रांची में उच्च शिक्षा के लिए बनाना होगा माहौल
झारखंड बने 20 वर्ष हो गए। इस दौरान उच्च शिक्षा का जितना विकास होना चाहिए नहीं हुआ इस पर ध्यान देना होगा।
जागरण संवाददाता, राची : झारखंड बने 20 वर्ष हो गए। इन 20 वर्षो में आइआइएम, लॉ यूनिवíसटी, सेंट्रल यूनिवíसटी से लेकर कई अन्य बेहतर शैक्षणिक संस्थान खुले, लेकिन राची वासियों को इस बात की कसक रह गई कि उच्च शिक्षा के लिए यहा माहौल नहीं बन पाया। जबकि यहा सभी तरह की अनुकूल स्थिति है। स्कूली स्तर तक तो हम पहले से ही बेहतर रहे हैं। जरूरत है इससे आगे और बेहतर करने की। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने वाले उच्च शिक्षण संस्थानों के निर्माण से एक तरफ जहां हजारों छात्रों का हर वर्ष दूसरे राज्यों की ओर से पलायन रूकेगा। वहीं दूसरी तरफ रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।
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बच्चों की रुचि व भविष्य का ध्यान रखकर तैयार हो रहा रोडमैप : शिक्षा मंत्री
शिक्षा मंत्री जगन्नाथ महतो ने कहा कि बच्चों को केवल शिक्षा नहीं मिले, बल्कि गुणवत्तायुक्त शिक्षा मिले इसके लिए हम प्रतिबद्ध हैं। इसके लिए रोडमैप भी तैयार कर रहे हैं। यह सच है कि सरकार बनने के तुरंत बाद हम कोरोना संकट से जूझने लगे। अब हम हर पहलुओं का ध्यान रखते हुए आकलन कर रहे हैं। हमारे बच्चों का झुकाव किन-किन क्षेत्रों की ओर है। उन्हें क्या पसंद हैं, उनका भविष्य कैसे बेहतर होगा। इन सभी पहलुओं पर विचार-विमर्श कर आगे बढ़ेंगे। मेडिकल, इंजीनियरिंग, प्रबंधन, सेना, आइटी, खेलकूद सहित वैसे सभी क्षेत्र जिसमें हमारे बच्चे अच्छा करते हैं उन्हें सारी सुविधाएं यहीं उपलब्ध कराएंगे। एक सच यह भी है कि सुविधा होने के बाद भी जो संपन्न हैं वे अपने बच्चों को बाहर भेजेंगे ही, लेकिन हमारा फोकस आम लोगों व गरीब बच्चों पर है।
सारी स्थिति अनुकूल, बेहतर करने का प्रयास : सांसद
रांची के सांसद संजय सेठ ने कहा कि राची को एजुकेशन हब के रूप में विकसित करने के लिए सारी स्थिति अनुकूल है। हमारे पास भूमि से लेकर मानव संसाधन उपलब्ध है। प्रतिभा की कमी नहीं है। सबसे सकारात्मक बात जो राची में है वह है यहा की जलवायु। अच्छी जलवायु से बच्चों को पढ़ाई-लिखाई में अधिक मन लगता है। जरूरत सिर्फ है अच्छे माहौल बनाने की। राची में स्कूल स्तर की पढ़ाई का माहौल ठीक है। यहा के निजी स्कूलों में नामाकन के लिए ओडिशा, बिहार, प. बंगाल सहित अन्य राज्यों से बच्चे आते हैं, लेकिन इसके बाद की पढ़ाई के लिए छात्र-छात्राओं को बाहर का रुख करना पड़ता है। इस स्थिति को बदलने की जरूरत है। शिक्षक से लेकर इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी है। इसके अलावा जो सबसे महत्वपूर्ण बात है वह है लॉ एंड आर्डर की। इसे ठीक करना पड़ेगा। आवागमन की सुविधा ठीक हो। बेहतर शिक्षक व इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए मैं अपने स्तर से प्रयास कर रहा हूं।
====================== जिम्मेदारी, ईमानदारी और अनुशासन जरूरी : सीपी सिंह
रांची के विधायक सीपी सिंह ने कहा कि सभी अपनी जिम्मेदारी समझते हुए उस पर ईमानदारी से काम करे तो बेहतर माहौल तैयार होगा। बच्चे पढ़ने के लिए राज्य से बाहर जाएं इसमें कुछ बुरा भी नहीं है, लेकिन ऐसा तभी अच्छा लगता है जब दूसरे राज्य से भी बच्चे हमारे यहा पढ़ने के लिए आए। सभी बेहतर एजुकेशन व रोजगार के लिए एक-दूसरे जगह जाते हैं, लेकिन सिर्फ जाने नहीं आने की भी बात हो। एक बार की बात है मैंने देखा है कि एक छात्र का राची विवि में फिजिक्स में नामाकन नहीं हो सका क्योंकि उसका अंक कम था, लेकिन उसी स्टूडेंट का नामाकन दिल्ली में हो गया। इसलिए हम ऐसा नहीं कह सकते हैं कि हमारे पास सब निम्न स्तर का है। जरूरत है कि उसे बनाए रखें और यह सब तभी होगा जब कार्य में कर्तव्य, ईमानदारी व अनुशासन तीनों हो।
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मैं बेंगलुरु में रहकर इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा हूं। कोरोना के कारण घर लौटना पड़ा। हॉस्टल बंद हो गया था। वहा परेशानी हुई थी। इस समय ही लगता है कि सारी सुविधा घर के आसपास हो तो अच्छा होगा।
जशान, छात्र -मैं मैसूर से संत जोसेफ कॉलेज से एमबीए कर रही हूं। सभी की इच्छा रहती है कि माता-पिता के पास रहूं तो अच्छा लगता है। लेकिन सुविधा नहीं होने के कारण घर से दर पढ़ाई के लिए आना पड़ता है।
अमिता, छात्रा
- मैं बेंगलुरु में रहकर एमबीए कर रहा हूं। यह सही है कि घर के आसपास सारी सुविधाएं नहीं मिल सकती है, लेकिन दक्षिण भारत में जितने अच्छे-अच्छे संस्थान हैं उतना उत्तर भारत में नहीं है। सभी क्षेत्र में समानता होनी चाहिए।
रिषभ अंकित, छात्र
- मैं बेंगलरु से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रही हूं। यहा अच्छे इंजीनियरिंग कॉलेज हैं। क्वालिटी एजुकेशन मिलती है। इस कारण घर से दूर आना पड़ा। हर राज्य में अच्छे संस्थान होना चाहिए।
-सुनिधि सूद, छात्रा