NPA: झारखंड के विकास में बाधा बनी बैंकों की एनपीए, कर्ज वापस नहीं मिलने से अर्थव्यवस्था को खतरा
NPA झारखंड की अर्थव्यवस्था को गति देने की बैंकों की कोशिशों में बढ़ता एनपीए बाधा बनता दिखाई दे रहा है। हाल ही में जारी हुई झारखंड राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति की रिपोर्ट में यह आंकड़े साझा किए गए हैं।
रांची, राज्य ब्यूरो। NPA झारखंड की अर्थव्यवस्था को गति देने की बैंकों की कोशिशों में बढ़ता एनपीए बाधा बनता दिखाई दे रहा है। वार्षिक ऋण योजना की उपलब्धि संतोषजनक होने के बावजूद प्राथमिक क्षेत्र के ऋण प्रवाह में हल्की सुस्ती यह स्पष्ट दर्शा रही है। झारखंड में बैंकों की गैर निष्पादनीय अस्तियां (एनपीए) लगातार तीसरी तिमाही में आठ प्रतिशत से ऊपर बनीं हुईं हैं।
हाल ही में जारी हुई झारखंड राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति की रिपोर्ट में यह आंकड़े साझा किए गए हैं। मार्च तिमाही में बैंकों का एनपीए 8.24 प्रतिशत रहा है। एनपीए बैंकों का फंसा कर्ज होता है। जब कर्ज फंसने लगता है तो बैंक ऋण देने में सतर्कता बरतते हैं और इसकी सबसे ज्यादा मार प्राथमिक क्षेत्र पर पड़ती है।
प्राथमिक क्षेत्र का एसीपी लक्ष्य से कहीं कम
एसएलबीसी की रिपोर्ट में भी यह दिख रहा है। वार्षिक ऋण योजना के तहत बैंकों का समेकित प्रदर्शन अच्छा आंका गया। लक्ष्य के सापेक्ष उपलब्धि 129 प्रतिशत रही, लेकिन प्राथमिक क्षेत्र का एसीपी लक्ष्य से कहीं कम 89 प्रतिशत के रहा। इसमें भी कृषि क्षेत्र की उपलब्धि 75 प्रतिशत रही। स्पष्ट है कि केसीसी लक्ष्य का पूरा न होने और आवेदनों के बड़े पैमाने पर रिजेक्ट होने की एक वजह यह भी है। हालांकि पिछली कुछ तिमाहियों की तुलना में प्राथमिक क्षेत्र के ऋण प्रवाह में सुधार देखने को मिला है।
पीएनबी का एनपीए सर्वाधिक
एसएलबीसी की रिपोर्ट बताती है कि प्राथमिक क्षेत्र के ऋण प्रवाह में 7.28 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है। प्रमुख बैंकों की बात करें तो पीएनबी का एनपीए सर्वाधिक 29 प्रतिशत से अधिक रहा है। वहीं इंडियन बैंक का 25 प्रतिशत और बैंक आफ इंडिया का 19 प्रतिशत से अधिक। निजी बैंकों में लक्ष्मी विलास बैंक का एनपीए 65 प्रतिशत तक पहुंच गया है। वहीं, झारखंड राज्य सहकारी बैंक लिमिटेड का 16.73 प्रतिशत। एसएलबीसी की बैठक में इन आंकड़ों पर चिंता जताई गई है।
सरकार प्रायोजित स्कीम में भी फंस रही बैंकों की राशि
अपेक्षाकृत कमजोर वर्ग को ऋण के माध्यम से स्वरोजगार के अवसर प्रदान करने की सरकार की योजनाओं में भी बैंकों का कर्ज फंसता दिखाई दे रहा है। प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना में बैंकों के करीब सौ करोड़ रुपये फंसे हैं। वहीं, प्रधानमंत्री मुद्रा योजना में एनपीए की राशि 1071 करोड़ बताई गई हैं। स्टैंड अप इंडिया में 43 करोड़ और एसएचजी में 96 करोड़ से अधिक की राशि एनपीए हो चुकी है।
कुछ ऐसी रही एनपीए की स्थिति...
- वर्ष - एनपीए - प्रतिशत
- 31 मार्च 2020 - 6964.39 - 7.2431
- मार्च 2021 - 6776.88 - 8.2031
- दिसंबर 2021 - 7668.53 - 8.5931
- मार्च 2022 - 7777.15 - 8.02