दीपिका कुमारी के डिंपल पर मर मिटे अतनु दास, जानिए तीरंदाज जोड़े की सगाई की इनसाइड स्टोरी...
Deepika Kumari. आर्चर कपल को विश्वास है कि उनका साथ रंग लाएगा और विश्व पटल पर तिरंगा लहराएगा। वे खेल के मैदान में एक दूसरे की कमियों को सुधारेंगे।
रांची, संजीव रंजन। बैंडमिंटन से साइना नेहवाल और पुलेला कश्यप, रेसलिंग से विनेश और सोमवीर के बाद दो अंतरराष्ट्रीय तीरंदाज दीपिका और अतनु ने अपने ही साथी खिलाड़ी को जीवनसाथी बनाने का फैसला लिया है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि एक ही खेल के खिलाडिय़ों का एक-दूसरे के करीब आना प्यार है या वजह कुछ और। सगाई के बाद कुछ पलों के लिए फुर्सत में आए अतनु ने इसका जवाब दिया।
अतनु ने कहा, दीपिका से प्यार तो है ही। एक ही क्षेत्र से होने का फायदा भी मिलता है। साथी पास होता है तो उसकी कमी भी नहीं खलती। क्या खेल से ध्यान नहीं बंटेगा। मुस्कुरा कर अतनु ने जवाब दिया, नहीं। अभ्यास में और मदद मिलेगी। अतनु के पीछे खड़ी दीपिका ने भी पूरे विश्वास से कहा, एक-दूसरे का साथ मिलने के बाद और बेहतर करेंगे यह विश्वास है। विश्वकप आने वाला है, उम्मीद है कि इस बार पदक जीतकर वहां तिरंगा जरूर लहराएंगे। कहना नहीं भूलते कि भले एक-दूसरे को पसंद करते हैं लेकिन दोनों का पहला प्यार तीरंदाजी ही है।
ऊपर वाले का आशीर्वाद : यह पूछे जाने पर दोनों ने एक दूसरे को अपना जीवन साथी चुनने का निर्णय कैसे लिया। अतनु ने कहा कि शादी सभी को करनी है अगर जिसके साथ आप ज्यादा समय व्यतीत करते हैं वह जीवन साथी मिल जाए तो इसे ऊपर वाले का आशीर्वाद ही कहेंगे। दीपिका व मैं पिछले कई वर्षों से भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व कर रहे हूं। इस दौरान हम दोनों ने एक दूसरे को समझा। एक दूसरे के पसंद व नापसंद को जाना। सब कुछ समझने के बाद हमने यह निर्णय लिया।
दीपिका की डिंपल पर मर मिटा अतनु : दीपिका की क्या चीज सबसे अधिक पसंद है अतनु ने कहा कि उसकी सादगी। जब वह हंसती है तो चेहरे पर बना डिंपल मुझे काफी पसंद है। वहीं दीपिका कुमारी ने बताया कि अंजान लड़के से शादी करने से बेहतर उस लड़के को जीवनसाथी चुनना चाहिए जिसे आप अच्छे से जानते हैं, जिसे आप पसंद करते हैं। अतनु का भोलापन व अनुशासन मुझे काफी पसंद है।
2005 में अकादमी में आई दीपिका : रांची में 13 जून 1994 में जन्मी दीपिका कुमारी को तीरंदाजी में पहला मौका 2005 में मिला जब सरायकेला-खरसावां स्थित अर्जुन मुंडा आर्चरी अकादमी ज्वाइन की। तीरंदाजी में उनके प्रोफेशनल करियर की शुरुआत 2006 में हुई जब उन्होंने टाटा तीरंदाजी अकादमी ज्वाइन की। 2006 में मैरीदा मेक्सिको में आयोजित वल्र्ड चैंपियनशिप में कम्पाउंड एकल प्रतियोगिता में दीपिका ने स्वर्ण पदक हासिल किया। डोला बनर्जी के बाद ऐसा करने वाली वे दूसरी भारतीय थीं। उन्हें विश्व की नंबर वन तीरंदाज का तमगा हासिल हुआ। 2010 में एशियन गेम्स में दीपिका ने कांस्य हासिल किया। इसके बाद इसी वर्ष कॉमनवेल्थ खेलों में महिला एकल और टीम के साथ दो स्वर्ण हासिल किए। इस्तांबुल में 2011 में और टोक्यो में 2012 में विश्व कप के सिंगल्स में रजत अपने नाम किया।
जूनियर चैंपियनशिप में अतनु ने खींचा ध्यान : 5 अप्रैल 1992 को कोलकाता में जन्मे अतनु दास ने साल 2007 में जबलपुर में आयोजित सब जूनियर चैंपियनशिप जीतकर सबका ध्यान खींचा था। इसके बाद वे 2009 में यूथ वल्र्ड कप खेलने तुर्की गए। 2010 में यूथ ओलंपिक गेम्स खेलने सिंगापुर गए। उन्होंने 2016 में आयोजित रियो ओलिंपिक में भी भाग लिया है। यहां उन्होंने मैंस सिंगल कैटेगरी में तीरंदाजी की थी।
कई प्रतियोगिताओं में जीत चुके हैं मेडल :
2011 में बांग्लादेश में एशियन ग्रैंड प्रिक्स की रिकर्व पुरुष व्यक्तिगत स्पर्धा में गोल्ड मेडल। ;
2011 में बांग्लादेश में एशियन ग्रैंड प्रिक्स की रिकर्व मिक्स्ड टीम में गोल्ड मेडल।
2011 में पोलैंड में वल्र्ड आर्चरी यूथ चैंपियनशिप की जूनियर मेंस टीम में गोल्ड मेडल।
2013 में दीपिका कुमारी के साथ कोलंबिया में वल्र्ड कप में कांस्य पदक
2013 में थाईलैंड में एशियन आर्चरी ग्रैंड प्रिक्स में कांस्य पदक।
2014 में पोलैंड में आर्चरी वल्र्ड कप में रिकर्व मिक्स्ड टीम में रजत पदक।