कपडों पर जीएसटी बढ़ाने से महंगे होंगे परिधान
कोरोना काल से उबर रहे वस्त्र उद्योग को एक बार फिर से झटका लगने की संभावना है
जासं, रांची : कोरोना काल से उबर रहे वस्त्र उद्योग को एक बार फिर से झटका लगने की संभावना व्यक्त की जा रही है। विगत दिनों जीएसटी परिषद द्वारा वस्त्र और परिधान सामग्री पर जनवरी, 2022 से जीएसटी में पांच प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत वृद्धि की घोषणा की गई है। वस्त्र व्यापारी सरकार के इस निर्णय का विरोध कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि जीएसटी में 12 प्रतिशत तक वृद्धि होने पर राजधानी रांची के वस्त्र बाजार के कारोबार पर 30-40 प्रतिशत का असर पड़ेगा, क्योंकि इससे धागे महंगे होंगे, तो रेडिमेड वस्त्र भी महंगे होंगे। बाजार में महंगाई के कारण मांग में भी गिरावट आएगी।
फेडरेशन ऑफ झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज ने भी जीएसटी परिषद को इसपर पुनर्विचार करने का का आग्रह किया है। जबकि फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया व्यापार मंडल की ओर केंद्र सरकार को ज्ञापन भी दिया गया है। बताया जा रहा है कि जीएसटी परिषद की नई घोषणा के मुताबिक फैब्रिक, धागे के अलावा रेडिमेड कपड़ों पर भी 12 प्रतिशत जीएसटी लगेगा। जीएसटी बढ़ने के बाद जिन वस्त्रों की कीमत एक हजार रुपये हैं, उन पर ही पांच प्रतिशत का जीएसटी लगता था। लेकिन अब सभी कपड़ों पर 12 प्रतिशत जीएसटी लागू कर दिया गया है। इससे उत्पादन के साथ ही बिक्री पर भी असर पड़ेगा। शहर के वस्त्र व्यापारियों का कहना है कि पहले पांच प्रतिशत जीएसटी लगता था। लेकिन अब इसे सात प्रतिशत बढ़ाकर 12 प्रतिशत करने की घोषणा की गई है। इससे स्टॉक की वैल्यूवेशन पर निवेश बढ़ जाएगा। कपड़ा और भी महंगा हो जाएगा। उत्पादन और बिक्री पर भी असर पड़ेगा।
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साल भर में धागा व अंडर गारमेंट्स की कीमत में ही हुई 15 से 20 प्रतिशत वृद्धि : व्यापारियों के अनुसार एक साल के दौरान मिल वालों ने धागा व अंडर गारमेंट्स की कीमतों में ही 15 से 20 प्रतिशत की वृद्धि कर दी है। इस दौरान त्योहारी सीजन में सरकार से लॉकडाउन में छूट मिलने से कोरोना काल से बाजार धीरे-धीरे उबर रहा है। लेकिन अब दिक्कतें और बढ़ जाएंगी। इससे कारोबार पर 30-40 प्रतिशत का असर पड़ेगा।
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शहर में प्रति माह 300 करोड़ तक होता है वस्त्र व्यापार : राजधानी में प्रति माह 300 करोड़ रुपये तक का कपड़ों का कारोबार होता है। अपर मार्केट में स्थित महावीर चौक, गांधी चौक व रंगरेज गली शहर का सबसे बड़ा कपड़ों का मार्केट माना जाता है। इसके अलावा वेंडर मार्केट, कोकर बाजार, रातू रोड, पिस्का मोड़ सहित शहर के अन्य बाजारों में भी कपड़ों के सैकड़ों दुकानें हैं। विभिन्न मॉल के अलावा अलबर्ट एक्का चौक, सर्जना चौक, मेन रोड, कोकर आदि इलाके में फुटपाथ पर भी कपड़ों का अच्छा-खासा बाजार सजता है। शहर में कोलकाता, मुंबई, दिल्ली, लुधियाना, सूरत, अहमदाबाद आदि शहरों से कपड़ों की आवक होती है।
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पांच प्रतिशत जीएसटी लागू होने से बाजार में कपड़े पहले से महंगे मिल रहे हैं। अब जीएसटी में वृद्धि करने से महंगाई और भी बढ़ेगी। उत्पादन और बिक्री पर असर पड़ेगा। इसलिए सरकार से आग्रह है कि वह अपने इस निर्णय पर एक बार फिर से विचार करे।
- प्रमोद सारस्वत, कार्यकारिणी सदस्य, झारखंड थोक वस्त्र विक्रेता संघ।
इस घोषणा का असर सबसे ज्यादा छोटे व्यापारियों पर पड़ेगा। कोरोना काल में सबसे अधिक वस्त्र व्यवसाय ही प्रभावित हुआ था। अब कोरोना से धीरे-धीरे उबरते हुए कारोबार पटरी पर आ ही रहा था कि सरकार ने जीएसटी बढ़ाने की घोषणा कर दी। इससे व्यापार पर असर पड़ेगा।
- संजय सर्राफ, चेयरमेन, मीडिया सेल, फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया व्यापार मंडल
कुछ हद तक उबरने के बाद
बाजार अभी पूरी तरह से कोरोना के प्रभाव से उबरा नहीं है। लोगों के खरीदारी की क्षमता पर असर पड़ा है। ऐसे में वस्त्र एवं वस्त्र सामग्री पर 12 प्रतिशत तक जीएसटी वृद्धि करने की घोषणा से महंगाई बढ़ेगी। कारोबार पर भारी असर पड़ने की संभावना है।
- संतोष अग्रवाल, वस्त्र व्यापारी।