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वसूली में नाकाम रही सरकार, 1651 करोड़ का झटका

सीएजी रिपोर्ट में उजागर हुई सरकारी कामकाज की लापरवाही - कर का गलत निर्धारण, नियमों

By JagranEdited By: Published: Sat, 21 Jul 2018 10:35 AM (IST)Updated: Sat, 21 Jul 2018 10:35 AM (IST)
वसूली में नाकाम रही सरकार, 1651 करोड़ का झटका
वसूली में नाकाम रही सरकार, 1651 करोड़ का झटका

- सीएजी रिपोर्ट में उजागर हुई सरकारी कामकाज की लापरवाही

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- कर का गलत निर्धारण, नियमों की अनदेखी से राजस्व को झटका

- सीएजी की 96 फीसद आपत्तियों को सरकार ने स्वीकारा राज्य ब्यूरो, रांची

राज्य सरकार का राजस्व वसूली का तंत्र खासा कमजोर है जिसका खामियाजा राजस्व की कम उगाही के रूप में भुगतना पड़ रहा है। अधिकारियों की कार्यशैली में लापरवाही, नियमों की अनदेखी और गलत कर निर्धारण के कारण राज्य सरकार को 1651.44 करोड़ रुपये के कर से वंचित रहना पड़ा है। भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक के 31 मार्च 2017 को समाप्त हुए राजस्व क्षेत्र के प्रतिवेदन में यह तथ्य उजागर हुए हैं। वाणिज्यकर, राज्य उत्पाद, परिवहन, मुद्रांक शुल्क एवं निबंधन फीस, विद्युत पर कर शुल्क और खनन प्राप्तियों को लेकर सीएजी द्वारा किए गए आडिट में ये विसंगतियां सामने आई हैं। राज्य सरकार के इस विभाग ने सीएजी की 96.07 प्रतिशत (1586.57 करोड़) आपत्तियों को स्वीकारा है।

वाणिज्यकर विभाग में कर के गलत निर्धारण, निर्धारित मानदंडों का पालन नहीं करने से सीधे तौर पर 1093.59 करोड़ के राजस्व की क्षति पहुंची है। सीएजी ने वर्ष 2010 से 2015-16 के बीच विभिन्न वाणिज्यकर अंचलों के नमूना जांच में यह सामने आया है। सीएजी की 90 प्रतिशत आपत्तियों को राज्य सरकार ने भी स्वीकारा है। वहीं, राज्य उत्पाद में भी कई विसंगतियां उजागर हुई हैं। सीएजी ने अपनी जांच में पाया है कि 2015-16 की अवधि में चार उत्पाद जिलों में 111 दुकानों की बंदोबस्ती नहीं की जा सकी। जिसके परिणाम स्वरूप राज्य को 79.72 करोड़ रुपये के राजस्व से वंचित रहना पड़ा। वहीं, इसी दौरान 12 उत्पाद जिलों में 695 विक्रेताओं द्वारा शराब का कम उठाव किया गया। इससे सीधे तौर पर 23.20 करोड़ के उत्पाद शुल्क की हानि हुई।

वाहनों पर कर के मामले में भी कुछ ऐसी ही विसंगति सामने आई है। सीएजी ने पाया कि जनवरी 2011 से मार्च 2017 की अवधि में 14,604 वाहनों से 57.73 करोड़ का कर एवं अर्थदंड नहीं वसूला जा सका। हजारीबाग जिले में साफ्टवेयर की कमी के कारण लदान क्षमता को कम किया गया। इससे यहां 1.15 करोड़ रुपये का अल्पारोपण हुआ। मुद्रांक शुल्क एवं निबंधन फीस में भी तंत्र की विफलता उजागर हुई। इससे 7.73 करोड़ की सरकार को चपत लगी। खनन गतिविधियों में उच्च दर से विद्युत शुल्क लगाने में कर निर्धारण की विफलता भी उजागर हुई। इससे चार वाणिज्यकर अंचलों में ब्याज सहित 5.48 करोड़ विद्युत शुल्क का अल्पारोपण हुआ।

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अवैध खनन से 213.32 करोड़ की क्षति :

अवैध खनन के चलते राज्य सरकार को 213.32 करोड़ रुपये की क्षति हुई है। सीएजी ने अपनी जांच में पाया कि पर्यावरणीय निर्बाधन प्रमाणपत्र एवं प्रदूषण नियंत्रण पर्षद द्वारा दी गई अनुमति में स्वीकृत मात्रा से अधिक खनिज का दोहन किया गया। इसके अलावा गलत रायल्टी दर के निर्धारण के कारण 6.65 करोड़ के राजस्व ही हानि हुई। धुले कोयले का मूल्य निर्धारण गलत करने से 58.85 करोड़ की रायल्टी और 13.64 करोड़ के ब्याज का अल्पारोपण हुआ।

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पदाधिकारियों व कर्मचारियों की कमी से प्रभावित हो रहा राजस्व

सीएजी ने पाया कि वाणिज्यकर विभाग और खनन विभाग में पदाधिकारियों और कर्मचारियों की भारी कमी है, जिससे राजस्व प्राप्तियां प्रभावित हो रही हैं। रिपोर्ट में बताया गया कि वाणिज्यकर विभाग में 42.37 प्रतिशत अधिकारियों और 54.97 प्रतिशत अधिकारियों की कमी है। इससे विभाग का प्रदर्शन प्रभावित हो रहा है। इसी वजह से कर निर्धारण के 31,187 मामले लंबित हैं। वहीं, खनन पदाधिकारियों और सहायक खनन पदाधिकारियों में 59 प्रतिशत तक कमी है। खान निरीक्षक के 48 प्रतिशत और सहायक कर्मचारियों के 61 प्रतिशत पद रिक्त हैं।

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