लिए निर्देशित किया है ताकि एनएसजी की प्रतिनियुक्ति के वक्त अतिरिक्त तैयारी नहीं करनी पड़े और समिति की ओर से एनएसजी को तत्काल बैकअप मिल सके। सभी राज्यों का अपना आइबीयूएस होगा, जिसमें उसी राज्य के अधिकारी-कर्मी योगदान देंगे और उनका चयन भी राज्य सरकार के स्तर पर होगा।
आइबीयूएस में एक संपर्क अधिकारी होगा
एनएसजी विशेष रूप से सुसज्जित व गंभीर परिस्थिति में तैनात होने के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित होता है। इनकी प्रतिनियुक्ति विधि-व्यवस्था ड्यूटी में नहीं होती है। आइबीयूएस में एक संपर्क अधिकारी होगा। यह संपर्क अधिकारी राज्य में वरिष्ठ पद वाला होगा, जो सक्रिय रहता हो और त्वरित निर्णय लेने वाला हो। एनएसजी के पास उक्त अधिकारी का संपर्क नंबर होगा, जो उन्हें हर तरह की आवश्यकताएं उपलब्ध कराएगा। एनएसजी को आवास, भोजन व परिवहन सहायता की आवश्यकता को राज्य सरकार उपलब्ध कराएगी।
एनएसजी के समानांतर प्रशिक्षित होगी आइबीयूएस
राज्य में बनने वाली आइबीयूएस एनएसजी के समानांतर प्रशिक्षित होगी। इसमें झारखंड पुलिस के वरिष्ठ व तेज-तर्रार अधिकारी भी शामिल किए जाएंगे जो कार्यक्रम स्थल की पूरी निगरानी करने में सक्षम होंगे। ड्रोन से निगरानी से लेकर हर तरह की सुरक्षा के इंतजाम को आइबीयूएस सुनिश्चित करेंगे।
क्यों पड़ी आइबीयूएस की जरूरत केंद्रीय
गृह मंत्रालय ने राज्य सरकार को लिखा है कि अक्सर यह देखा गया है कि एनएसजी टास्क फोर्स की सुविधा के लिए राज्य/जिला प्रशासन को उचित प्रशासनिक सहायता देने में बाधाएं आती हैं। राज्य या जिला प्रशासन इंटेलिजेंस ब्यूरो व एसपीजी के मूल्यांकन किए गए खतरे से भी परिचित नहीं होता है। यही वजह है कि आइबीयूएस को सशक्त किया जा रहा है, जो सुरक्षा के ख्याल से बेहद जरूरी है।