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झारखंड में सूचना आयुक्त का पद खाली, दो लाख से ज्यादा अपील लंबित; सुप्रीम कोर्ट ने मांगी रिपोर्ट

Jharkhand News झारखंड हाई कोर्ट में डाॅ. राजकुमार ने जनहित याचिका दाखिल की थी। हाई कोर्ट के समक्ष राज्य सरकार ने जल्द नियुक्ति करने की बात कहते हुए विज्ञापन भी जारी कर दिया लेकिन नियुक्ति नहीं की गई।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Mon, 12 Jul 2021 03:57 PM (IST)Updated: Tue, 13 Jul 2021 08:56 AM (IST)
Jharkhand News झारखंड हाई कोर्ट में डाॅ. राजकुमार ने जनहित याचिका दाखिल की थी।

रांची, [मनोज सिंह]। सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों से सूचना आयुक्तों के खाली पद की अद्यतन रिपोर्ट मांगी है। एक माह बाद इस मामले में सुनवाई होनी है। लेकिन अगर झारखंड में वर्तमान स्थिति की बात करें, तो यहां पर मुख्य सूचना आयुक्त व सूचना आयुक्त के सभी पद खाली हैं। कार्यकारी मुख्य सूचना आयुक्त हिमांशु शेखर चौधरी का कार्यकाल मई में समाप्त हो गया है। उसके बाद से कोई नियुक्ति नहीं हुई है। इसको लेकर झारखंड हाई कोर्ट में डाॅ. राजकुमार ने जनहित याचिका दाखिल की थी।

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हाई कोर्ट के समक्ष राज्य सरकार ने जल्द नियुक्ति करने की बात कहते हुए विज्ञापन भी जारी कर दिया, लेकिन नियुक्ति नहीं की गई। हाई कोर्ट में इस मामले में पक्ष रखने वाले अधिवक्ता अभय कुमार मिश्रा ने कहा कि राज्य सरकार जानबूझ कर सूचना आयुक्तों की नियुक्ति नहीं कर रही है। हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने कई बार नियुक्ति करने का आश्वासन दिया है, लेकिन विज्ञापन जारी होने के बाद भी नियुक्ति नहीं होना सवाल उठा रहा है।

अवमानना याचिका हुई दाखिल, तत्काल सुनवाई का होगा आग्रह

अधिवक्ता अभय कुमार मिश्रा ने बताया कि सरकार के आश्वासन के बाद हाई कोर्ट ने इससे संबंधित याचिका का निष्पादन कर दिया। लेकिन याचिका निष्पादित होते ही राज्य सरकार ने भी नियुक्ति प्रक्रिया को ठंडे बस्ते में डाल दिया है। अब इस मामले में उनकी ओर से अवमानना याचिका दाखिल की गई है। इस पर त्वरित सुनवाई के लिए हाई कोर्ट में मेंशन किया जाएगा। अधिवक्ता अभय मिश्रा की मानें, तो सूचना आयुक्तों के पद खाली होने की वजह से करीब दो लाख से ज्यादा अपील सुनवाई के लिए लंबित हैं। उन्होंने बताया कि मुख्य सूचना आयुक्त सहित सूचना आयुक्तों के कुल 13 पदों पर नियुक्ति होनी बाकी है।

नेता प्रतिपक्ष नहीं होना भी नियुक्ति में अडंगा

झारखंड सरकार ने अभी तक नेता प्रतिपक्ष को मान्यता नहीं दी है। इसको लेकर अभी भी भाजपा और झामुमो में खींचतान चल रही है। लेकिन सूचना आयुक्त की नियुक्ति के लिए बनी कमेटी में नेता प्रतिपक्ष को रखा गया है। ऐसे में नेता प्रतिपक्ष नहीं होने की वजह से उनकी नियुक्ति प्रक्रिया बाधित है।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि सूचना आयुक्तों का पद रिक्त होने के दो महीने पहले से ही नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू हो जानी चाहिए। साथ ही सर्च कमेटी को नौकरशाहों के अलावा विभिन्न क्षेत्रों के नामचीन लोगों को भी सूचना आयुक्त नियुक्त करने पर विचार करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट आरटीआइ कार्यकर्ता अंजलि भारद्वाज की याचिका पर सुनवाई कर रही है।


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