लॉकडाउन में आधी हो गई दवाओं की बिक्री
रांची लॉकडाउन के दौरान भी पहले दिन से दुकानें खोले रखने की स्वतंत्रता के बावजूद दवाओं के कारोबार पर बुरा असर पड़ा है। इस बीच पहले की अपेक्षा दवाओं की बिक्री आधी हो गई है।
आशीष झा, रांची
लॉकडाउन के दौरान भी पहले दिन से दुकानें खोले रखने की स्वतंत्रता के बावजूद दवाओं के कारोबार पर बहुत बुरा असर पड़ा। इसका सबसे बड़ा कारण रहा झारखंड में सरकारी और प्राइवेट ओपीडी का बंद रहना। राज्य के 17 हजार दुकानदारों ने जहां पिछले साल अप्रैल महीने में लगभग 140 करोड़ रुपये की दवाओं का कारोबार किया था वहीं इस वर्ष अप्रैल में आंकड़ा 50 करोड़ के आसपास ही रहा। मई में बिक्री कुछ बढ़ी भी तो आंकड़ा आधे के आसपास ही पहुंचा है। बड़ी बात यह कि ब्रांडेड दवाइयों का कारोबार कुछ हद तक बना रहा लेकिन जेनरिक दवाएं और संपर्क आधारित दवाओं की बिक्री में भारी कमी रही। अस्पतालों की ओपीडी बंद रहने के कारण मेडिकल रिप्रजेंटेटिव भी डॉक्टरों के पास नहीं पहुंचे जिससे बिक्री का आंकड़ा और गिरता गया।
झारखंड में थोक और रिटेल दुकानों के सबसे बड़े केंद्र अपर बाजार में स्थित अमर मेडिकल हॉल के संचालक का कहना है कि उनकी बिक्री घटकर दस फीसद से भी कम रह गई है। दुकान खोलना है इसलिए खोल रहे हैं। उनके अनुसार, दुकान में प्रतिदिन की बिक्री 40 से 50 हजार रुपये की होती थी, वहीं अब यह घटकर दो-तीन हजार पर पहुंच गई है। वहीं, न्यू मार्केट रातू रोड स्थित राधा मेडिकल हॉल के मालिक का कहना है कि उनकी बिक्री दस फीसद तक ही रह गई है। उनके अनुसार, अभी सामान्य दवा के अलावा पुराने पुर्जे वाली दवा की ही बिक्री हो पा रही है। हालांकि सैनिटाइजर, मास्क और ग्लव्स की बिक्री भरपूर हुई है। इन उत्पादों के कारण बाजार की रौनक भी बनी रही है।
थोक व्यवसायियों के साथ ऐसी परेशानी नहीं है। खासकर जिनके पास ब्रांडेड प्रोडक्ट हैं। ऐसे ही एक थोक व्यवसायी बलकार सिंह नामधारी बताते हैं कि उनके यहां से दवाइयों की बिक्री 40 से 50 प्रतिशत तक कम हुई है। आज की तिथि में प्राइवेट अस्पताल दवाओं के सबसे बड़े उपभोक्ता हैं लेकिन ओपीडी बंद रहने के कारण बिक्री पर बुरा प्रभाव पड़ा। देश की बड़ी कंपनियां फाइजर, अल्केम, सिप्ला, ग्लैक्सो, मैनकाइंड, कैडिला, एरिस्टो, नोवार्टिस आदि सबकी बिक्री प्रभावित हुई है।
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डायबीटिज, बीपी के मरीजों ने स्टॉक की दवाइयां, अब घट गई बिक्री : राज्य में डायबीटिज, ब्लड प्रेशर की दवा की बिक्री भी अचानक घट गई है। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि लॉक डाउन लागू होने के साथ ही मरीजों ने पांच-छह माह की दवा खरीद ली। मार्च के अंतिम सप्ताह में इन बीमारियों की दवा की बिक्री अचानक बढ़ गई थी। लेकिन अप्रैल-मई में इनकी भी बिक्री घट गई।
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बिक्री घटने के ये भी हैं कारण :
- निजी अस्पतालों में ओपीडी अब भी नहीं खुल रहे हैं। डाक्टरों के नर्सिग होम भी बंद हैं।
- बड़े अस्पतालों में भी जो सर्जरी टालने लायक हैं, टाले जा रहे हैं।
- अधिसंख्य डेंटल क्लिनिक बंद हैं।
- प्रदूषण के स्तर में सुधार होने से लोग बीमार भी कम पड़ रहे हैं।
- लॉक डाउन के कारण वाहनों के नहीं चलने से छोटी दुर्घटनाओं में भी कमी आई है।