दांव पर लगी भाजपा की प्रतिष्ठा, विपक्षी महागठबंधन के इर्दगिर्द सिमटी रणनीति
Bharatiya Janta Party. विपक्षी दलों के जुटान को आधार मानकर भारतीय जनता पार्टी अगले लोकसभा चुनाव के लिए ठोस रणनीति बना कर काम कर रही है।
रांची, राज्य ब्यूरो। विपक्ष को खुद अपने गठबंधन पर भरोसा हो या न हो लेकिन भाजपा महागठबंधन को लेकर कुछ ज्यादा ही सतर्क नजर आ रही है। लोकसभा चुनाव की तैयारियों का खाका भी महागठबंधन को आधार बनाकर बुना जा रहा है। आकलन गठबंधन होने या न होने दोनों स्थिति को आधार बनाकर किया जा रहा है। केंद्रीय नेतृत्व ने विभिन्न राज्यों से हासिल होने वाली संभावित लोकसभा सीटों का जो आकलन किया है, उसमें झारखंड की सभी 14 सीटें भी शामिल है। इस लक्ष्य में महागठबंधन बड़ा रोड़ा साबित हो सकता है।
संयुक्त विपक्ष एकजुट होकर यदि भाजपा पर हमलावर हुआ तो 14 सीट का सपना धरा रह जाएगा। भाजपा को भी इस बात का पूरा भान है। इसलिए लोकसभा प्रभारी के स्तर पर महागठबंधन से निपटने के लिए दोतरफा हमले की रणनीति तय की गई है। एक तो विपक्ष के कुनबे को स्वार्थी करार देते हुए जनता में उनकी छवि खराब करना, कोशिश करना की महागठबंधन आखिर तक टूट ही जाए और दूसरा अपनी खुद की तैयारियों पर भरोसा करना।
भाजपा के लोकसभा प्रभारी मंगल पांडेय ने दोनों ही मोर्चो पर मुस्तैदी के साथ जुट जाने का निर्देश दिया है। 17 जनवरी की शाम मुख्यमंत्री आवास में हुई एनडीए विधायक दल की बैठक में भी आगामी चुनावों पर विशेष जोर दिया। मंगल पांडेय ने उस बैठक में स्पष्ट कहा था कि सवाल किसी विधायक या सांसद बनाने का नहीं है, सवाल नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने का है।
मुख्यमंत्री सक्रिय, मंत्री अपने क्षेत्र में ही सिमटे : भाजपा की पूरी प्रतिष्ठा लोकसभा चुनाव पर लगी है। कुल 14 सीटों में से जीत का आंकड़ा जितना ही नीचे आएगा प्रदेश नेतृत्व पर उतनी ही बड़ी गाज गिरेगी। मुख्यमंत्री विकास योजनाओं के एजेंडे को साथ लेकर जनता के बीच पैठ बनाने की कोशिश में जुटे हैं जबकि ज्यादातर मंत्रियों का रवैया चुनाव को लेकर गंभीर नहीं है। मंत्री या तो राजधानी में होते हैं या फिर अपने क्षेत्र में। इधर, संगठन के स्तर से राज्य सरकार के तमाम मंत्रियों को सक्रियता का निर्देश दिया गया है।