1990 के कारसेवा में चार दिन-चार रात में 169 किमी पैदल चलकर पहुंचे थे अयोध्या
बजरंग दल के तात्कालिक विभाग संयोजक सुशील कुमार 1984 में राम मंदिर आंदोलन से जुड़े. 1990 के कारसेवा में 169 किमी की दूरी पैदल चलकर अयोध्या पहुंचे थे।
संजय कुमार, रांची :
बजरंग दल के तात्कालिक विभाग संयोजक सुशील कुमार 1984 में राम मंदिर आंदोलन से जुड़े। अयोध्या पर आए ऐतिहासिक निर्णय पर खुशी जताने के लिए सभी लोग शनिवार को रांची के हरमू रोड स्थित विहिप कार्यालय पहुंचे थे। वहां पर सुशील कुमार एवं विहिप के प्रांत धर्माचार्य संपर्क प्रमुख युगल किशोर भी थे। दोनों ने 1990 में अयोध्या में हुई कारसेवा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। दैनिक जागरण से अपनी बात साझा करते हुए दोनों अतीत में खोते हुए भावुक हो उठे।
यादों को साझा करते हुए युगल किशोर बोले, 24 अक्टूबर 1990 का वह दिन आज भी याद है। छठ के शाम के अर्ध्य का दिन था। योजना के अनुसार उसी दिन कार सेवा के लिए अयोध्या के लिए प्रस्थान करना था। रांची से सुशील कुमार के नेतृत्व में 59 लोगों की टोली चली। इसमें प्रभाकर पांडेय, श्याम नारायण दुबे, सतीश चंद्र झा व अमरेंद्र सिंह राठौर (सभी दिवंगत), गिरिधारी लाल महतो, अक्षयवट नाथ तिवारी, रविंद्र सिंह आदि शामिल थे।
सभी लोग ट्रेन से रांची से गोमो पहुंचे। वहां से पांच-पांच लोगों की टोली में अयोध्या के लिए प्रस्थान करना था। कारसेवकों पर पुलिस की नजर थी। उत्तर प्रदेश सरकार ने घोषणा कर रखी थी कि अयोध्या में परिदा भी पर नहीं मार सकता है। जगह-जगह कार सेवकों की गिरफ्तारी हो रही थी। युगल किशोर व सुशील कुमार बोले, हम लोग अलग-अलग टोली में चलकर ट्रेन से गोमो से चुनार पहुंचे। वहां से रात एक बजे गौरीगंज स्टेशन पहुंचे। ऊपर से आदेश था कि यहां से अब पैदल ही अयोध्या के लिए बढ़ना है। दूरी 169 किलोमीटर की थी। हमलोग आगे बढ़ने लगे। आज भी वह दिन नहीं भूलता हूं। जिस गांव में पहुंचे, वहां के लोगों ने भगवान की तरह स्वागत किया। कहते थे, भगवान रामजी के काज से जा रहे हैं। हमारे लिए भगवान से कम नहीं हैं। जिस गांव में पहुंचा, लोगों ने भोजन कराया। रात्रि में रहने को घर दिया। चार दिन एवं चार रात पैदल चलकर 30 अक्टूबर को अयोध्या सीमा में प्रवेश किया, लेकिन आरएसएस की ऐसी योजना कि पुलिस को भनक तक नहीं लगी। दो नवंबर को विहिप के प्रमुख अशोक सिंघल के नेतृत्व में हजारों कारसेवक हनुमान गढ़ी चौराहा पहुंच गए। पुलिस देखकर अचंभित रह गई। पुलिस ने कारसेवकों को आगे बढ़ने से रोकने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े, फिर लाठियां चटकाई। फिर भी लोग डटे रहे। सिंघल जी घायल हो गए। हमलोग दिगंबर अखाड़े में वापस आ गए। जैसे ही हमलोग वापस आए, गोलियों की आवाज सुनाई देने लगी। दिगंबर अखाड़े से लेकर हनुमान गढ़ी के बीच गोलियां चल रही थीं। छोटी छावनी में कारसेवकों के शव रखे हुए थे। फिर चार नवंबर को इलाहाबाद, बनारस होते हुए हमलोग वापस रांची आ गए। अब मंदिर निर्माण में कारसेवा करने के लिए जरूर जाएंगे।
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