चारा घोटाले में फंसे नहीं फंसाए गए लालूः अन्नपूर्णा देवी
राजद की प्रदेश अध्यक्ष अन्नपूर्णा देवी के मुताबिक, चारा घोटाले में लालू प्रसाद यादव को फंसाया गया है।
रांची, जेएनएन। चारा घोटाला मामले में अब तक की कार्रवाई दुर्भावना और राजनीतिक दबाव से प्रेरित प्रतीत होती है। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री व राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव की पहचान मास लीडर के रूप में रही है। एक ऐसे नेता जो जनता की परेशानियों को अपनी समस्याओं से कहीं अधिक महत्व देते हैं। समाज का दबा-कुचला तबका अगर आज अपने अधिकार के लिए अपनी आवाज बुलंद कर रहा है तो यह लालू प्रसाद की ही देन है। समाज को बांटने की राजनीति करने वाले लोगों को यही रास नहीं आ रहा। लालू और उनके परिवार पर चौतरफा वार इसकी बानगी है।
चारा घोटाले जैसे कई घोटालों का जुड़ाव देश के विभिन्न राज्यों से रहा है। कार्यपालिका में काम करने का एक सिस्टम बना हुआ है। काम सही तरीके से हो, इसके लिए कई चेक प्वाइंट बने हैं। किसी भी राज्य का मुख्यमंत्री राज्य की हर गतिविधि पर समान रूप से नजर रखे, यह कतई संभव नहीं। लालू को सलाखों के पीछे पहुंचाकर राजद की सांगठनिक मजबूती को तार-तार करने के मंसूबे पालने वाले राजनीतिक दलों को मुंह की खानी पड़ेगी। विपरीत परिस्थितियों में राजद और मजबूत हुआ है। चारा घोटाले में लालू को सजा मुकर्रर किए जाने के बाद राजद की मौजूदा स्थिति, संगठन पर पड़ने वाले इसके प्रभाव, दल की भावी रणनीति आदि से जुड़े सवालों पर प्रदेश अध्यक्ष अन्नपूर्णा देवी ने दैनिक जागरण से खुलकर बातें की। प्रस्तुत है उनसे हुई बातचीत के मुख्य अंश -
पशुपालन घोटाले और लालू पर हुई कार्रवाई को आप किस रूप में देखती हैं?
-कहीं न कहीं लालू प्रसाद को फंसाया गया है। बिहार के ही पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र के बयान के अलावा सीबीआइ के तत्कालीन जांच पदाधिकारी पीके दुरई की पुस्तक ‘परसुट आफ लॉ एंड आर्डर’, टीआर लाल की ‘हू वींस सीबीआई- अ नैकेड ट्रूथ’ आदि इसकी बानगी है, जिसमें उन्हें साजिशन फंसाने की चर्चा की गई है। जनता को सब पता है। धीरे-धीरे यह भेद खुल रहा है।
लालू प्रसाद को हुई सजा का संगठन पर कहीं प्रतिकूल असर तो नहीं पड़ेगा?
-ऐसा कुछ नहीं होगा। लालू करोड़ों के दिलों में बसते हैं। विपरीत परिस्थितियों में भी उन्होंने कार्यकर्ताओं को जुड़ना सिखाया है, टूटना नहीं। उन्होंने किसी भी परिस्थिति में समझौता नहीं किया। किसी के सामने घुटने टेके। पार्टी का एक-एक कार्यकर्ता लालू है। संगठन अपने रिदम में चलेगा, वह और मजबूत होगा। राजद समर्थक दल की नीतियों को जन-जन तक पहुंचाने का काम करेंगे।
झारखंड में राजद की मौजूदा स्थिति से क्या आप संतुष्ट हैं?
-बीच में थोड़ी शिथिलता जरूर आ गई थी। अब लोग एक्टिव हो गए हैं। नए-पुराने साथियों के साथ राजद जन-जन तक पहुंच रहा है। पलामू, हजारीबाग, कोडरमा, संताल परगना के अलावा अन्य सीमावर्ती क्षेत्रों में राजद की मजबूत पकड़ है। 2019 के चुनाव में इसका सुखद परिणाम देखने को मिलेगा। राजद झारखंड की राजनीति में मजबूत विकल्प बनकर उभरेगा।
प्रदेश अध्यक्ष की कमान संभाले आपको दो महीने हो रहे हैं? भविष्य की क्या रणनीति है?
-जिला से लेकर राज्य स्तर तक पर कमेटी गठित कर दी गई है। अब इसे बूथ स्तर तक पर ले जाने की तैयारी है। कई बैठकें हो चुकी हैं। कई कार्यक्रम प्रस्तावित हैं। हाल ही में चलाए गए एक दिनी अभियान के दौरान 11 हजार नए सदस्य राजद से जोड़े गए। संगठन और धारदार बने, राजद तीन-तीन महीने का कैलेंडर तैयार करेगा। पदधारियों और कार्यकर्ताओं के लिए टाइमबांड कार्यक्रम सुनिश्चित किए जाएंगे। अच्छा प्रदर्शन करने वालों को संगठन में प्राथमिकता दी जाएगी। निष्क्रिय लोग हटाए जाएंगे।
चारा घोटाला मामले में सुनवाई से लेकर गवाही के बीच आपकी लालू प्रसाद से कई दौर की मुलाकात हुई। कार्यकर्ताओं के नाम उनका क्या संदेश है?
-राजद प्रमुख ने संगठन को और भी बेहतर बनाने का टास्क सौंपा है। उन्होंने लोगों की समस्याओं के साथ खड़ा होने, अंतिम व्यक्ति राजद का संदेश पहुंचाने तथा राज्य सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ पंचायत स्तर तक पर कार्यक्रम करने की नसीहत दी है। गठबंधन की राह को मजबूत आधार देने के निमित्त विपक्षी दलों से तालमेल कायम रखने की भी बात कही है।
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