मिंट्टी के गुण जान किसान बढ़ा रहे उपज
बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के द्वारा मिंट्टी की सुरक्षा और खेतों की उपज बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण ले रहे हैं।
जागरण संवाददाता, रांची : बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के द्वारा मिंट्टी की सुरक्षा और खेतों की उपज बढ़ाने के लिए किसानों को मिंट्टी की जांच करने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। यह प्रशिक्षण बीएयू के किसान भवन के साथ संस्थान के अंतर्गत आने वाले सभी 16 केवीके में भी चलाया जा रहा है। यह प्रशिक्षण साल भर नियमित अंतराल पर चलाया जाता है। हर साल विभिन्न केंद्रों पर एक हजार से ज्यादा किसान मिंट्टी के प्रशिक्षण की ट्रेनिंग लेते हैं। इससे किसानों को अपने खेत में इस्तेमाल किए जाने वाले खाद, खेत के हिसाब से सही फसल की पहचान करने में मदद मिलती है।
राज्य में ज्यादातर हिस्सा पहाड़ी है। ऐसे में अलग-अलग खेतों की मिंट्टी भी अलग-अलग है। वहीं अगर खेत का आकार काफी बड़ा है तो उसमें भी मिंट्टी का रासायनिक अनुपात अलग-अलग हो सकता है। इसका सीधा असर खेत में लगी फसल पर पड़ता है। इसलिए किसानों को खेती से पहले मिंट्टी जांच की सलाह दी जाती है। प्रशिक्षण में किसानों को सबसे पहले खेत की मिंट्टी का सैंपल लेने की ट्रेनिंग दी जाती है। क्योंकि अगर नमूना सही नहीं होगा तो परिणाम भी गलत मिलेंगे। इसके बाद जांच के विभिन्न चरणों की जानकारी दी जाती है। किसानों को एक दिन से लेकर सात दिनों तक का प्रशिक्षण दिया जाता है। इसके साथ ही जिन किसानों के पास लैब कि सुविधा नहीं है उन्हें मिंट्टी टेस्टिंग किट के जरिए जांच के तरीकों को सिखाया जाता है। मिंट्टी के जांच करने का पहला उद्देश्य फसलों में रासायनिक खाद के प्रयोग की सही मात्रा निर्धारित करना है। इससे किसानों की खेती पर होने वाले व्यय की कमी होती है। इसके साथ ही ऊसर तथा अम्लीय भूमि के सुधार से फसलों की उपज में बढ़ती है। अगर मिंट्टी अम्लीय है तो अच्छी फसल के लिए उसमें चूना डालने की जरूरत होगी। वहीं मिंट्टी की जांच से भूमि को फसलों के लिए अनुकूल बनाया जा सकता है।
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कोट
तीन साल में मिंट्टी की जांच है जरूरी
फसलों की उपज बढ़ाने के लिए किसानों को हर तीन साल में कम से कम एक बार मिंट्टी का जांच करवा लेनी चाहिए। अगर किसान खुद मिंट्टी की जांच करना सीख जाएंगें तो इससे साल में एक बार वो मिंट्टी की जांच कर सकेंगे। इससे फसलों की उपज राइजोबियम ट्रीटमेंट आदि में मदद मिलेगी। किसानों को अपने खेत के लिए खाद का चुनाव करते समय प्राथमिकता जैविक खाद को देनी चाहिए इससे मिट्टी की गुणवक्ता लंबे समय तक बनी रहती है।
डॉ. बीके अग्रवाल, मुख्य वैज्ञानिक, स्वाइल टेस्टिंग, बीएयू