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झारखंड राजभवन में एट होम कार्यक्रम का आयोजन, मुख्‍यमंत्री-राज्‍यपाल समेत विपक्षी नेता रहे मौजूद

At Home Program Jharkhand Raj Bhawan Ranchi राज्यपाल ने सभी को स्वतंत्रता दिवस की बधाई व शुभकामनाएं दी। इस कार्यक्रम में राज्यपाल रमेश बैस की पत्नी रामबाई बैस मुख्यमंत्री की पत्नी कल्पना सोरेन भी उपस्थित थीं। विपक्ष से बाबूलाल मरांडी भी मौजूद रहे।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Sun, 15 Aug 2021 07:08 PM (IST)Updated: Sun, 15 Aug 2021 09:20 PM (IST)
झारखंड राजभवन में एट होम कार्यक्रम का आयोजन, मुख्‍यमंत्री-राज्‍यपाल समेत विपक्षी नेता रहे मौजूद
At Home Program, Jharkhand Raj Bhawan Ranchi राज्यपाल ने सभी को स्वतंत्रता दिवस की बधाई व शुभकामनाएं दी।

रांची, राज्‍य ब्‍यूरो। स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर आज 15 अगस्‍त को राज्यपाल रमेश बैस की उपस्थिति में रांची स्थित झारखंड राजभवन में शाम को एट होम कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, मंत्रिपरिषद के अन्य सदस्यगण, पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी आदि उपस्थित थे। राज्यपाल ने सभी को स्वतंत्रता दिवस की बधाई व शुभकामनाएं दी। इस कार्यक्रम में राज्यपाल रमेश बैस की पत्नी रामबाई बैस, मुख्यमंत्री की पत्नी कल्पना सोरेन भी उपस्थित रहीं। कोरोना वायरस संक्रमण को देखते हुए इस कार्यक्रम में सीमित लोगों को आमंत्रित किया गया था।

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 इस कार्यक्रम में राष्ट्रगान हुआ। इसके बाद अल्पाहार हुआ। स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता, विधानसभा सदस्य नवीन जायसवाल एवं समरी लाल, रांची की महापौर आशा लकड़ा, राज्‍य के मुख्य सचिव सुखदेव सिंह, विकास आयुक्त अरुण कुमार सिंह, पुलिस महानिदेशक नीरज सिन्हा, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का सहित कई वरीय प्रशासनिक पदाधिकारी, पुलिस पदाधिकारी, सैन्य अधिकारी उपस्थित रहे।

ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ अलख जगाने में अग्रणी था झारखंड : स्पीकर

ब्रिटिश हुकूमत के विरुद्ध अलख जगाने में झारखंड पूरे देश में अग्रणी था। विधानसभा परिसर में ध्वजारोहण के बाद समारोह को संबोधित करते हुए विधानसभा अध्यक्ष रबींद्र नाथ महतो ने कहा कि 1784 में तिलका मांझी एवं 1855 के संताल विद्रोह ने ब्रिटिश हुकूमत को उस वक्त झकझोर दिया, जब भारत में उपनिवेशवाद जन्म ले रही थी। बिरसा मुंडा ने न केवल अंग्रेजों से लोहा लिया, बल्कि राष्ट्रवाद की परिकल्पना को लोगों के बीच रखा।

विधानसभा अध्यक्ष ने राज्य के रामगढ़, पलामू, डोरंडा के क्रांतिवीरों की बलिदान गाथा को भी याद करते हुए कहा कि आज से 75 वर्ष पूर्व जब लाल किले के प्राचीर से यूनियन जैक को उतार कर तिरंगे को फहराया गया था, तब आजाद भारत के जन्म के साथ आशाओं और उम्मीदों की एक विशाल प्राचीर ने भी जन्म लिया था।

तब राष्ट्र निर्माण के साथ-साथ, नियोजित विकास के माध्यम से सार्वजनिक क्षेत्र को मजबूती प्रदान करने, उद्योग व तकनीक के साथ-साथ जय जवान, जय किसान का नारा देते हुए विश्व में भारत शानदार तरीके से सशक्त राष्ट्र के रूप में उभरा। तमाम भय और शंकाओं के बावजूद 1991 में आर्थिक उदारीकरण को अपनाकर भारत ने संपूर्ण विश्व को अपना लोहा मनवाया। विकास की यह कहानी, तब तक अधूरी रहेगी, जब तक 15 अगस्त 1947 को हर आंख से आंसू पोछने के वादे पर कार्य नहीं किया जाएगा। विश्व परिदृश्य में देश के सामने कई नई चुनौतियां हैं।


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