बाबूलाल मरांडी के सलाहकार सुनील तिवारी ने दाखिल की जमानत याचिका, कोर्ट ने मांगी केस डायरी
Babulal Marandi Political Advisor Ranchi Jharkhand News सुनील तिवारी पर यौन शोषण का मामला दर्ज है। पुलिस ने सुनील तिवारी को उत्तर प्रदेश से गिरफ्तार किया था। रांची के एक लड़की ने यौन शोषण का मामला दर्ज कराया है।
रांची, राज्य ब्यूरो। यौन शोषण मामले में गिरफ्तार पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के सलाहकार सुनील तिवारी की ओर से जमानत याचिका दाखिल की गई है। इस मामले में निर्दोष बताते हुए जमानत की गुहार लगाई गई है। उम्मीद जताई जा रही है कि इस मामले में 23 सितंबर को सुनवाई हो सकती है।
रांची सिविल कोर्ट न्यायायुक्त विशाल श्रीवास्तव की अदालत में यौन शोषण के आरोपित भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी के सलाहकार सुनील कुमार तिवारी की जमानत याचिका सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद अदालत ने इस मामले में केस डायरी की मांग की। अब अगली सुनवाई की तिथि 23 सितंबर निर्धारित की गई है। आरोपित की ओर से उनके अधिवक्ता ने गिरफ्तारी के बाद निचली अदालत में जमानत दायर की है।
सरकार की ओर से मामले में विशेष लोक अभियोजक प्रदीप कुमार चौरसिया ने पक्ष रखा। बता दें कि अनगड़ा की एक आदिवासी युवती ने दुष्कर्म का आरोप लगाते हुए अरगोड़ा थाना में 16 अगस्त को नामजद प्राथमिकी दर्ज कराई है। इस मामले में 31 अगस्त को सुनील तिवारी की अग्रिम जमानत याचिका अदालत ने खारिज की थी। इसी के बाद से सुनील तिवारी पर गिरफ्तारी की तलवार लटकने लगी थी। इस मामले में झारखंड पुलिस ने सुनील तिवारी को उत्तर प्रदेश के इटावा से गिरफ्तार किया है।
रिम्स में ट्यूटर्स की हटाने के मामले में सुनवाई टली
रिम्स में नियुक्त ट्यूटर्स को हटाए जाने के मामले में झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई टल गई। यह मामला चीफ जस्टिस डा. रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध था। हालांकि उनको हटाए जाने पर रोक बरकरार है। समयाभाव के चलते इस मामले में सुनवाई नहीं हो सकी। इस संबंध में डा. रेखा शर्मा सहित अन्य की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है।
याचिका में कहा गया है कि उनकी नियुक्ति वर्ष 2008 में हुई थी। लेकिन रिम्स की ओर से वर्ष 2014 में नई नियुक्ति नियमावली बनाई गई। इसमें ट्यूटर्स का पद तीन सालों के लिए ही निर्धारित कर दिया। इसके बाद पहले से नियुक्त ट्यूटर्स को हटाने का निर्देश दिया गया। इसके खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई। कहा गया कि उनकी नियुक्ति नई नियमावली से पहले की है। ऐसे में उक्त नियमावली उनपर लागू नहीं होती है। पूर्व में अदालत ने इनके हटाने पर रोक लगा रखी है।