हथियार स्वयं की रक्षा के लिए दिए जाते हैं फिर इसका प्रदर्शन शादी समारोहों में क्यों?
Firing in Wedding Ceremony हथियार स्वयं की रक्षा के लिए दिए जाते हैं। फिर इसका प्रदर्शन शादी समारोहों में क्यों? इसका समाज में गलत संदेश जाता है। यह हथियारों का दुरुपयोग भी है। इस पर सख्ती से पाबंदी जरूरी है।
रांची, जासं। Firing in Wedding Ceremony शादी के दौरान में बैंड बाजे पर बरातियों का थिरकना, नाच एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आनंद उठाना कोई बुरी बात तो नहीं है, लेकिन इस यादगार क्षण में खलल डालना, मातम में बदल देना कहीं से ठीक नहीं है। दिखावे के लिए ऐसे मौकों पर फायरिंग तो बेहद अशोभनीय है। झारखंड के कई जिलों में चंद रोज के भीतर ऐसी अनेक घटनाएं सामने आ चुकी हैं, जो समाज को सोचने पर मजबूर करती हैं।
गुमला में शुक्रवार की शाम शादी समारोह के दौरान फायरिंग कर दी गई। तीन बरातियों के पैर में गोली लग गई। एक की हालत इतनी गंभीर है कि इस वक्त रांची रिम्स में इलाजरत है। रंग में भंग पड़ गया। आरोपी और आरोपित के स्वजन अब थाने और कचहरी का चक्कर काट रहे हैं। यह कोई इकलौती घटना नहीं है। इससे कुछ ही दिन पहले गढ़वा में भी बरात में सांस्कृतिक कार्यक्रम के दौरान गोल चलाई गई थी। इसमें रांची के रहने वाले बजाज शोरूम के संचालक और ठेकेदार अरविंद सिंह की मौत हो गई थी। देखते ही देखते शादी का जश्न मातम में बदल गया था। मामला थाने तक पहुंच गया है।
रांची के बरियातू में तो दूल्हे ने ही फायरिंग शुरू कर दी। अब पुलिस खोज रही है। दूल्हा फरार चल रहा है। प्रश्न उठता है कि यह दिखावा किस काम का और किसके लिए? जिससे खुद ही जान गंवानी पड़े। हथियारों का इस्तेमाल तो हमेशा से स्वयं की रक्षा के लिए होने की बात होती रही है। सरकार भी हथियार आत्मरक्षा के लिए ही देती है। फिर शादी जैसे पवित्र समारोह के दौरान इसकी क्या दरकार। कायदे से शादियों में हथियार लेकर आने वालों पर ही पाबंदी लगा दी जानी चाहिए। शादी के कार्ड पर यह निवेदन भी होना चाहिए कि समारोह में किसी तरह का हथियार लेकर आना प्रतिबंधित है। ऐसे लोगों के हथियार के लाइसेंस भी रद कर दिए जाने चाहिए, जो आत्मरक्षा के बजाय दिखावे के लिए समाज में प्रदर्शित करते हैं।