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झारखंडः बाबूलाल मरांडी बोले, किसी के कहने से नहीं खत्म होगा झाविमो का अस्तित्व

Babulal Marandi. बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि झारखंड में किसी के कहने से झाविमो का अस्तित्व नहीं खत्म होगा।

By Sachin MishraEdited By: Published: Fri, 22 Feb 2019 02:47 PM (IST)Updated: Fri, 22 Feb 2019 05:55 PM (IST)
झारखंडः बाबूलाल मरांडी बोले, किसी के कहने से नहीं खत्म होगा झाविमो का अस्तित्व

रांची, राज्य ब्यूरो। दलबदल मामले में न्यायाधिकरण में स्पीकर दिनेश उरांव द्वारा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में झारखंड विकास मोर्चा (झाविमो) के विलय को सही ठहराने के फैसले पर पूर्व सीएम व झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी ने दैनिक जागरण से बात की। 

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दलबदल मामले में आए फैसले को आप किस नजरिए से देखते हैं? 
- फैसला असंवैधानिक और 10वीं अनुसूची की मूल भावनाओं के खिलाफ है। भाजपा पूरे प्रदेश में लोकतांत्रिक मर्यादाओं का हनन कर रही है। इस फैसले के माध्यम से उसने एक और बानगी पेश कर दी है।

बहरहाल स्पीकर कोर्ट के न्यायाधिकरण ने झविमो के विलय पर अपनी मुहर लगा दी है। भाजपा का दावा है कि अब झाविमो का अस्तित्व नहीं रहा? 
-दावा और हकीकत दो अलग-अलग चीजें हैं। किसी के कहने से वर्षों से स्थापित पार्टी का अस्तित्व खत्म नहीं हो जाता। हम ऊपरी अदालत जाएंगे, न्याय मिलेगा।

आपको क्या लगता है कि न्यायाधिकरण के फैसले को ऊपरी अदालत निरस्त कर देगी? इसका क्या आधार होगा? 
-पूरा भरोसा है। ऊपरी अदालतों ने ऐसे कई फैसले को निरस्त किया है। हरियाणा का ही मामला देख लें। वहां भी यही परिस्थिति थी। हम विशेषज्ञों से बात कर रहे हैं।

आपके कार्यकर्ताओं का मानना है कि फैसला राजनीति से प्रेरित है, कितनी सच्चाई है इसमें? 
- बिल्कुल सही है, भाजपा और सरकार के दबाव में ही यह फैसला आया है। शुरू से ही भाजपा की नजर झाविमो पर रही है। पद और पैसा का प्रलोभन देकर उसने हमारे छह विधायकों को भाजपा में शामिल कराया। इनमें से दो मंत्री और तीन बोर्ड-निगमों के शीर्ष पद पर हैं। क्या भाजपा के पास योग्य विधायक नहीं थे। स्पष्ट है, खेल हुआ है।

चुनाव सामने है, किस हैसियत से आप जनता के बीच जाएंगे। 
- झाविमो का अपना जनाधार है। जनता उसके साथ है। निर्वाचन आयोग की नजऱ में पार्टी का अस्तित्व बरकरार है। जनता सब देख रही है, चुनाव में भाजपा को जवाब देगी। 

विलय के फैसले से बिफरा झाविमो, बताया असंवैधानिक 
झारखंड विकास मोर्चा ने दलबदल मामले में स्पीकर कोर्ट में स्पीकर दिनेश उरांव द्वारा भाजपा में झाविमो के विलय को सही ठहराने के फैसले पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। पार्टी ने इस फैसले को अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक ठहराते हुए इसके विरोध में उच्च न्यायालय तथा चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाने की बात कही है। पार्टी ने आदेश पारित होने के दिन को लोकतंत्र के इतिहास में काला दिन बताया है। 

पार्टी के महासचिव बंधु तिर्की तथा पार्टी की ओर से इस मामले में पैरवी कर रहे अधिवक्ता राजनंदन सहाय ने गुरुवार को पार्टी कार्यालय में मीडिया से रूबरू होते हुए कहा कि स्पीकर कोर्ट को पार्टी के विलय को लेकर फैसला देने का कोई अधिकार ही नहीं है। बंधु ने यहां तक कह दिया कि स्पीकर को अब अपनी कुर्सी पर बैठने का कोई नैतिक अधिकार नही है। कहा, स्पीकर कोर्ट ने झाविमो के छह बागी विधायकों की सदस्यता बचाने के लिए लोकतंत्र को ही खत्म करने का काम किया। उनके अनुसार, किसी भी मान्यता प्राप्त दल का किसी भी राजनीतिक दल में विलय भारत निर्वाचन आयोग द्वारा संबंधित दल के संविधान के प्रावधानों के आधार पर स्वीकृति दी जाती है। जबकि झाविमो के संविधान में दर्ज है कि पार्टी का विलय केंद्रीय समिति की दो तिहाई सदस्यों की सहमति से ही होगा।

पार्टी के अधिवक्ता ने कहा कि दसवीं अनुसूची के प्रावधानों के अनुसार कोई भी सदस्य स्वेच्छा से मूल पार्टी छोड़कर किसी दूसरी पार्टी में चले जाते हैं तो उनकी सदस्यता खत्म हो जाती है। वहीं, पार्टी के विलय का कोई भी प्रावधान इसमें नहीं है।

चुनाव आयोग के पास कोई आवेदन नहीं
झाविमो महासचिव ने कहा कि झाविमो के विलय का कोई भी आवेदन भारत निर्वाचन आयोग के पास नहीं है। आयोग ने सूचना अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी में इसे स्वीकार किया है। उनके अनुसार, विभिन्न उपचुनाव में झाविमो को चुनाव चिह्न कंघा उपलब्ध कराया गया, जिससे स्पष्ट होता है कि पार्टी का विलय नहीं हुआ है।

बाबूलाल की कंघी छीनने की तैयारी में जुटी भाजपा 
प्रदेश भाजपा अब बाबूलाल मरांडी की पार्टी झाविमो के चुनाव चिह्न कंघी को छीनने पर आमादा है। दलबदल मामले में विधानसभा न्यायाधिकरण के फैसले को आधार बना भाजपा, झाविमो का चुनाव चिह्न कंघी को रद कराने की मांग चुनाव आयोग से करेगा। फिलहाल भाजपा को न्यायाधिकरण के फैसले की अधिकृत प्रति का इंतजार है। भाजपा के प्रदेश महामंत्री दीपक प्रकाश ने कहा कि न्यायाधिकरण के फैसले के अध्ययन के उपरांत पार्टी इस संदर्भ में कदम उठाएगी। 

वहीं, मंत्री रणधीर सिंह, जिनका दलबदल मामले से सीधा सरोकार रहा है, भी स्पष्ट कहते हैं कि झाविमो का विलय तो हो चुका है। अब तो झाविमो के चुनाव चिह्न पर खतरा मंडरा रहा है। भाजपा विधायक जानकी यादव खुले तौर पर इस मामले को चुनाव आयोग ले जाने और बाबूलाल मरांडी की पार्टी के चुनाव चिह्न को रद करने की बात कह चुके हैं। हालांकि भाजपा सभी पहलुओं के अध्ययन के बाद ही इस संदर्भ में कोई कदम उठाने की सोच रही है। यही वजह है कि भाजपा के शिष्टमंडल ने गुरुवार को मुख्य निर्वाचन अधिकारी एल ख्यांग्ते से मुलाकात के क्रम में भी इस मामले को नहीं उठाया। पार्टी को स्पीकर कोर्ट के फैसले की प्रति का इंतजार है। इसमें एक-दो दिन लग सकता है।


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