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Jharkhand News: दल-बदल केस में बाबूलाल मरांडी का क्या होगा? भाजपा नेता की विधायकी संकट में

Jharkhand Politics भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी की विधानसभा सदस्यता पर फैसला सुरक्षित है। स्पीकर कभी फैसला सुना सकते हैं। उधर झारखंड हाईकोर्ट में बाबूलाल की याचिका पर सुनवाई हुई। स्पीकर के वकील ने दो टूक कह दिया कि याचिका सुनवाई योग्य नहीं है।

By Jagran NewsEdited By: M EkhlaquePublished: Wed, 30 Nov 2022 07:06 PM (IST)Updated: Wed, 30 Nov 2022 07:08 PM (IST)
Babulal Marandi News: झारखंड भाजपा विधायक बाबूलाल मरांडी का फाइल फोटो।

रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस राजेश शंकर की अदालत में दल-बदल मामले में विधानसभा स्पीकर पर पक्षपात का आरोप लगाने वाली विधायक बाबूलाल मरांडी की याचिका पर सुनवाई हुई। विधानसभा स्पीकर की ओर से बहस पूरी नहीं हो सकी। गुरुवार को भी उनकी ओर से बहस की जाएगी। उनकी ओर से कहा गया कि यह मामला दसवीं अनुसूची के तहत आता है। सुप्रीम कोर्ट के कई आदेशों के आलोक में इस याचिका पर हाई कोर्ट की ओर से कोई आदेश पारित करना उचित नहीं है।

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विधायक दीपिका पांडेय सिंह की ओर से शपथपत्र

विधानसभा स्पीकर की ओर से यह भी कहा गया कि किसी राजनीतिक दल का विलय करने का मामला विधानसभा अध्यक्ष के अधिकार क्षेत्र में आता है। इसके लिए सक्षम प्राधिकार स्पीकर न्यायाधिकरण है। जब तक इस मामले में स्पीकर का अंतिम आदेश नहीं आ जाता है, तब तक इस तरह की याचिका कोर्ट में दाखिल नहीं की जा सकती है। ऐसे में विधायक बाबूलाल मरांडी की याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। हालांकि, स्पीकर की ओर से बहस पूरी नहीं हो सकी। इस मामले में कोर्ट के आदेश पर विधायक दीपिका पांडेय सिंह की ओर से शपथ पत्र दाखिल किया गया।

बाबूलाल मरांडी को सदन में नेता प्रतिपक्ष का दर्जा नहीं

बता दें कि विधायक बाबूलाल मरांडी की ओर से झारखंड हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। याचिका में कहा गया है कि दल-बदल मामले में स्पीकर के न्यायाधिकरण में मामले की सुनवाई चल रही है। उनकी ओर से अन्य गवाहों की सूची सौंपी गई थी। बिना उस पर निर्णय लिए ही स्पीकर ने 30 सितंबर 2022 को सुनवाई समाप्त करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया है। मालूम हो कि बाबूलाल मरांडी जिस पार्टी के सिंबल पर विधानसभा चुनाव लड़े थे, उसके दो विधायक कांग्रेस में चले गए थे, वहीं बाबूलाल मरांडी भी भाजपा में शामिल हो गए थे। बाबूलाल मरांडी ने विधि सम्मत अपनी पार्टी का विलय नहीं किया है। इधर, जब भाजपा ने उन्हें विधायक दल का नेता चुन लिया तो विधानसभा में उन्हें मान्यता तक नहीं मिली।


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