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एचईसी के कार्मिक निदेशक के एक इंक्रीमेंट पर लगाई गई रोक, जानें इसकी वजह Ranchi News

Jharkhand News HEC Ranchi एचईसी के कार्मिक निदेशक जांच में दोषी पाए गए हैं। भवनों के आवंटन पर सीवीसी ने उन्‍हें दोषी पाया था। तत्कालीन सीएमडी अविजित घोष भी दोषी पाए गए। उद्योग मंत्रालय के निर्देश पर इंक्रीमेंट पर रोक लगा है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Wed, 04 Aug 2021 09:32 PM (IST)Updated: Wed, 04 Aug 2021 09:37 PM (IST)
Jharkhand News, HEC Ranchi एचईसी के कार्मिक निदेशक जांच में दोषी पाए गए हैं।

रांची, जासं। रांची के एचईसी यानि हैवी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन के कार्मिक निदेशक एसके सक्सेना की एक साल की वेतन वृद्धि पर भारी उद्योग मंत्रालय ने रोक लगा दी है। यह कार्रवाई भवनों के अवैध आवंटन के मामले में हुई है। इसे लेकर कई पदाधिकारियों पर कार्रवाई भी हुई है। इसमें से कई पदाधिकारी सेवानिवृत्त हो गए हैं। पूर्व सीएमडी अविजित घोष भी दोषी ठहराए गए हैं। इसके अतिरिक्त आरके श्रीवास्तव, हेमंत गुप्ता, राजेश गांधी, संजय सिंह, हरेराम शर्मा सहित अन्य अधिकारी शामिल हैं। उल्लेखनीय है कि एचईसी में बिना निविदा किए नेक्सजेन, ई टाइप व अनेक्सी बिल्डिंग को दे दिया गया था।

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बाद में एचईसी प्रशासन द्वारा ताला लगा दिया गया था। भवनों के अवैध आवंटन के मामले में सेंट्रल विजिलेंस कमिशन ने जांच की थी। इसमें सभी दोषी पाए गए थे। भवनों के आवंटन में एचईसी हाईस्कूल धुर्वा, राजेंद्र भवन सेक्टर-2, एचईसी कम्यूनिटी हॉल लायंस क्लब, टेंपररी शेड बिल्डिंग सेक्टर-2, आर्टिजन होस्टल, वीर कुंवर सिंह हॉल धुर्वा, पूर्व सैनिक ऑफिस परिसर, पटेल स्कूल व सर्वेंट क्वाटर सेक्टर टू शामिल है। इसमें राजेंद्र भवन का आवंटन रद कर दिया गया। 

फिलहाल इस संबंध में एचईसी के द्वारा पत्र जारी कर दिया गया है। इसके तहत कार्मिक निदेशक का एक इंक्रीमेंट रोकने का तत्काल आदेश दिया गया है। सीवीसी की इस अनुशंसा  पर भारी उद्योग मंत्रालय ने निदेशक कार्मिक का इंक्रीमेंट रोक दिया। भवनों के आवंटन में करोड़ों रुपये का खेल हुआ है। इसकी शिकायत दिल्ली स्थित सेंट्रल विजिलेंस ऑफिस की हुई।

इस मामले में एचईसी के तत्कालीन सीवीओ ने दीपक कुमार ने लीज में गड़बड़ी की जानकारी दी थी। एचईसी ने निजी कंपनियों को अपने 9 भवन और जमीन लीज पर दे रखी है। लीज पर दिए गए भवनों में अतिरिक्त निर्माण नहीं करना था। इसके बावजूद संबंधित जमीनों पर अवैध निर्माण पदाधिकारियों की मिलीभगत से की गई। इस दौरान प्रबंधन द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई।


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