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आयुर्वेदिक चिकित्सकों को मिलेगा छठा वेतनमान व अन्य सुविधाएं, झारखंड HC ने एलोपैथिक चिकित्सकों के समकक्ष माना

Jharkhand High Court ने कहा है कि केंद्र सरकार ने एलोपैथिक और आयुर्वेदिक डॉक्टरों को ग्र्रुप ए का माना है। इसलिए आयुर्वेदिक चिकित्सकों को ग्र्रुप बी का नहीं माना जा सकता है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Mon, 15 Jul 2019 07:39 PM (IST)Updated: Mon, 15 Jul 2019 09:35 PM (IST)
आयुर्वेदिक चिकित्सकों को मिलेगा छठा वेतनमान व अन्य सुविधाएं, झारखंड HC ने एलोपैथिक चिकित्सकों के समकक्ष माना

रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड हाई कोर्ट ने आयुर्वेदिक और एलोपैथिक चिकित्सों को समकक्ष माना है और सरकार को आयुर्वेदिक चिकित्सकों को छठे वेतनमान और अन्य सुविधाएं देने का निर्देश दिया है। जस्टिस एके द्विवेदी की अदालत ने कहा कि केंद्र सरकार ने एलोपैथिक और आयुर्वेदिक डॉक्टरों को ग्र्रुप ए का माना है और दोनों के लिए समान वेतन और सुविधाएं लागू की हैं, इसलिए आयुर्वेदिक चिकित्सकों को ग्र्रुप बी का नहीं माना जा सकता है।

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अदालत ने दो माह मेंं सभी को छठे वेतनमान का लाभ देने का निर्देश दिया। इस संबंध में अमरेंद्र कुमार पाठक व अन्य ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है। सुनवाई के दौरान प्रार्थियों की ओर से अधिवक्ता सौरभ शेखर ने अदालत को बताया कि इनकी नियुक्ति बिहार लोक सेवा आयोग के माध्यम से वर्ष 1997-99 के बीच हुई थी। उस समय उनका वेतनमान 6500-10500 था। वर्ष 2007 में सरकार ने इसे पुनरीक्षित कर 8000- 13500 कर दिया, लेकिन इसका लाभ उन्हें नहीं दिया गया।

कहा गया कि केंद्र सरकार ने एलोपैथिक व आयुर्वेदिक चिकित्सकों को समान माना है, जिसे 2009 में राज्य सरकार ने भी अंगीकार कर लिया। इसलिए आयुर्वेदिक चिकित्सकों को छठे वेतनमान का लाभ मिलना चाहिए। सरकार ने इसका विरोध करते हुए कहा कि आयुर्वेदिक चिकित्सकों का पद राज्य कैडर का नहीं है। यह ग्र्रुप बी का पोस्ट है, इसलिए उन्हें एलोपैथिक चिकित्सकों के समान वेतनमान नहीं दिया जा सकता।

यह है मामला

आयुर्वेदिक चिकित्सक अमरेंद्र पाठक सहित 11 लोगों की आयुर्वेदिक चिकित्सा पदाधिकारी के रूप में नियुक्ति हुई थी। जिन्हें छठे वेतनमान का लाभ नहीं दिया गया। इसके लिए इन लोगों ने अपीलीय समिति के यहां आवेदन दिया। समिति ने 2011 में इनके आवेदन को खारिज कर दिया। जिसके बाद इस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई।


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