इस आइपीएस अधिकारी को 2 राज्यों की सरकारों ने दिए पुरस्कार; टीम को मिले 45 लाख
वर्ष 2008 बैच के आइपीएस अधिकारी अनीश गुप्ता को दो राज्यों की सरकारों ने वीरता और अदम्य साहस के लिए पुरस्कृत किया है। माओवादी नेता संदीप को गिरफ्तार करने के लिए झारखंड सरकार की तरफ से 2500000 रुपए तथा ओड़िशा की तरफ से 2000000 रुपए का पुरस्कार स्वीकृत किया गया।
रांची [ब्रजेश मिश्र] । वर्ष 2008 बैच के आइपीएस अधिकारी अनीश गुप्ता को दो राज्यों की सरकारों ने वीरता और अदम्य साहस के लिए पुरस्कृत किया है। माओवादी नेता संदीप को गिरफ्तार करने के लिए झारखंड सरकार की तरफ से 2500000 रुपए तथा पड़ोसी राज्य ओड़िशा की तरफ से 2000000 रुपए का पुरस्कार स्वीकृत किया गया। यह पुरस्कार राशि अनीश गुप्ता सहित उनकी टीम में रहकर ऑपरेशन एस को अंजाम देने वाले बहादुर सुरक्षाकर्मी को प्रदान किया गया। उनकी इस उपलब्धि के लिए गणतंत्र दिवस समारोह में झारखंड की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू उन्हें अपने हाथों से वीरता पुरस्कार से अलंकृत करेंगी।
अनीश गुप्ता मूल रूप से पंजाब के रहने वाले हैं। चाईबासा में एसपी रहते हुए उन्होंने कोल्हान के जंगलों में कायम माओवादी नेता संदीप के आतंक को खत्म कर दिया। आप यह जानकर हैरान हो जाएंगे कि कोल्हान के जंगलों में संदीप का खौफ चर्चित चंदन माफिया वीरप्पन से कहीं कम नहीं था। बताया जाता था कि, जो भी संदीप तक पहुंचने की कोशिश करता था, उससे पहले ही उसे रास्ते से हटा दिया जाता था। वह पूरे प्रमंडल और राज्य में लाल आतंक का बड़ा चेहरा था। अनीश गुप्ता को वर्ष 2017 में यह जानकारी मिली कि वह अपने कुछ और साथियों के साथ फुटबॉल मैच देखने जा रहा है। मैच के दौरान वह गांव के बीचो-बीच था।
गांव में उसके समर्थकों की पूरी फौज थी। इसके बावजूद अनीश गुप्ता अपनी टीम को लेकर मौके पर पहुंच गए। संदीप की पहचान सुनिश्चित करने के बाद उसके पास पहुंचे और सीधे पिस्टल उसके सिर पर तान दी। अपने नेता को पुलिस के कब्जे में देख दूसरे माओवादियों के हाथ पांव फूल गए। गुप्ता ने उसे गिरफ्तार किया और सीधे उसे साथ लेकर चाईबासा के लिए रवाना हो गए। गुप्ता के बहादुरी के किस्से आज भी कोल्हान के गांव में सुनाए जाते हैं।
राजधानी रांची के एसएसपी की मिली जिम्मेदारी
माओवादियों के खिलाफ सफल ऑपरेशन चलाने के लिए अनीश गुप्ता को पुरस्कार स्वरूप राजधानी रांची के एसएसपी का दायित्व सौंपा गया। उन्होंने बेहद शानदार और सफल तरीके से अपना दो वर्ष का कार्यकाल पूरा किया। वर्तमान में वह जैप वन के कमांडेंट के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
कुछ ऐसी थी गिरफ्तारी की पूरी कहानी
सारंडा समेत पूरे कोल्हान क्षेत्र का आतंक कहलाने वाला नक्सली संदीप दा उर्फ संदीप सोरेन उर्फ मोतीलाल सोरेन को पश्चिम सिंहभूम पुलिस ने सैकड़ों लोगों की भीड़ के बीच से गिरफ्तार कर लिया। उसकी गिरफ्तारी जेटिया थाना क्षेत्र के लतार कुंदरीझोर में आयोजित फुटबॉल मैच के दौरान की गई। उसकी गिरफ्तारी से संबलपुर, देवगढ़, सुंदरगढ़ डिवीजन का बुंडु-चांडिल सब जोन तथा साउथ छोटानागपुर जोन के बीच की मेन कड़ी टूट गई। संदीप के पास से यूएस निर्मित 9 एमएम की एक विदेशी पिस्तौल, 9 एमएम की पांच जिंदा कारतूस तथा उसके निशानदेही पर छह एचई बम (हाई एक्टप्लोसिव बम) बरामद किया गया है। संदीप के खिलाफ 7 हत्याओं समेत कुल 36 मामले दर्ज हैं। 16 जनवरी 2011 को चाईबासा जेल से भागने से पहले संदीप के खिलाफ 17 मामले दर्ज थे। जबकि जेल से भागने के बाद उसके खिलाफ पुलिस ने 19 मामले दर्ज थे।
कैसे पकड़ा गया
संदीप के दस्ते द्वारा ‘क्लीन चाईबासा ग्रीन चाईबासा’ नामक फुटबॉल टीम का गठन किया था, जिसमें उसके दस्ते के कुछ सदस्य भी खिलाड़ी के तौर पर शामिल थे। जबकि टीम के अन्य खिलाड़ी स्थानीय गांव के ही थे। यह टीम लतार कुंदरीझोर में आयोजित चार दिवसीय फुटबॉल मैच में शामिल हुई थी। टीम की हौसला अफजाई के लिये संदीप भी आया हुआ था। शायद वह भी कुछ देर के लिये फुटबॉल खेलता। इधर, संदीप के मैच में आने की पुलिस को पुख्ता खबर लगी। संदीप को सैकड़ों लोगों की भीड़ के बीच से गिरफ्तार करने के लिये एसपी अनीश गुप्ता के नेतृत्व में 9 पुलिस पदाधिकारियों की टीम बनायी गई। टीम के 6 सदस्य जहां लीड कर रहे थे। वहीं 3 सदस्य बैकअप में थे। दो गाड़ियों में सादी वर्दी से सभी अधिकारी फुटबॉल मैदान पहुंचे तथा मुखबीर के इशारे पर संदीप की पहचान करते हुए उसे गिरफ्तार कर लिया।