घनी आबादी के बीच है अमोनिया के गैस चैंबर, रांची में हो सकता है हजारीबाग जैसा हादसा
शहर के घनी आबादी वाले इलाकों में अमोनिया गैस से आइस फैक्ट्रियों का संचालन हो रहा है। यह खतरनाक है।
विक्रम गिरी, रांची: शहर के घनी आबादी वाले इलाकों में अमोनिया गैस से आइस फैक्ट्रियों का संचालन हो रहा है। इनमें जहां कुछ निबंधित कारखाने हैं। वहीं, कुछ अवैध रूप से संचालित हो रहे हैं, लेकिन हैरानी की बात यह है कि इन कारखानों का पिछले एक साल से निरीक्षण नहीं किया गया है। लिहाजा किसी भी दिन हजारीबाग की तरह यहां भी बड़ी दुर्घटना घट सकती है। ऐसे में लगता है कि हजारीबाग की तरह यहां भी विभाग को ऐसे ही किसी दुर्घटना का इंतजार है। दरअसल, अमोनिया गैस बाजार में क्लोरोफ्लूरो कार्बन गैस की तुलना में काफी सस्ते दर पर उपलब्ध होता है। लिहाजा बड़े कारखानों में अब भी इस खतरनाक गैस का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके अलावा कारखाना विभाग के मुताबिक फैक्ट्री एक्ट में आइस फैक्ट्री, आइसक्रीम फैक्ट्री और कोल्ड स्टोरेज के लिए लोकेशन का प्रावधान नहीं होने के कारण घनी आबादी में इनका संचालन हो सकता है। जो सुरक्षा के दृष्टि से काफी घातक है। गली-गली में हो रहा है आइसक्रीम फैक्ट्री का संचालन
शहर के गली-गली में आइसक्रीम फैक्ट्री का संचालन हो रहा है। कोकर, लालपुर, कडरू, चुटिया आदि जगहों में सैकड़ों आइसक्रीम फैक्ट्रियां हैं। इनमें अधिकतर फ्रीआन (क्लोरो फ्लूरोकार्बन) गैस से संचालित होते हैं, लेकिन कुछ पुरानी फैक्ट्रियां भी हैं। जिनका संचालन अमोनिया गैस से किया जा रहा है। इसके अलावा अधिकतर फैक्ट्रियों का संचालन अवैध तरीके से किया जा रहा है। एक माह पहले कारखाना निरीक्षण विभाग द्वारा हिनू में अवैध तरीके से आइसक्रीम फैक्ट्री के संचालन का एक मामला सामने आया है। जिसकी अभी जांच चल रही है। 400 रुपये तक सस्ता होता है अमोनिया गैस
अमोनिया गैस से फैक्ट्री के संचालन की बड़ी वजह इसकी लागत है। बाजार में जहां अमोनिया गैस 100-150 रुपये किलो की दर पर उपलब्ध है। वहीं, बाजार में क्लोरोफ्लूरो कार्बन की दर 550 रुपये प्रति किलो है। ऐसे में प्रतिकिलो 400 रुपये की बचत होती है। कहां-कहां है आइस फैक्ट्री
चुटिया, खूंटी, लाह कोठी रोड, बहु बाजार, रातू बस्ती, पंडरा, कुम्हार टोली। क्या हैं नियम
- प्रेशर व्हील्स की हर साल नियमित रूप से जांच कराई जाय
- संचालक नियमित तौर पर उपकरणों की टेंस्टिंग कराते रहे
- कारखानों के आसपास पेयजल का सोर्स जैसे नाला आदि ना हो --------------प्रतिक्रिया एक साल पहले कारखानों की नियमित रूप से जांच कर रहे थे, लेकिन सिंगल विंडो सिस्टम लागू होने के बाद अब आदेश के आधार पर कारखानों की जांच करते हैं। इसके अलावा लोगों के द्वारा शिकायत मिलने पर जांच की जाती है।
शिवानंद लगुरी, कारखाना निरीक्षक, रांची अंचल अमोनिया गैस का अधिक इस्तेमाल कोल्ड स्टोरेज और आइस फैक्ट्री में किया जाता है। यह काफी खतरनाक होता है। हालांकि अभी जो रेफ्रिजरेटर आ रहे हैं, उनमें इकॉ फ्रेंडली गैस डाला होता है। अमोनिया गैस आर सिक्स 100 और आर 134 से बहुत सस्ता होता है।
वसीम अकरम, एक्सपर्ट, होम अप्लायंस इंजीनियर