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मंत्री की टिप्पणी से स्पीकर आहत, कहा- जब हम बोलेंगे तो दिक्कत हो जाएगी

विधानसभा अध्यक्ष को नागवार गुजरी अमर बाउरी व सीपी सिंह की टिप्पणी राज्य ब्यूरो, रांची स्

By JagranEdited By: Published: Sun, 22 Jul 2018 11:38 AM (IST)Updated: Sun, 22 Jul 2018 11:38 AM (IST)
मंत्री की टिप्पणी से स्पीकर आहत, कहा- जब हम बोलेंगे तो दिक्कत हो जाएगी
मंत्री की टिप्पणी से स्पीकर आहत, कहा- जब हम बोलेंगे तो दिक्कत हो जाएगी

- विधानसभा अध्यक्ष को नागवार गुजरी अमर बाउरी व सीपी सिंह की टिप्पणी राज्य ब्यूरो, रांची

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स्पीकर दिनेश उरांव को मंत्री अमर बाउरी और सीपी सिंह द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से आसन पर की गई टिप्पणी नागवार गुजरी है। टिप्पणी से आहत स्पीकर ने मंत्री अमर बाउरी को तो सीधे तौर पर कड़ा जवाब दिया लेकिन सीपी सिंह को शालीनता से संसदीय व्यवस्था के कामकाज और व्यवहारिकता के बीच का फर्क समझाया।

सदन में पहली पाली में मंत्री अमर बाउरी द्वारा यह कहने पर कि यहां कुछ लोगों की नेतागिरी चमकाई जा रही है से स्पीकर नाराज हो गए। उन्होंने सीधे-सीधे मंत्री से कहा कि नेतागिरी की बात नहीं है। सोच-समझकर बोलिए। नहीं तो जब हम बोलेंगे तो दिक्कत हो जाएगी। स्पीकर के नाराज होने पर अमर बाउरी ने खड़े होकर खेद प्रकट किया।

वहीं, कुछ देर बाद सीपी सिंह ने स्कूलों के मर्जर पर हो रही चर्चा पर सवाल उठाया। कहा, साढ़े तीन साल मुझे भी इस कुर्सी पर बैठने का अवसर मिला है। झारखंड विधानसभा की प्रक्रिया और कार्य संचालन नियमावली का क्या अर्थ है। सदन किस नियम के तहत चल रहा है। 11 से 12 बजे प्रश्नकाल होता है, लेकिन यहां डिबेट चल रहा है। यदि यह इतना महत्वपूर्ण विषय है तो इसे दूसरी पाली में क्यों नहीं कराया जा सकता?

आसन की कार्यशैली पर सीधे उठाए गए इस सवाल से आहत स्पीकर ने कहा कि जिस तरह की नियमावली और उसका उल्लेख किया जा रहा है यदि उसका अक्षरश: पालन किया जाए तो किसी भी सदस्य की कोई भी बात नियमत: नहीं आ पाएगी। क्षेत्र की जनता जब हमें चुनती है तो यह चाहती है कि हम क्षेत्र की समस्याएं रखें और उनका समाधान कराएं। लेकिन यहां व्यर्थ में समय बीत जाता है। यहां जो भी हो रहा है वह सवा तीन करोड़ जनता उसे देख रही है। मुझे भी देख रही है। जनता ही पंच परमेश्वर है, आने वाले चुनाव में दिखा देगी। यह भी कहा कि आसन किसी की जागीर नहीं है। सबकी सहमति की बात हो, इसीलिए मैं इस आसन पर बैठा हूं। अगर मेरे प्रति विश्वास है तो उसका आदर भी करें। मैं जबरदस्ती पद का दायित्व नहीं उठाना चाहता।

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