लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव का बनने लगा माहौल
Lok Sabha election.झारखंड में भाजपा के रणनीतिकार मोदी फैक्टर को साथ रखकर ही आगे बढ़ना चाहते हैं।
रांची, राज्य ब्यूरो। छत्तीसगढ़ में चुनाव परिणाम के बाद पड़ोसी राज्य झारखंड में चुनावी सुगबुगाहट तेज हो गई है। यहां विधानसभा चुनाव अगले साल निर्धारित है और लोकसभा चुनाव के बाद छह महीने का अंतर होना है लेकिन इस बात की कवायद अभी से दिखने लगी है कि दोनों चुनाव साथ करा लिए जाएं। बड़ा कारण यह कि लोकसभा चुनाव के साथ विधानसभा चुनाव में मोदी फैक्टर का भी लाभ मिलेगा और सरकार विरोधी लहर भी कम होगा। हालांकि भाजपा ऐसी बातों को सिरे से नकार चुका है।
राज्य में भाजपा के रणनीतिकार मोदी फैक्टर को साथ रखकर ही आगे बढ़ना चाहते हैं। कारण है छत्तीसगढ़ का परिणाम। यहां मोदी को दरकिनार कर रमन सिंह के नाम पर चुनाव लड़ा गया और नतीजा यह हुआ कि भाजपा की बुरी तरह से हार हुई। जिन इलाकों में मोदी प्रचार करने पहुंचे भी वहां भी कोई बेहतर परिणाम नहीं दिखा। कार्यकर्ताओं से लेकर मतदाताओं तक संदेश पहुंच चुका था कि मोदी से अलग राह पकड़ चुके हैं रमन सिंह।
दूसरी ओर, राजस्थान और मध्य प्रदेश में मोदी के नाम पर चुनाव हुआ और इन राज्यों में भाजपा का प्रदर्शन कतई खराब नहीं कहा जा सकता। छत्तीसगढ़ के परिणाम को पार्टी दूसरे राज्यों में नहीं दोहराना चाहती, खासकर झारखंड में। सूत्रों के अनुसार पार्टी की कोशिश होगी कि मोदी फैक्टर के साथ झारखंड का चुनाव लड़ा जाए और केंद्र के साथ-साथ यहां भी मजबूत स्थिति बनाए रखने में मदद मिले। राजस्थान और मध्यप्रदेश के परिणाम बता रहे हैं कि शहरी क्षेत्रों के मतदाता अभी भी मोदी के नाम पर वोट दे रहे हैं और इसी का फायदा भाजपा उठाना चाहती है।
झारखंड में शहरी क्षेत्रों में भाजपा की पकड़ मजबूत है और इसे बरकरार रखने के लिए पार्टी कोई कसर नहीं छोड़ेगी। हाल के दिनों में कई विधानसभा क्षेत्रों में कार्यक्रम और संबंधित प्रमंडल में कैंप करके रघुवर दास ने संगठन को ताकत देने की कोशिश की है। इसका लाभ कितना मिलेगा, यह तो चुनाव का परिणाम ही बताएगा।
लोकसभा और विधानसभा चुनाव साथ कराने का मुद्दा पार्टी का रहा है और इससे देश को फायदा होगा। विधानसभा चुनाव साथ में कराने का फैसला हो सकता है अब कर लिया जाए। मैं व्यक्तिगत रूप से इस फैसले के पक्ष में हूं।
-महेश पोद्दार, सांसद, भाजपा।